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सरकार ने कच्चे तेल और डीजल के निर्यात पर अतिरिक्त शुल्क को घटाया

नई दिल्ली (भाषा)। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में नरमी के बाद सरकार ने देश में उत्पादित कच्चे तेल तथा डीजल के निर्यात पर अप्रत्याशित लाभ ‘कर’ में आज कटौती कर दी है। आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क या एसएईडी के रूप में लगाया जाने […]

नई दिल्ली (भाषा)। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में नरमी के बाद सरकार ने देश में उत्पादित कच्चे तेल तथा डीजल के निर्यात पर अप्रत्याशित लाभ ‘कर’ में आज कटौती कर दी है। आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क या एसएईडी के रूप में लगाया जाने वाला कर 9,800 रुपये प्रति टन से घटाकर 6,300 रुपये प्रति टन कर दिया गया है।

डीजल के निर्यात पर एसएईडी को दो रुपये प्रति लीटर से घटाकर एक रुपये प्रति लीटर कर दिया गया। विमान ईंधन या एटीएफ और पेट्रोल के निर्यात पर शुल्क शून्य ही रहेगा। ‘कर’ की नई दरें गुरुवार से लागू हो गईं। इससे पहले एक नवंबर को दरों में संशोधन करते हुए सरकार ने कच्चे तेल पर कर 9,050 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 9,800 रुपये प्रति टन कर दिया था। इसके साथ ही डीजल के निर्यात पर शुल्क को आधा कर दो रुपये कर दिया गया था। विमान ईंधन पर शुल्क एक रुपये प्रति लीटर से शून्य कर दिया गया था। पिछले संशोधन के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें नरम हुई हैं, जिससे कटौती आवश्यक हो गई। भारत द्वारा आयात किए जाने वाले कच्चे तेल का औसत मूल्य इस महीने अभी तक 84.78 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल रहा। अक्टूबर में यह औसत 90.08 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल और सितंबर में 93.54 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल था।

गौरतलब है कि 31 अक्टूबर को जारी अधिसूचना में कहा गया था कि डीजल के निर्यात पर एसएईडी को चार रुपये प्रति लीटर से घटाकर दो रुपये प्रति लीटर और विमान ईंधन (एटीएफ) पर इसे एक रुपये प्रति लीटर से घटाकर शून्य कर दिया गया है। पेट्रोल के निर्यात पर एसएईडी पहले ही शून्य था। नई दरें पहली नवम्बर से लागू हो गईं थीं। भारत ने पिछले साल एक जुलाई को पहली बार घरेलू पेट्रोलियम उत्पादों पर अप्रत्याशित लाभ कर लगाया था। यह उन देशों में शामिल हो गया है, जो ऊर्जा कंपनियों के अप्रत्याशित लाभ पर ‘कर’ लगाते हैं। कच्चे तेल की औसत कीमत के आधार पर हर पखवाड़े इन दरों की समीक्षा की जाती है।

पीटीसी एनर्जी के ओएनजीसी में विनिवेश के बाद पीटीसी इंडिया कर्ज मुक्त हो जाएगी:सीएमडी

नई दिल्ली। पावर ट्रेडिंग समाधान प्रदाता पीटीसी इंडिया अपनी इकाई पीटीसी एनर्जी को 2,021 करोड़ रुपये के उद्यम मूल्य पर ओएनजीसी को बेचने के बाद जल्द ही कर्ज मुक्त हो जाएगी। एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी। पीटीसी इंडिया ने अक्टूबर में घोषणा की थी कि ओएनजीसी ने 2,021 करोड़ रुपये के उद्यम मूल्य पर पीटीसी एनर्जी में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने के लिए बोली लगाई है। पीटीसी इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) राजिब के. मिश्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘पीटीसी एनर्जी की परिसंपत्तियों के हस्तांतरण के साथ कंपनी वस्तुतः ऋण-मुक्त हो जाएगी।’

मिश्रा ने कहा कि पीटीसी एनर्जी के उद्यम मूल्य में ओएनजीसी की 925 करोड़ रुपये की बोली के साथ-साथ 1,100 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण घटक भी शामिल है, जो लेनदेन पूरा होने के बाद तेल कंपनी को हस्तांतरित कर दिया जाएगा। भारत सरकार की पहल पीटीसी इंडिया लिमिटेड भारत में बिजली बाजार शुरू करने में अग्रणी है। कंपनी ने अपनी स्थापना के बाद से ही बिजली कारोबार में अपनी अग्रणी स्थिति बरकरार रखी है।

