दिल्ली। जो बात शीशे की तरह हफ्ते भर से साफ थी, लेकिन मुद्दई खुद उसे एक दिन पहले तक झुठलाए जा रहा था, वो सच साबित हुई। आज जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ गया। स्वाभाविक रूप से उनकी जगह बिहार के मुख्यमंत्री अब पार्टी की कमान संभालेंगे।
गुरुवार को ललन सिंह ने अपने इस्तीफे की खबरों को भाजपा की फैलाई अफवाह बताया था। अब जबकि उनका इस्तीफा हो चुका है, तो बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव नीतीश के एनडीए में जाने संबंधी खबरों को भाजपा की अफवाह बता रहे हैं।
आज की घटना ने यह संकेत दिया है कि जेडीयू में अभी सब कुछ थमा नहीं है। आगे बहुत कुछ होना बाकी है। जानकारों की मानें तो जेडीयू में आने वाले दिनों में टूट हो सकती है। ध्यान रहे कि भाजपा की लंबे समय से जेडीयू के कुछ विधायकों से बात चल रही थी।
सांगठनिक फेरबदल और टूट की संभावनाओं को एक तरफ रख दें, तो एक क्षेत्रीय दल के संगठन स्तर पर हुए इस राजनीतिक बदलाव की जबरदस्त चर्चा का सियासी गलियारों में होना बताता है कि इसके कहीं व्यापक राष्ट्रीय मायने हैं जिसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता। खासकर आगामी लोकसभा चुनाव के परिप्रेक्ष्य में नीतीश कुमार का औपचारिक रूप से जेडीयू का मुखिया बनना आगामी नए घटनाक्रम के संकेत देता है।
इस संबंध में यह याद करना जरुरी है कि जब जब नीतीश ने पार्टी की कमान अपने हाथ लेने के चक्कर में किसी बड़े नेता को साइडलाइन किया है, उन्होंने इसके बहाने राजनीतिक करवट की पृष्ठभूमि रची है।
अब तक कुछ बड़े नेता जिन्हें नीतीश ने अपने रास्ते से हटाया है उनमें ललन सिंह से पहले उपेंद्र कुशवाहा, जीतनराम मांझी, दिवंगत शरद यादव और जॉर्ज फर्नांडीज तक शामिल रहे हैं। इस संदर्भ में आज भाजपा नेता सम्राट चौधरी ने बिलकुल सटीक बयान दिया है कि ‘जेडीयू एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है।’
ललन सिंह के इस्तीफे पर आ रही प्रतिक्रियाओं में सबसे दिलचस्प प्रतिक्रिया मांझी की है जिनका कहना है कि उनकी कही यह बात शायद नीतीश के जेहन में रही हो कि तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना बहुत बुरा फैसला होगा।
VIDEO | "As far as I know, Lalan Yadav suggested the idea of appointing Tejashwi Yadav as CM, but CM (Nitish Kumar) didn't approve. When I resigned (in 2015), I expressed that if you think making me the CM was a big mistake, then making Tejashwi Yadav CM would be an even bigger… pic.twitter.com/7C1aBjcbl9
— Press Trust of India (@PTI_News) December 29, 2023
दरअसल, कहा जा रहा है कि ललन सिंह ने नीतीश को यह सलाह दी थी कि वे तेजस्वी को मुख्यमंत्री बना दें। इसी बात पर नीतीश नाराज थे। बिहार में लंबे समय से चर्चा है कि ललन सिंह अध्यक्ष तो जेडीयू के थे, लेकिन काम लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी के लिए कर रहे थे। इसीलिए नीतीश ने उन्हें निपटा दिया। जदयू नेता विजय कुमार चौधरी ने ललन सिंह के इस्तीफे की वजह चुनाव लड़ने की इच्छा बताई है।
VIDEO | "Our party president (Lalan Singh) expressed a desire to contest in the elections and informed the CM (Nitish Kumar) that he couldn't dedicate time to the party. The CM accepted his request," says JD(U) leader Vijay Kumar Choudhary. pic.twitter.com/AkzZnJPDfT
— Press Trust of India (@PTI_News) December 29, 2023
जानकारों की मानें तो राजनीतिक करवट बदलने से पहले नीतीश का यह पहला कदम है। अगले कदम के लिए खरमास के खत्म होने का इंतजार करना होगा।
बिहार से भाजपा के एक चुनावी रणनीतिकार ने बताया कि नीतीश धीरे-धीरे खेल रहे हैं और अंततः उन्हें एनडीए में ही आना है। नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने कहा, ‘बिहार चुनाव अगले साल है। इंडिया एलायंस की हालत खराब है। ऐसे में नीतीश कोई रिस्क नहीं ले सकते। भाजपा के डिप्टी सीएम के नाम तक पर उनकी बातचीत हो चुकी है। चौदह जनवरी के बाद इंडिया एलायंस को छोड़ने की वे औपचारिक घोषणा कर देंगे।”
संयोग से उत्तरायण के दिन ही राहुल गांधी की भारत न्याय यात्रा पूर्वोत्तर से शुरू हो रही है जो दो माह चलेगी। ऐसे में नीतीश यदि एलायंस छोड़कर गए तो कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किल हो जाएगी क्योंकि महाराष्ट्र में शिवसेना और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तरफ से भी संकेत अनुकूल नहीं हैं।