यह सजा ऐसे दिन सुनाई गई है जब पूरा देश आज बाल दिवस मना रहा है। आज पॉक्सो अधिनियम को लागू हुये 11 वर्ष भी हो गये हैं। 14 नवंबर 2012 को इस अधिनियम को लागू किया गया था। जिस समय दोषी आलम को सजा सुनाई गई, उस वक्त पीड़िता के माता-पिता अदालत में ही मौजूद थे। आलम को चार नवंबर को दोषी ठहराया गया था।
अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया था कि मामला दुर्लभतम श्रेणी में आता है और इसलिए दोषी को मौत की सजा दी जानी चाहिए। अभियोजन पक्ष ने कहा था कि सजा पर बहस के दौरान, आलम ने अदालत में दावा किया था कि अन्य आरोपियों को छोड़ दिया गया था तथा केवल उसे ही मामले में पकड़ा गया और इसके अलावा, उसने कोई अन्य दलील नहीं दी।
अदालत ने आरोपपत्र में आलम को सभी 16 अपराधों का दोषी पाया था।अभियोजन पक्ष ने पूर्व में कहा था कि 16 में से पांच अपराधों में मौत की सजा का प्रावधान है। उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई को प्रवासी मजदूर की बच्ची का उसके किराए के घर से अपहरण कर लिया गया और फिर दुष्कर्म के बाद गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी गई। बच्ची का शव पास के अलुवा में एक स्थानीय बाजार के पीछे दलदली इलाके में फेंक दिया गया था। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार किया गया था।
ज्ञात हो कि नाबालिग बच्ची को 28 जुलाई को उसके किराए के घर से अपहरण करने के बाद उसके साथ क्रूरतापूर्वक दुष्कर्म किया गया और गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी गई। लड़की का शव पास के अलुवा में एक स्थानीय बाजार के पीछे एक दलदली इलाके में एक ढेर में फेंका हुआ पाया गया था। यौन उत्पीड़न के बाद आरोपियों ने उसे धान के खेत में बुरी अवस्था में छोड़ दिया था। आरोपी आलम को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया गया।
इस मामले में, एर्नाकुलम सत्र अदालत ने अशफाक आलम नामक व्यक्ति को मौत की सज़ा सुनाई। न्यायाधीश ने कहा कि आलम किसी भी तरह की नरमी के पात्र नहीं हैं। पीड़िता के पिता एक प्रवासी श्रमिक हैं। जो आज सुनवाई के दौरान न्ययायालय में मौजूद थे। इस फैसले को लेकर उनका कहना है कि न्यायालय से उन्हें उचित न्याय मिला है।
कोच्चि(भाषा)। केरल की एक अदालत ने अलुवा में बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषी व्यक्ति को मंगलवार को मौत की सजा सुनाई। विशेष पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अदालत के न्यायाधीश के. सोमन ने बिहार की पांच वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के लिए एक प्रवासी मजदूर अशफाक़ आलम को मौत की सजा सुनाई।