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रचनात्मक अभिव्यक्ति और बेजोड़ प्रतिबद्धता की मिसाल थे केपी शशि

सन् 1970 का दशक भारत में लगभग सभी क्षेत्रों में प्रतिरोध के आंदोलनों के उभार के लिए जाना जाता है। इस दशक में मजदूरों और कृषकों के संगठित…
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यह ‘विद्रोही’ भी क्या तगड़ा कवि था

नयी खेती शीर्षक कविता संग्रह के प्रकाशित होने के पहले रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ प्राय: एक गुमनाम कवि की जिंदगी जी रहे थे। ‘विद्रोही’ के आलोचक…
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भारत में सामाजिक अन्याय को ऐसे भी समझिए (डायरी 8 फरवरी, 2022)

सामाजिक अन्याय का कोई एक रूप नहीं होता और इसे अंजाम देनेवालों का पैंतरा भी कमाल का होता है।सबसे दिलचस्प यह कि अपना वर्चस्व कायम रखनेवाले…
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मेरा हमदम मेरा यार विद्रोही

जो लोग विद्रोही को केवल एक कवि के रूप में जानते हैं मैं उन्हें विद्रोही की एक दूसरी झलक दिखाना चाहता हूँ। जब वे एक क्रान्तिकारी छात्र-नेता…
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विद्रोही ऐसे कवि थे जो अपने गलत चित्रण का हमेशा विरोध करते थे

विद्रोही पर लेख लिखने की शुरुआत उन पर बनी फिल्म मैं तुम्हारा कवि हूँ देखने के बाद हुई। फिल्म देखने के बाद लगातार 2-3 दिन तक डिस्टर्ब रही, और…
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पद्मश्री रामचंद्र मांझी दलित हैं और क्या आप जानते हैं दलित होने का मतलब?(डायरी 10 नवंबर,2021)

दलित, पिछड़ा और आदिवासी होने का मतलब क्या है, इसे समझने के लिए इन समुदायों का होना आवश्यक है। यह मुमकिन ही नहीं है कि कोई ऊंची जाति का हो,…
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अपनी हिस्सेदारी का मतलब समझती हैं औरतें, उनका स्वागत किया जाना चाहिए डायरी (8 सितंबर, 2021)

वैसे तो यह कोई असामान्य बात नहीं है। घर का मुखिया जो भी काम करे, उसके परिजन उसी हिसाब से सोचते-विचारते हैं। घर का मुखिया यदि पायलट होगा तो…
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