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जेएनयू में फिर लहराया वामपंथ का परचम, एबीवीपी को मुंह की खानी पड़ी

जेएनयू में वर्ष 2024 के छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी को हार का मुंह देखना पड़ा। 3 पदों पर वाम संगठनों ने कब्जा किया और एक पद पर बाफ्सा ने। इस नतीजे से एक बात साफ होती है कि छात्र, संघी मानसिकता को विश्वविद्यालय से हटाकर एक अच्छा माहौल बनाए रखना चाहते हैं।

मोदी राज में जेएनयू को बर्बाद कर देने के लिए उस पर तरह-तरह से हमले करने और वामपंथी छात्रों को टुकड़े-टुकड़े गैंग के रूप में बदनाम करने वाले संघी संगठन एबीवीपी को छात्रसंघ चुनाव में छात्रों ने धूल चटा दिया है। छात्रसंघ के चार पदों में से एक पर भी एबीवीपी के प्रत्याशी जीत हासिल नहीं कर सके।

अभी-अभी प्राप्त खबरों में छात्रसंघ चुनाव परिणाम की खबर आई है जिसमें अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और सचिव पद पर वामपंथियों का दबदबा कायम रहा, जबकि महासचिव पद पर बाफ्सा (बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट एसोसिएशन) ने कब्जा जमाया।

इस बार छात्रसंघ चुनाव में सभी राजनैतिक दलों के छात्र संगठनों ने हिस्सा लिया था। इस बार पिछले 12 वर्षों में सबसे ज्यादा 73 प्रतिशत मतदान हुआ। इस चुनाव में वामदलों और एबीवीपी के बीच कांटे का मुकाबला बताया जा रहा था लेकिन अंतिम गणना में मतों का अंतर देखकर लगता है कि एबीवीपी मुकाबले में बहुत पीछे छूट गया था। इससे यह साबित होता है कि वामपंथी संगठनों के प्रति छात्रों का विश्वास कम नहीं हुआ है।

अध्यक्ष पद पर धनंजय, उपधायक्ष पद पर अविजीत घोष, संयुक्त सचिव पद पर मोहम्मद साजिद चुने गए। ये तीनों प्रत्याशी संयुक्त वाम संगठनों के हैं जबकि महासचिव का पद बाफ्सा की प्रियांशी आर्या को मिला। गौरतलब है कि कई चुनावों में हार का सामना करते आ रहे बाफ्सा को पहली बार जीत मिली है। इस बार उसे वामपंथी संगठनों का समर्थन मिला था।

इसी तरह एक और उल्लेखनीय बात है कि अध्यक्ष पद पर विजयी हुए धनंजय सत्ताइस वर्षों बाद जितने वाले दलित प्रत्याशी हैं।

वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों और पिछले वर्षों में संघियों द्वारा जेएनयू को बदनाम करने और नुकसान पहुंचाने की कोशिशों के मद्देनजर यह चुनाव परिणाम विशिष्ट महत्व रखता है।

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