दरअसल, किसी भी साहित्य के लिए आवश्यक यही है कि उसके केंद्र में बड़े समूह का हित शामिल हो। मसलन जब हम कबीर को पढ़ते हैं तो कुछ ऐसा ही पाते हैं। हालांकि कबीर को पढ़ना आसान नहीं है। ऐसा अहसास तब होता है जब हम उनकी रचनाओं को पढ़ते हैं। हालांकि उनकी भाषा ऐसी नहीं है कि जिसे समझा ही नहीं जा सकता। दरअसल, कबीर अलहदा कवि रहे। उनकी भाषा में एक तरह रहस्य है। ऐसे बिंब हैं, जिनके अनेक अर्थ लगाए जा सकते हैं और यह कहना अधिक सत्य से निकट रहना होगा कि लगाए जाते रहे हैं।
कबीर की खासियत उनकी जबरदस्त शैली रही है। वह शब्दों का इतना खूबसूरत उपयोग करते हैं कि पढ़नेवाला बस उनकी सृजनतात्मकता के गहरे समंदर में डुबकियां लगाने लगे।अब उनकी एक साखी है। इसमें कबीर शब्दों से कैसे खेलते हैं, इसकी बानगी देखें–

[…] कबीर का अद्भुत साहित्य (डायरी 14 जून, 2022) […]
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