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ग्राउंड रिपोर्ट

पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी का शव सुपुर्द-ए-खाक, कब तक उठेगा मौत के सवालों से पर्दा? जानिए

अंसारी के परिवार ने आरोप लगाया है कि बांदा जेल में उन्हें ‘स्लो पॉयजन’ दिया गया, जिसके कारण उनकी मौत हो गई। प्रदेश के कई जिलों में सुरक्षा अलर्ट और धारा 144 के बीच डॉक्टरों के एक पैनल ने बांदा के रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में शव का पोस्टमार्टम किया।

पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी का शव कड़ी सुरक्षा के बीच शनिवार को गाजीपुर जिले के उनके पैतृक निवास युसूफपुर मोहम्मदाबाद के निकट कालीबाग स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया।

पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि इससे पहले मुख्तार के पैतृक आवास से सुबह के समय जनाजा निकाला गया, जिसमें उनके सांसद भाई अफजाल अंसारी, पुत्र उमर अंसारी और भतीजे विधायक सुहेब अंसारी समेत परिवार के सदस्य तथा समर्थक शामिल रहे। उनके बड़े भाई एवं पूर्व विधायक सिगबतुल्लाह अंसारी समेत परिवार और रिश्‍तेदार भी जनाजे में शामिल हुए।

इस दौरान भीड़ ने नारे भी लगाये। अफजाल अंसारी ने कब्रिस्‍तान पहुंचकर लोगों को समझाया कि भीड़ एकत्र न करें और शांति बनाये रखने की अपील की। बाद में सिगबतुल्लाह भी वहां पहुंचे।

 मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत गरमा गई है। अंसारी की मौत पर विपक्षी दलों की ओर से सवाल उठाए गए, जिसके बाद शुक्रवार को मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं। 

अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एमपी/ एमएलए कोर्ट) गरिमा सिंह, मुख्तार के मौत मामले की जांच करेगी। बांदा कोर्ट के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भगवान दास गुप्ता ने गरिमा सिंह को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। गरिमा सिंह से एक महीने के भीतर रिपोर्ट मांगी गई हैं। 

अंसारी के परिवार ने आरोप लगाया है कि बांदा जेल में उन्हें ‘स्लो पॉयजन’ दिया गया, जिसके कारण उनकी मौत हो गई। प्रदेश के कई जिलों में सुरक्षा अलर्ट और धारा 144 के बीच डॉक्टरों के एक पैनल ने बांदा के रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में शव का पोस्टमार्टम किया।

गाजीपुर सांसद और मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी ने मंगलवार को समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा था कि, मुख्तार ने बताया था कि करीब 40 दिन पहले भी उन्हें जहर दिया गया था। उन्होंने आशंका जताई थी कि इसके बाद शायद 19 या 22 मार्च को फिर ऐसा किया गया, जिस कारण उनकी हालत खराब हो रही थी।

बाराबंकी की अदालत में 21 मार्च को एक मामले की सुनवाई के दौरान मुख्तार के वकील ने दरखास्त दी थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनके मुवक्किल को जेल में ‘स्लो पॉयजन’ दिया गया है। इससे उनकी हालत बिगड़ती जा रही है।

सपा अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अंसारी का नाम लिए बिना शुक्रवार को पुलिस और न्यायिक अभिरक्षा में होने वाली मौतों पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की निगरानी में जांच की मांग की।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने शुक्रवार को ‘एक्‍स’ पर कहा, ‘हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

वहीं बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने मुख्तार अंसारी की मौत के मामले की उच्‍च स्‍तरीय जांच की मांग की।

बसपा प्रमुख मायावती ने मुख्तार की मौत के बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्‍स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘मुख्तार अंसारी की जेल में हुई मौत को लेकर उनके परिवार द्वारा जो लगातार आशंकायें व गंभीर आरोप लगाए गए हैं, उनकी उच्च-स्तरीय जांच जरूरी है, ताकि उनकी मौत के सही तथ्य सामने आ सकें। ‘मायावती ने कहा, ऐसे में उनके परिवार का दुःखी होना स्वाभाविक है। कुदरत उन्हें इस दुःख को सहन करने की शक्ति दे।’

ओवैसी ने स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए कहा कि अंसारी के परिवार के सदस्यों के ने जो कहा उसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। यह इस तरह की दूसरी घटना है जिसमें एक दोषी कैदी की न्यायिक हिरासत में मौत हुई है। पहली घटना गोलीबारी की है। अब इस घटना में, परिवार का कहना है कि धीमा जहर दिया गया।

वहीं सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने भी कहा कि, अदालत को अंसारी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का संज्ञान लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्तार अंसारी के परिवार से उनके अच्छे संबंध रहे हैं और मुख्तार अंसारी का परिवार देश की आजादी में लड़ा था। देश की आजादी में इस परिवार का काफी योगदान रहा है।

बता दें कि मुख्तार अंसारी की 28 मार्च को तबीयत बिगड़ने के बाद बांदा जिला जेल से रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था, जहां दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई थी। मुख्तार के परिजनों ने अंसारी को जेल में धीमा जहर देने का आरोप लगाया था।

उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना करने पर विपक्षी दलों पर पलटवार करते हुए भाजपा ने शुक्रवार को कहा कि सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने के लिए उनकी हर मुद्दे को भावनात्मक रूप से भुनाने की आदत है।

मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश के राजनीति में काफी बड़ा चेहरा माना जाता था। मऊ से लगातार पांच बार विधायक बनने का मौका मिला, जिसमें दो बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े। जेल में होने के बावजूद भी वह तीन बार चुनाव जीते। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भी चुनाव में जीत दर्ज की है। उनके बसपा और सपा से अच्छे संबंध रहे। उनके भाई सांसद हैं। उनके परिवार के लोग अभी भी विधानसभा में सदस्य हैं।आगामी लोकसभा चुनाव में अंसारी का वोट बैंक किस तरफ रुख करेगा? यह देखने वाली बात होगी।

 

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