इलाहाबाद-वाराणसी रेलवे लाइन का दोहरीकरण किया जा रहा है। इसके तहत एक रेलवे ट्रैक के बग़ल दूसरा रेलवे ट्रैक बिछाया जा रहा है। साथ ही जन आबादी क्षेत्र में एहतियात के तौर पर इन रेलवे ट्रैक के दोनों ओर फेंसिग भी की जा रही है। यही गोंडवा समेत एक दर्जन गांवों के हजारों किसान परिवारों के लिए मुसीबत का सबब बन रहा है। रेलवे पटरी के दोनों ओर के गांवों के किसानों का कहना है कि उनके खेत-बारी दूसरी तरफ हैं। रेलवे ट्रैक बिछने, ऊंचा होने और फेंसिग हो जाने के बाद उन्हें पैदल अपने खेतों तक पहुंचने के लिए 5 किलोमीटर और ट्रैक्टर आदि लेकर जाने के लिए 10-12 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी। जबकि आने जाने में यह दूरी 20-22 किलोमीटर हो जाएगी। अतः उन्हें एक अंडरपास दिया जाए जिससे उनके ट्रैक्टर आदि आराम से निकलकर खेतों तक पहुँच सकें।
इसी क्रम में 10जून को कई गांवों के किसानों ने गोंडवा गांव थाना थरवईं क्षेत्र में महुआ की बाग़ में सातवी बार मीटिंग बुलाई। मीटिंग में भारतीय किसान यूनियन (टिकैट) के पदाधिकारी पहुंचे। मीटिंग के दौरान एक दर्जन भर पुलिसकर्मी भी मौजूद रहे। विकट गर्मी और 43 डिग्री तापमान के बावजूद मीटिंग में ढाई-तीन सौ लोग पहुंचे। महिलाओं की भागीदारी तो देखते बनती है।
इसी रेलवे लाइन पर आगे तेलियरगंज गोविंदपुर रोड पर अपट्रान के पास जैसा अंडरपास बनाया गया है वैसा ही एक अंडरपास बनवाने की किसान मांग कर रहे हैं ताकि किसानों के ट्रैक्टर आदि आराम से निकल सकें। किसानों के पास इतने संसाधन नहीं होते। मान लीजिए उन्हें अपने खेत से दान, गेहूं या सरसों का बोझ सिर पर रखकर पैदल ही ढोना है तो क्यों वो 5 किलोमीटर का चक्कर काटकर खेत से घर आये जाये।
गोंडवा, मनसैता, मितई का पूरा, बाकरगंज, डेरा गदई, बिदूरा, टिकुरी, लाहुरतारा, टड्डीपुर, गुनीबाग, मउहरिया, शीतलपुर, धिक, भीक का पुरा, नारे पार, कटियाही, मोहम्मदपुर आदि गावों के किसानों की मांग है कि उन्हें अपने खेतों तक जुताई, बुआई, सिचाईं के लिए ट्रैक्टर, इंजन, आदि ले जाने के लिए और फिर खेतों से फसल घर ले आने के लिए, अपने मवेशियों को रेलवे ट्रैक के उस पार चराने ले जाने के लिए अंडरपास पुलिया चाहिएही चाहिए। और जब तक उन्हें अंडरपास नहीं मिल जाता तब तक उनका संघर्ष चलता रहेगा।
किसानों ने बताया कि वो पुलिया के लिए पिछले पांच सालों से मांग करते आ रहे हैं। लेकिन पिछले छः महीने से जब से दूसरी रेलवे ट्रैक बिछनी शुरु हुयी है उन्होंने अपनी मांग को लेकर संघर्ष तेज कर दिया है।किसानों ने अपनी मांग को लेकर स्थानीय जन प्रतिनिधियों सासंद विधायकों और प्रशासन तक से मिलकर ज्ञापन दिया है। फरवरी में किसानों ने स्थानीय सांसद केसरीदेवी पटेल से मिलकर अपनी समस्या और मांगों से उन्हें अवगत कराया था। तब केसरी देवी ने अपने लेटर पैड पर लिखकर दिया था कि किसानों की अंडरपास की मांग का प्रशासन निस्तारण करे।
