सरकारों को बेचे जाने वाले इजरायली स्पाइवेयर यानी जासूसी करने वाले प्रोग्राम पेगासस की जद में भारत के दो और पत्रकार आ गए हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल की सुरक्षा लैब ने इस बात का उद्घाटन आज जारी एक बयान में किया है। इसमें एक पत्रकार आनंद मंगनाले लगातार अदाणी समूह के खिलाफ आर्थिक अनियमितता की कहानी कर रहे थे।
दो भारतीय पत्रकारों- संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और आनंद मंगनाले के मोबाइल फोन की फोरेंसिक जांच से पुष्टि हुई है कि उनके आइफोन को पेगासस स्पाइवेयर से निशाना बनाया गया था। यह अक्टूबर 2023 में हुआ।
भारत में पत्रकारों और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने के लिए पेगासस स्पाइवेयर के बार-बार इस्तेमाल का खुलासा पिछले दिनों हुआ है। ताजा जानकारी एमनेस्टी इंटरनेशनल ने वाशिंगटन पोस्ट को दी जिसके बारे में अखबार ने छापा है।
पेगासस को इजरायल का एनएसओ ग्रुप बनाता है और इसे देशों की सरकारों को बेचता है। भारत सरकार ने स्वीकार किया था कि उसने इजरायल से जासूसी करने वाला यह प्रोग्राम 2017 में खरीदा था।
एमनेस्टी इंटरनेशनल की सुरक्षा लैब के प्रमुख डोनाचा ओ सियरभैल ने कहा है, ‘’भारत में पत्रकारों को केवल अपना काम करने के लिए गैरकानूनी निगरानी के खतरे का सामना करना पड़ता है, साथ ही दमन के अन्य साधनों के साथ-साथ कठोर कानूनों के तहत कारावास, बदनामी अभियान, उत्पीड़न और धमकी का भी सामना करना पड़ता है।‘’
एमनेस्टी इंटरनेशनल की सुरक्षा लैब ने पहली बार जून 2023 में एक नियमित तकनीकी अभ्यास के दौरान भारत में पेगासस स्पाइवेयर के प्रयोग के संकेत देखे थे। कई महीनों बाद मीडिया ने रिपोर्ट किया था कि भारत सरकार एक नया वाणिज्यिक स्पाइवेयर खरीदना चाह रही थी। भारत में 20 से अधिक पत्रकारों और विपक्षी राजनेताओं के इसके मोबाइल में होने की सूचना मिली थी। परिणामस्वरूप, एमनेस्टी इंटरनेशनल की सुरक्षा लैब ने दुनिया भर के उन व्यक्तियों के फोन का फोरेंसिक विश्लेषण किया, जिन्हें ये सूचनाएं प्राप्त हुईं।
आनंद मंगनाले के फोन को निशाना बनाने की कोशिश उस समय हुई जब वे अदाणी समूह द्वारा शेयर मूल्यों में कथित हेरफेर पर एक कहानी कर रहे थे। इसके विस्तृत तकनीकी विश्लेषण और उससे जुड़े फोरेंसिक साक्ष्य एमनेस्टी टेक सिक्योरिटी लैब की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।
सिद्धार्थ वरदराजन को 2018 में पेगासस स्पाइवेयर से लक्षित किया गया था। सिद्धार्थ को 16 अक्टूबर 2023 को पेगासस के माध्यम से फिर से निशाना बनाया गया।
पेगासस प्रोजेक्ट के खुलासे के मद्देनजर 2021 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित एक तकनीकी समिति द्वारा सिद्धार्थ के उपकरणों का फोरेंसिक विश्लेषण किया गया था। 2022 में समिति ने अपनी जांच पूरी की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी रिपोर्ट के निष्कर्षों को सार्वजनिक नहीं किया है।