Monday, September 16, 2024
Monday, September 16, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमपूर्वांचलकेरल बजट : रबड़ की सिमटती खेती के प्रोत्साहन के लिए समर्थन...

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

केरल बजट : रबड़ की सिमटती खेती के प्रोत्साहन के लिए समर्थन मूल्य बढ़ाया गया

केरल सरकार ने अपने बजट में कृषि क्षेत्र के लिए 1698.30 करोड़ आबंटित किया है। रबड़ का MSP बढ़ाया है। केरल रबर की खेती का पारंपरिक क्षेत्र रहा है। बड़े पैमाने पर किसान इसमें लगे हुए हैं, लेकिन ताज़ा सर्वेक्षणों से पता चला है कि किसानों का रबर की खेती से मोहभंग हो रहा है। […]

केरल सरकार ने अपने बजट में कृषि क्षेत्र के लिए 1698.30 करोड़ आबंटित किया है। रबड़ का MSP बढ़ाया है। केरल रबर की खेती का पारंपरिक क्षेत्र रहा है। बड़े पैमाने पर किसान इसमें लगे हुए हैं, लेकिन ताज़ा सर्वेक्षणों से पता चला है कि किसानों का रबर की खेती से मोहभंग हो रहा है।

तिरुवनंतपुरम (भाषा) केरल के वित्त मंत्री के. एन. बालगोपाल ने सोमवार को विधानसभा में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए राज्य का बजट पेश किया। बजट में कृषि क्षेत्र के लिए 1,698.30 करोड़ रुपये आवंटित किए गए और रबड़ का न्यूनतम समर्थन मूल्य 170 से बढ़ाकर 180 रुपये किया गया है।

उन्होंने अत्यधिक गरीबी उन्मूलन के लिए 50 करोड़ रुपये अलग रखे और सहकारी क्षेत्र के लिए 134.42 करोड़ रुपये की घोषणा की।

मुख्यमंत्री पिनराई विजयन सरकार के लिए चौथा बजट पेश करते हुए बालगोपाल ने कहा कि हालांकि राज्य आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और केंद्र वित्तीय पाबंदियां लगा रहा है, लेकिन वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार विकास के मोर्चे पर कोई समझौता नहीं करेगी।

वित्त मंत्री ने कहा कि अगले तीन वर्षों में दक्षिणी राज्य में तीन लाख करोड़ रुपये का निवेश लाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि पारंपरिक कृषि क्षेत्र के लिए 1,698 करोड़ रुपये अलग रखे जाएंगे और पर्यटन क्षेत्र में 5,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘पर्यटन क्षेत्र बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2024-25 में इसके लिए 351 करोड़ रुपये आवंटित किए जा रहे हैं।’

रबड़ किसानों द्वारा इसके समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की बढ़ती मांग के बीच बालगोपाल ने इसमें 10 रुपये की बढ़ोतरी की घोषणा की।

उन्होंने कहा, ‘रबड़ का न्यूनतम समर्थन मूल्य 170 रुपये से बढ़ाकर 180 रुपये कर दिया गया है।’

गौरतलब है कि केरल में अभी 5.5 लाख हेक्टेयर में प्राकृतिक रबर की खेती की जाती है, लेकिन अगले 10-15 साल में इसमें 8-10 फीसद की गिरावट आएगी। हाल ही में रिटायर हुए रबर बोर्ड के प्रमुख केएन राघवन ने यह सलाह दी है कि  केरल में जिस तरह से रबर की खेती सिमट रही है, उसे देखते हुए देश के अन्य क्षेत्रों में भी इसकी खेती को बढ़ावा देना चाहिए।

केरल रबर की खेती का सबसे पारंपरिक क्षेत्र रहा है। बड़े पैमाने पर किसान इसमें लगे हुए हैं, लेकिन ताज़ा सर्वेक्षणों से पता चला है कि इन किसानों का रबर की खेती से मोहभंग हो रहा है। खेतों के वैसे मालिक जो पट्टे पर खेती के लिए अपनी जमीन देते हैं, उनमें भी ऐसा मोहभंग देखा जा रहा है। इस वजह से दिनोदिन प्राकृतिक रबर की खेती सिमट रही है।

उच्च शिक्षा क्षेत्र को अधिक समर्थन की घोषणा करते हुए मंत्री ने डिजिटल विश्वविद्यालय के लिए 250 करोड़ रुपये निर्धारित किये।

साथ ही उन्होंने कहा, ‘राज्य रेल परियोजना को साकार करने के अपने प्रयास जारी रखेगा। इस संबंध में केंद्र सरकार से बातचीत जारी है।’

मंत्री ने दक्षिणी राज्य की वित्तीय समस्याओं के लिए केंद्र की आर्थिक नीतियों और केरल की कथित उपेक्षा को भी जिम्मेदार ठहराया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here