मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बिजली संयंत्र में कोयला भंडार की स्थिति तब गंभीर मानी जाती है, जब उसके पास कोयले का भंडार सामान्य स्तर की तुलना में 25 प्रतिशत से भी कम रह जाता है। सीईए की रिपोर्ट के अनुसार, देश में निगरानी वाले 181 ताप बिजली संयंत्रों में से 86 में कोयला भंडार की स्थिति गंभीर हैं। इन 86 में से छह आयातित कोयला आधारित संयंत्र हैं।
सीईए देश में 206 गीगावॉट की कुल स्थापित उत्पादन क्षमता वाले 181 कोयला आधारित ताप बिजली संयंत्रों की निगरानी करता है।
रिपोर्ट के अनुसार, करीब 149 गीगावाट की कुल क्षमता वाले कोयला खानों से दूर स्थित 148 घरेलू कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों के पास कोयला भंडार सामान्य स्तर के 29 प्रतिशत से कम है। इन 148 संयंत्रों के पास 18 अक्टूबर 2023 तक 4.35 करोड़ टन के मानक स्तर के मुकाबले लगभग 1.27 करोड़ टन कोयला था।
वहीं 18 खानों के पास स्थित कोयला आधारित संयंत्रों की स्थिति बेहतर है। इन संयंत्रों के पास सामान्य स्तर की तुलना में 81 प्रतिशत कोयला है।
इन 18 संयंत्रों की कुल बिजली उत्पादन क्षमता लगभग 40 गीगावाट है। विशेषज्ञों का मानना है कि आमतौर पर कोयला खानों के पास स्थित संयंत्रों में शुष्क ईंधन स्टॉक की स्थिति गंभीर नहीं होती है। वहीं जो संयंत्र कोयला खानों के पास नहीं हैं, उनके लिए कोयला दूरदराज से पहुंचाना पड़ता है।
सीईए की निगरानी के तहत आने वाले 15 आयातित कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों में कोयला भंडार की स्थिति बेहतर थी। इन संयंत्रों के पास सामान्य स्तर से 52 प्रतिशत कोयले का भंडार था।
इन 15 आयातित कोयला आधारित संयंत्रों की कुल उत्पादन क्षमता 17 गीगावाट है।
रिपोर्ट से पता चला कि करीब 206 गीगावाट की कुल क्षमता वाले इन 181 बिजली संयंत्रों के पास 5.43 करोड़ टन के मानक स्तर के मुकाबले 2.04 करोड़ टन (आदर्श स्तर का 38 प्रतिशत) कोयला भंडार था। इन 181 संयंत्रों की दैनिक ईंधन आवश्यकता 28 लाख टन है। इस प्रकार उनके पास 18 अक्टूबर 2023 तक सात दिन से थोड़ा अधिक समय तक चलने वाला कोयला भंडार है।
वहीं, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर के शुरुआती दो सप्ताह के दौरान पावर प्लांट के कोयला भंडार में 12.6 फीसदी की गिरावट आई है और यह कम होकर 20.58 मिलियन मीट्रिक टन रह गया है। यह नवंबर 2021 के बाद कोयले के भंडार का सबसे कम स्तर है। इतना ही नहीं बल्कि यह किसी एक पखवाड़े के दौरान कोयले के भंडार में सितंबर 2021 के दूसरे पखवाड़े के बाद की सबसे तेज गिरावट है।
दूसरी तरफ, ग्रिड रेगुलेटर के आंकड़े बताते हैं कि अक्टूबर महीने के शुरुआती दो सप्ताह के दौरान कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों में बिजली का उत्पादन तेजी से बढ़ा है। यह तेजी सालाना आधार पर करीब 33 फीसदी रही है। यानी अक्टूबर, 2022 के पहले पखवाड़े की तुलना में अक्टूबर, 2023 के पहले पखवाड़े में कोल-फायर्ड पावर प्लांट का उत्पादन 33 फीसदी ज्यादा रहा है। इससे पहले सितंबर महीने में 21.6 फीसदी की तेजी आई थी। मतलब सितंबर महीने की तुलना में अक्टूबर के शुरुआती दो सप्ताह के दौरान बढ़ोतरी की रफ्तार ज्यादा तेज रही है।
नई दिल्ली (भाषा)। देश भर में त्योहारों की शुरुआत हो चुकी है। त्योहारों के ऐन मौके पर इसका जश्न फीका पड़ने का खतरा पैदा हो गया है। इस बात का डर सताने लग गया है कि कहीं त्योहारों के दौरान बिजली का संकट न खड़ा हो जाए और कहीं लोगों के घरों की बत्तियां गुल न हो जाएं।
केंद्रीय बिजली प्राधिकरण ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसके अनुसार, ‘देश में 86 ताप बिजली संयंत्रों के पास 18 अक्टूबर तक कोयला भंडार ‘गंभीर’ स्तर पर था। इनमें से छह संयंत्र आयातित ईंधन पर आधारित हैं। इससे देश के कुछ प्रदेशों में बिजली की कमी होने का भी अंदेशा जताया जा रहा है।