“स्टेशन मास्टर और इन्जीनियर मौके पर आकर मुआयना भी कर चुके हैं। उन लोगों की मांग है कि डिवीजनलरेलवे मैनेजर (DRM) भी आये औरअंडरपास पास करके जल्द से जल्द उस पर काम चालू करे। इसीलिए शनिवार 10 जून को उन लोगों ने 7वीं मीटिंग रखी। और रेलवे विभाग के डीआरएम को बुलवाया कि वो किसानों की मीटिंग में आकर उनकी बात सुने और चिनिह्त जगह पर चलकर मौका-मुआयना करें और अंडरपास को मंजूरी दें।”
मनसैता गांव निवासी जगदीश प्रसाद यादव बताते हैं कि थरवई थाने के पास माधोपुर में रेलवे क्रॉसिंग है। वहां से खेतों तक आने जाने में 10-12 किलोमीटर की दूरी है एक तरफ की। जबकि दूसरी ओर बाकरगंज लाइन फाटक है। उसकी दूरी 5 किलोमीटर है। वहां नाला भी है तो नाले के चलते वहां से ट्रैक्टर और सामान आदि लेकर जाने लायक नहीं है।
किसान रणजीत सिंह यादव बताते हैं कि केवल गोड़वा गांव की आबादी छः हजार के करीब है। वो आरोप लगाते हैं कि इस गांव और आस पासके गांवों की अधिकांश आबादीयादवोंकी और फिर दलितों की है इसलिए सरकार और प्रशासन उनकी मांगो पर ध्यान नहीं दे रहा है। यही अगर ब्राह्मण ठाकुर जाति के लोग मांग करते तो अब तक उनकी मांग मान ली गयी होती।
वहीं महिला किसानों और महिला कृषि मज़दूरों का कहना है कि पहले ही उन्हें सिंगल रेलवे लाइन पार करने में बहुत दिक्कत होती रही है। अब दो रेलवे लाइऩ बनने और बाड़ बना दिये जाने के बाद उनको खेतों में निराई गुड़ाई, जुताई, बुआई, कटाई करने जाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ेगा। खाना बना खिलाकर खेत में काम करने जाने और फिर खेत से छूटते ही जल्दी जल्दी घर वापिस आकर खाना बनाना होता है। लरकोर महिलाएं दुधमुंहे बच्चों के घर पर छोड़कर जाती हैं। बीच में वो पानी पीने या किसी और बहाने से आकर बच्चे को दूध पिला जाती हैं। लेकिन डबल लाइन बिछने और फेंसिंग होने के बाद यदि अंडरपास नहीं बनता है तो स्त्रियों के लिए समय से खेतों में पहुँचना और काम पाना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
अंडरपास की मांग लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों की अगुवाई कर रहे रूप नारायण यादव उर्फ़ सीताराम बताते हैं कि अंडरपास के लिए स्थान चिन्हित हो चुका है। स्टेशन मास्टर और इन्जीनियर मौके पर आकर मुआयना भी कर चुके हैं। उन लोगों की मांग है कि डिवीजनलरेलवे मैनेजर (DRM) भी आये औरअंडरपास पास करके जल्द से जल्द उस पर काम चालू करे। इसीलिए शनिवार 10 जून को उन लोगों ने 7वीं मीटिंग रखी। और रेलवे विभाग के डीआरएम को बुलवाया कि वो किसानों की मीटिंग में आकर उनकी बात सुने और चिनिह्त जगह पर चलकर मौका-मुआयना करें और अंडरपास को मंजूरी दें। लेकिन डीआरएम ने खुद आने के बजाय अपने प्रतिनिधि को भेज दिया।
गोड़वा निवासी एडवोकेट राम सिंह यादव ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा किप्रशासन आश्वासन बहुत दे रहा है लेकिन कार्य आगे नहीं बढ़ रहा है। इसलिए अब मीटिंग करने के बजाय दूसरा रास्ता अपनाना पड़ेगा। रेलवे ट्रैक और सड़क जाम करना होगा तभी इनके कानों तक हमारी मांग पहुंचेंगी। जब सारी कार्रवाई हो गयी है तो आखिर नक्शा बनने में कितना समय लगता है।