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ग्राउंड रिपोर्ट

अंडिका बाग आंदोलनकारियों के ऊपर दर्ज किए जा रहे हैं फर्जी मुकदमें 

वक्ताओं ने कहा कि जिन लोगों ने फर्जी सर्वे करके गांव वालों का जीना दूभर कर दिया है, उनके खिलाफ मुकदमा होना चाहिए था। लेकिन ग्रामवासियों पर मुकदमा करके सरकार ने साबित कर दिया है कि वह किसान और मजदूर विरोधी है।

आज़मगढ़। जनपद में सरकार द्वारा किये जाने वाले भूमि अधिग्रहण के विरोध का दायरा व्यापक होता जा रहा है। एयरपोर्ट विस्तारीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण के विरोध में खिरिया बाग में चल रहे जन-आंदोलन के साथ अंडिका बाग में भी सम्भावित भूमि अधिग्रहण का विरोध चल रहा है। विरोध को दबाने के लिए जिला प्रशासन आंदोलनकारियों के खिलाफ मुकदमें दर्ज कर रहा है। अंडिका बाग में जमीन सर्वे का विरोध कर रहे किसान नेता वीरेन्द्र यादव समेत ग्रामीणों के खिलाफ पवई थाने में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज करने पर आंदोलनकारियों ने कहा कि वे पुलिसिया कार्रवाई के डर से इंच भर भी पीछे नहीं हटेंगे। आंदोलनकारियों ने कहा कि हम मुकदमा, जेल से डरने वाले नहीं हैं। किसी भी कीमत पर एक इंच जमीन नहीं देंगे।
अंडिका बाग में चल रहा विरोध प्रदर्शन पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के किनारे औद्योगिक क्षेत्र और पार्क के नाम पर किए गए सर्वे के विरोध में हो रहा है। सर्वे के विरोध में महिलाएं, किसान और ग्रामीण धरनारत हैं। धरने और विरोध को समाप्त करने के लिए जिला प्रशासन तमाम तरह के हथकंडे अपना रहा है। आंदोलन को दबाने के लिए पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई पर पूर्वांचल किसान यूनियन के महासचिव वीरेंद्र यादव ने कहा कि फर्जी मुकदमा दर्ज करके आंदोलनरत महिलाओं, किसानों, मजदूरों की आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है। खिरिया बाग में भी उनके समेत मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडेय, किसान नेता राजीव यादव और आंदोलनकारी महिलाओं पर मुकदमा दर्ज किया गया है।

अंडिका बाग में धरने को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि अंडिका बाग में पिछले 56 दिन से लगातार धरना चल रहा है। जिसके बारे में लगातार खुफिया विभाग के लोग हमसे बात करके सूचनाएं सरकार को भेज रहे हैं। गौरतलब है कि यह धरना तब शुरू हुआ जब एसडीएम फूलपुर से पूछा गया कि सर्वे किस आधार पर किया जा रहा है। जवाब में एसडीएम ने कहा कि उन्हें नहीं मालूम।

 

वक्ताओं ने प्रशासन पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए बताया कि 8 मई को धारा 188 और 353 में दर्ज एफआईआर में लिखा गया है कि हम सर्वे का विरोध कर रहे हैं। सवाल है कि प्रशासन आखिर क्यों नहीं इस सवाल को हल करता। प्रशासन द्वारा कहा गया कि जब धरने पर बैठे लोगों से पूछताछ की गई तो वे धरनास्थल से चले गए। वक्ताओं ने बताया कि यह प्रशासन का सफ़ेद झूठ है। हम अपनी जमीन पर धरने पर बैठे हैं। उसकी पहरेदारी कर रहे हैं कि इसको कोई लूट कर न ले जाए। क्या अपने समान की सुरक्षा करना अपराध है। अपनी जमीन बचाने के लिए भी क्या इजाजत ली जाएगी। घर में लूट हो रही हो तो क्या पुलिस से इजाजत लेकर विरोध होगा।

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गौरतलब है कि जमीन अधिग्रहण और सर्वे के विरोध में 29 अप्रैल को किसान पंचायत भी हुई थी, जिसे मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडेय, जन आंदोलन की नेता अरुंधति धूरु, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के अध्यक्ष राम कैलाश कुशवाहा, किसान नेता राजीव यादव आदि ने संबोधित किया था। पिछले 216 दिन से चल रहे खिरिया बाग आंदोलन में भी विरेंद्र यादव, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडे, किसान नेता राजीव यादव और खिरिया बाग की आंदोलनकारी महिलाओं किस्मती, नीलम के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है।
अंडिका बाग में धरने पर वीरेंद्र यादव, कामरेड मुखराम राजभर, सुनील पंडित, चमेला देवी, तारा, मेवाती, कौशल्या, गीता, विद्यावती आदि मौजूद थे।
2 COMMENTS
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