प्रधानमंत्रीजी कर्नाटक को बचाइए। आपके चेले उसे बर्बाद करने पर आमादा हैं। कर्नाटक का बंगलौर हमारे देश की नाक है। यदि बंगलौर तक यह ज़हर पहुंच गया तो, जो कर्नाटक के कुछ हिस्सों तक पहुंच भी चुका है, सारी दुनिया में हमारे देश की छवि बिगड़ेगी। तकनीकी और विज्ञान की कोई ऐसी विधा नहीं है जो बंगलौर में न पाई जाती हो।
बरसों पहले पत्रकारों के एक सम्मेलन में मुझे बंगलौर जाने का मौका मिला था। उस समय वीरेन्द्र पाटिल कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने हम लोगों को रात्रि भोज पर निमंत्रित किया था। उस दौरान उन्होंने बड़े गर्व से हमें बताया था कि कर्नाटक में जितने इंजीनियरिंग कालेज हैं उतने पूरे देश में नहीं हैं। इसी तरह एक बार मुझे तत्कालीन राष्ट्रपति व्ही.व्ही. गिरी के साथ बंगलौर जाने का मौका मिला था। वहां उन्हें एक हेलीकाप्टर फैक्ट्री का उद्घाटन करना था। राष्ट्रपति ने अपने भाषण में पंडित नेहरू को उद्धृत करते हुए कहा था कि बंगलौर देश का सबसे बड़ा आधुनिक तीर्थस्थल है। उसके बाद से लेकर आजतक कर्नाटक, और विशेषकर बंगलौर, कितना बढ़ गया होगा इसकी कल्पना ही की जा सकती है।
यह भी पढ़ें…
क्या शुद्रातिशूद्र समाज ने शिवाजी के राज्याभिषेक की कीमत चुकाई?
किसी भी देश की प्रगति के लिए सामाजिक समरसता आवश्यक होती है। इसे भंग करने के लिए कर्नाटक में एकसाथ कई अभियान चलाए जा रहे हैं। इनमें हिजाब विरोधी आंदोलन, मंदिरों के आसपास से मुसलमानों की दुकानें हटवाने का अभियान और हलाल मांस न बिकने देने का आंदोलन शामिल हैं। और अब मस्जिदों में लाउडस्पीकर से अजान पर प्रतिबंध की मांग की जा रही है। जिस दिन ये अभियान बंगलौर पहुंच जाएंगे उस दिन वहां की वातावरण में जहर घुल जाएगा। और इस जहर से विकास की हवाएं बहना बंद हो जाती हैं।
अगोरा प्रकाशन की किताबें अब किन्डल पर भी…
ये जहर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध संस्थाओं के सदस्य फैला रहे हैं। यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन्हें फटकार दें तो वे इन गतिविधियों को रोक देंगे। परंतु मोदी जी अभी तक मूकदर्शक बने हुए हैं, यद्यपि उनका नारा ‘‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” है। कर्नाटक में जो कुछ हो रहा है वह इस नारे के ठीक विपरीत है। क्या मोदी अपना मौन तोड़ेंगे?
वरिष्ठ पत्रकार एलएस हरदेनिया, राष्ट्रीय सेक्युलर मंच के संयोजक हैं और भोपाल में रहते हैं।
[…] […]