दिल्ली। बीएसएनएल भारी संकट से जूझ रहा है। 4जी-5जी के दौर में कम्पनी के पास हाई-स्पीड डेटा सेवा उपलब्ध नहीं होने के कारण हर माह हजारों-लाखों ग्राहक अपना नम्बर पोर्ट करवा रहे हैं। शिकायतों के बावजूद सरकार कम्पनी के पक्ष में कोई सुनवाई नहीं कर रही है। उक्त बातें बीएसएनएल कर्मचारी संघ (इंप्लाइज यूनियन) ने अपने एकदिनी हड़ताल के दौरान व्यक्त किया।
केंद्रीय मुख्यालय के आह्वान पर इस हड़ताल का आयोजन देशभर में किया गया था। कर्मचारियों ने सरकार से माँग की कि बीएसएनएल को तीसरी वेतन संशोधित समिति (पीआरसी) की सिफारिशों में शामिल ‘अफोर्डेबिलिटी क्लॉज’ से छूट दी जानी चाहिए। साथ ही वेतन संशोधन के त्वरित निपटारण की माँग की गई।
जनरल सेक्रेटरी ए. अभिमन्यु ने कहा, ‘बीएसएनएल ने बीते 2004-05 में 10 हजार करोड़ का शुद्ध लाभ कमाया था। बावजूद इसके सरकार की गलत नीतियों के कारण बीएसएनएल को घाटे की कम्पनी कहा जा रहा है। कम्पनी के घाटे के लिए कर्मचारी कत्तई ज़िम्मेदार नहीं है।
इन्हीं गलत नीतियों के कारण ही बीएसएनएल आज तक अपनी 4जी सेवा नहीं शुरू कर सका है। इस स्थिति के लिए सरकारी के दो फैसले जिम्मेदार हैं। पहला- कम्पनी को अपने मौजूदा 49,300 3जी बीटीएस को 4जी में अपग्रेड करने की अनुमति नहीं मिली। दूसरा- जियो और एयरटेल अपने 4जी-5जी उपकरण बाहरी कम्पनियों यानी नोकिया, एरिक्सन और सैमसंग से खरीद रहे हैं। जबकि बीएसएनएल को निर्देशित किया गया है कि कम्पनी ’आत्मनिर्भर नीति’ के अनुसार ऐसे उपकरण केवल भारत के निर्माताओं से ही खरीदें।
बीएसएनएल के अधिकारियों ने बताया कि 2020 में कम्पनी ने विक्रेताओं के हित में 1,00,000 4जी बीटीएस की खरीद के लिए एक निविदा भी जारी की थी, उसे भी सरकार ने रद्द कर दिया।
4जी उपकरणों की खरीद के लिए बीएसएनएल ने टाटा कंसलटेंसी सर्विस को अपना ऑर्डर दिया। टीसीएस के अनुसार, इन उपकरणों का अभी फिल्ड परीक्षण नहीं हुआ है, इस कारण एक वर्ष का और समय माँगा गया है। इस बाबत बीएसएनएल (ईयू) ने संचार मंत्री को पत्र लिखकर एक वर्ष का समय माँगा है ताकि 4जी की लॉन्चिंग सुनिश्चित की जा सके।
वेतन समझौते से भी सरकार कर रही इनकार
बीएसएनएल (ईयू) की विज्ञप्ति के अनुसार, कर्मियों का वेज रिविजन अभी तक तय नहीं किया गया है। घाटे वाली कम्पनी बताकर सरकार वेतन समझौते से भी इनकार कर रही है। हाल ही में प्रधानमंत्री और संचार मंत्री ने भी संसद में इसी तरह का बयान दिया था।
बीएसएनएल (ईयू) ने आरोप लगाया कि प्रबंध अधिकारियों की तुलना में बीएसएनएल के गैर-कर्मियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। पदोन्नति नीतियों का स्पष्ट पालन नहीं हो रहा है। कहा कि ‘जनशक्ति के पुनर्गठन’ के नाम पर बीएसएनएल प्रबंधन ने हजारों पदों को भी समाप्त कर दिया था। इसकी तुरंत समीक्षा होनी चाहिए।
बीएसएनएल प्रबंधन कम्पनी के कार्यों को आउटसोर्स के माध्यम से करवाना चाहता है। बीएसएनएल (ईयू) ने कहा कि प्रबंधन लगभग 90 प्रतिशत काम संविदा पर ही करवाना चाहता है। इससे बड़ी संख्या में कर्मचारी सरप्लस हो जाएँगे। प्रबंधन की ओर से बीएसएनएल में अब नौकरियों के दरवाजे भी बंद कर दिए हैं। बीएसएनएल (ईयू) ने आउटसोर्सिंग को बंद करने की माँग की।
बीएसएनएल के 70 हजार टॉवरों में 14 हजार को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। इससे कम्पनी के सेवाओं पर गम्भीर असर पड़ेगा। सरकार सड़क, रेलवे ट्रैक, गैस और पेट्रोलियम पाइप लाइन को कारपोरेट के हाथों में सौंप रही है। बीएसएनएल (ईयू) ने माँग किया कि ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण‘ पाइपलाइन को खत्म किया जाए।