सीएम मनोहर लाल खट्टर ने आज हरियाणा के बजट सत्र मे अभिभाषण में घोषणा करते हुए कहा कि राज्य के 5 लाख से ज्यादा किसानों के कर्ज का ब्याज़ और पेनल्टी माफ़ की जाएगी। इस घोषणा को सुनकर हर कोई हरियाणा के मुख्यमंत्री की बलैयां लेना चाहेगा। लेकिन एक सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह घोषणा किन किसानों के लिए है? सवाल उठना लाजिमी है।
क्योंकि, अभी 13 फरवरी से हरियाणा और पंजाब के किसान एमएसपी की गारंटी के लिए आंदोलन कर रहे हैं। लगातार 10 दिनों से किसान हरियाणा के शंभू बार्डर पर दिल्ली कूच करने हेतु डटे हुए हैं। ऐसे में किसानों की यह घोषणा किसानों को कितना खुश कर सकती है?
सीएम ने बजट पेश करते हुए कहा कि, ‘जिन किसानों ने 30 सितंबर 2023 तक का कर्ज 31 मई 2024 तक जमा कराते हैं, उनका ब्याज और पैनाल्टी माफ होगा। साथ मुख्यमंत्री खट्टर ने एक बात और कही कि ‘मैं किसान का बेटा हूँ और किसान के दर्द समझता हूँ, मैंने खुद हल चलाया है खेती की।‘ इस बड़ी घोषणा और खुद को किसान का बेटा कहे जाने पर बाद मुख्य मीडिया बजट में लिए गए इस घोषणा को काफी प्रशंसा कर रहा है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बजट प्रस्तुत करते हुए कहा कि ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल’ पर यहाँ के 10 लाख किसान अपनी फसल की पूरी जानकरी उपलब्ध कराते हैं ताकि सरकार किसानों के लिए बाजार पर हस्तक्षेप कर रणनीति बना सकें। पोर्टल पर ब्योरा देख उनके आईटी में बात कहने वाले इन मुख्यमंत्री को जमीन पर अपने अधिकार की मांग करने के लिए उतरे किसान, किसान नहीं अपराधी लग रहे हैं।
जबकि संयुक्त किसान मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर ने मांग की है, सरकार एक दिन का संसद सत्र बुलाकर एमएसपी की गारंटी का बिल पेश करे। इस पर कोई भी ध्यान नहीं दिया गया।
इस तरह की घोषणा आने वाले 2024 के लोकसभा चुनावों को मद्देनज़र रखते हुए की गई है। यदि सीएम खट्टर वास्तव में किसानों के हितैषी होते तो एमएसपी की गारंटी की मांग करने वाले आंदोलनकारी किसानों के साथ दुश्मन जैसा व्यवहार नहीं करते।
हास्यास्पद बात यह है कि एक तरफ किसानों के ऋण माफी की घोषणा कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ शंभू बार्डर पर दिल्ली जाने वाले किसानों के लिए हरियाणा सीमा सील करने के साथ ही अनेक जिलों की इंटरनेट सेवाएँ भी स्थगित कर आंदोलनकारी किसानों को वापस भेजने का दबाव बनाने के लिए उन पर हिंसक कार्यवाही करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सीमा पर बुलडोजर, हाइड्रोलिक क्रेन, बुलेटप्रूफ पोकलेन जैसी भारी मशीनों के साथ पुलिस तैनात है। उन पर पेलेट गन से गोलियां चलाई गईं। हरियाणा सरकार किसानों को सीमा पर रोकने के सात-सात स्तर की बेरिकेडिंग किए हुए है। जैसे कोई दुश्मन सीमा पार करना चाहता है।
21 फरवरी को किसानों पर गोलीबारी की गई, जिसमें पंजाब के भटिंडा के बालोके गांव निवासी 22 वर्ष के युवा किसान शुभकरण सिंह की गोली लगने से मौत हो गई। और तीन किसान बुरी तरह से घायल हैं। बहुत से नौजवान लापता हैं।
पुलिस हरियाणा के एक बुजुर्ग किसान का हाथ-पैर तोड़कर बोरे में भरकर खेत में फेंक दिया। इतनी क्रूरता के बाद उन्होंने किसानों के लगभग 25 ट्रेक्टर्स और ट्रॉलियों की तोड़-फोड़ करते हुए नुकसान पहुंचाया है।
हरियाणा सरकार ने किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च के मद्देनजर बुधवार को सात जिलों में 23 फरवरी तक मोबाइल इंटरनेट और एक साथ कई संदेश (एसएमएस) भेजने की सेवाओं पर प्रतिबंध की समय सीमा बढ़ा दी है।
सरकार ने एक आदेश में कहा कि अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जिंद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध रहेगा।
वहीं अंबाला पुलिस ने आंदोलन और प्रदर्शन कर रहे किसानों पर रासुका के तहत कार्यवाही करने के भी निर्णय लिया है।
हरियाणा में डबल इंजन की सरकार है। ऐसे में यह उम्मीद कैसे की जा सकती है कि खट्टर द्वारा बजट में घोषित योजना का फायदा किसान को मिलेगा।
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