सरकार विशेष आर्थिक क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने में मदद के लिए कई उपायों पर कर रही है विचार

नई दिल्ली। सरकार विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) में निर्मित उत्पादों की घरेलू बाजार में बिक्री के लिए एक लचीली रूपरेखा, अधिसूचना से बाहर करने के आसान डी-नोटिफिकेशन मानदंड और इकाइयों के लिए अनुमोदन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने जैसे कई उपायों पर विचार कर रही है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

इसका मकसद एसईजेड को पुनर्जीवित करने में मदद करना और एसईजेड तथा घरेलू शुल्क क्षेत्र (डीटीए) या घरेलू बाजार के बीच व्यापार लेनदेन को सुविधाजनक बनाना है। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा स्थापित किए जाने वाले आर्थिक क्षेत्रों को ‘विशेष आर्थिक क्षेत्रों’ (एसईजेड) कहा जाता है। इन उपायों पर विभिन्न मंत्रालयों के विचार जानने के लिए वाणिज्य मंत्रालय ने विशेष आर्थिक क्षेत्र संशोधन विधेयक 2023 के मसौदे पर एक ‘नोट’ जारी किया है। अंतर-मंत्रालयी परामर्श तेज गति से जारी है और विधेयक को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की संभावना है। शीतकालीन सत्र चार दिसंबर से शुरू होगा और 22 दिसंबर तक चलेगा। अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि यह संशोधन विधेयक प्रस्तावित एंटरप्राइज एंड सर्विस हब डेवलपमेंट (डीईएसएच) विधेयक के स्थान पर पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘संशोधन विधेयक का मकसद एसईजेड को पुनर्जीवित करना, एसईजेड और डीटीए के बीच व्यापार लेनदेन को सुविधाजनक बनाने में मदद करना है। इसमें छूटे हुए शुल्क के आधार पर एसईजेड से डीटीए को बिक्री की अनुमति देने, क्षेत्रों के आंशिक ‘डी-नोटिफिकेशन’ को रद्द करने की अनुमति, आसान अधिसूचना मानदंड, एसईजेड इकाइयों के लिए अनुमोदन को सुव्यवस्थित करने का प्रस्ताव है।’ ‘डी-नोटिफिकेशन’ से तात्पर्य एसईजेड के आकार को कम करने के लिए अनुमोदन बोर्ड से अनुरोध करना है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा था कि सरकार क्षेत्र की वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए एसईजेड में इकाइयों के लिए कुछ प्रतिबंधों में ढील देने पर विचार कर रही है।

सुब्रत रॉय के निधन के बाद भी जारी रहेगा सहारा से जुड़ा मामला: सेबी प्रमुख

मुंबई। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने आज कहा कि हारा के संस्थापक सुब्रत रॉय के निधन के बाद भी पूंजी बाजार नियामक समूह के खिलाफ मामला जारी रखेगा। फिक्की के एक कार्यक्रम से इतर बुच ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सेबी के लिए यह मामला एक इकाई के आचरण से जुड़ा है और यह जारी रहेगा चाहे कोई व्यक्ति जीवित हो या नहीं। सहारा समूह के संस्थापक सुब्रत रॉय का मंगलवार को निधन हो गया था। वह लंबे समय से बीमार थे।

दरअसल, सुब्रत रॉय के निधन के बाद पूंजी बाजार नियामक सेबी के खाते में पड़ी 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की अवितरित धनराशि फिर से चर्चा का विषय बन गई है। सुब्रत रॉय ने रिटेल, रियल एस्टेट और वित्तीय सेवा क्षेत्रों में विशाल व्यापारिक साम्राज्य खड़ा किया। हालांकि वह एक बड़े विवाद के केंद्र में भी रहे और उन्हें अपने समूह की कंपनियों के संबंध में कई नियामक और कानूनी लड़ाइयों का सामना करना पड़ा, जिन पर बहुस्तरीय विपणन योजनाएं बनाने के लिए नियमों को दरकिनार करने का आरोप लगाया गया था। बहरहाल, सहारा समूह ने हमेशा इन आरोपों को खारिज किया है।

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