देश और प्रदेश की वर्तमान सरकार सार्वजनिक मंचों से मजबूत सरकार होने की हुंकार भरती रही है। हुंकार में कोई कारक खराश पैदा कर दे, तो सरकार और उसके मातहतों के चेहरों पर हवाइयां उड़ने लगती हैं। सांस फूलने लगती है। ब्लडप्रेशर बढ़ने लगता है। नतीजा, मजबूत सरकार को एक साथ इतने प्रकार से डराने वाले कारक को येन-केन-प्रकारेण जेल भेज दिया जाता है। मजबूत सरकार के डरने का ताजा प्रकरण वाराणसी में हुआ। समाजवादी पार्टी के एक कार्यकर्ता ने महंगाई के विरोध में एक स्वांग रचा। स्वांग में वह एक सब्जी विक्रेता की दुकान पर टमाटर बेचते नजर आया। टमाटर को लूटे जाने से बचाने के लिए उसने दो बाउंसर भी तैनात किए। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने स्वांग की फोटो लगाते हुए ट्वीट कर दिया कि- भाजपा टमाटर को Z PLUS सुरक्षा दे।
भाजपा टमाटर को ‘Z PLUS’ सुरक्षा दे. pic.twitter.com/k1oGc3T5LN
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 9, 2023
अखिलेश यादव के ट्वीट से सरकार और प्रशासनिक अमले में हलचल बढ़ गई। सरकार को डरा रहे टमाटर बम को निष्क्रिय करने के लिए आनन-फानन में सब्जी विक्रेता और उसके पुत्र को लंका पुलिस ने धर लिया। सब्जी विक्रेता को हिरासत में लिए जाने के बाद अखिलेश यादव ने एक और ट्वीट कर दिया-
जिस देश-प्रदेश में स्वस्थ व्यंग्य और कटाक्ष के लिए स्थान न हो वहाँ समझ लेना चाहिए, दूसरों को डरानेवाली सत्ता, स्वयं डरी हुई है। ‘मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी’ की बात इस माहौल में बेमानी जुमला लगती है। देश के प्रमुखतम संसदीय क्षेत्र में लोकतंत्र का ये हाल है तो बाकी देश में क्या होगा।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 10, 2023
अखिलेश यादव के ट्वीट के बाद समाजवादी पार्टी की वाराणसी इकाई से जुड़े लोग लंका थाना पहुंच गए। सब्जी विक्रेता और उसके पुत्र को छुड़ाने के लिए घंटों चली पंचायत के बाद पुलिस ने दोनों को छोड़ने से इनकार कर दिया। बाद में पुलिस ने सब्जी विक्रेता के खिलाफ धारा 153-A , 295-A और 505(2) के तहत मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया। इसके बाद विकास प्राधिकरण और नगर निगम की टीम भी सक्रिय हुई। सब्जी विक्रेता की दुकान और घर पहुंच गई। जांच की गई कि दुकान और घर की लंबाई और चौड़ाई मानक के अनुसार है कि नहीं। विकास प्राधिकरण और नगर निगम ने सब्जी विक्रेता से उसकी दुकान और घर के कागजात मांगे।
सब्जी विक्रेता की गिरफ्तारी के संबंध में सपा प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी ने कहा कि यह सरकार मजबूत नहीं, मजबूर है। झूठ बोलने के लिए, महंगाई को रोकने में, भ्रष्टाचार को रोकने में यह सरकार मजबूर है। यह सरकार टमाटर के दाम को लेकर किए गए व्यंग्यात्मक विरोध पर सब्जी विक्रेता और उसके युवा पुत्र को जेल भेज देती है। प्रधानमंत्री विदेशों में जाकर भारत को ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ बताते हैं। उनके संसदीय क्षेत्र में एक व्यंग्यात्मक विरोध पर इतनी सख्त कार्रवाई हो रही हैं। प्रधानमंत्री से सवाल पूछा जाना चाहिए कि मदर ऑफ डेमोक्रेसी कहां है। जो लोग आपातकाल दिवस मनाते हैं, वो लोग किस मुंह से कह सकते हैं कि यह आपातकाल नहीं चल रहा है।
इस संबंध में कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि यह मजबूत नहीं, डरी हुई सरकार है। डरपोक सरकार है। डर के कारण ही ऐसी कार्रवाई की जा रही है। सब्जी विक्रेता का क्या दोष है? अगर कोई उसके यहां स्वांग करता है, तो सब्जी विक्रेता के खिलाफ कार्रवाई क्यों की जाती है? कार्रवाई करनी ही थी तो स्वांग करने वाले के खिलाफ करनी चाहिए थी। पुलिस ने सब्जी विक्रेता के खिलाफ जो धाराएं लगाई हैं, उससे तो उसका पूरा परिवार बर्बाद हो जाएगा।
किन प्रकरण में लगती है धारा 153-A , 295-A और 505(2)
153-A: धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और सद्भाव बिगाड़ने पर लगती है।
295-A: धार्मिक भावनाओं को आहत करने पर लगती है।
505(2): विभिन्न समुदायों के बीच झगड़ा लगाने की नीयत से लगती है।
सब्जी विक्रेता पर पुलिस द्वारा लगाई गई धाराओं के बारे में क्राइम बीट से जुड़े एक रिपोर्टर कहते हैं कि स्टेट की पुलिस है। कुछ भी कर सकती है।
हालांकि पुलिस ने सब्जी विक्रेता के खिलाफ रियायत बरती और उसके खिलाफ एनएसए (रासुका) लगाने की संस्तुति नहीं की। पुलिस की तरफ से सब्जी विक्रेता के खिलाफ दर्ज एफआइआर को कुछ सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी चुटकी लेते हुए ‘ऐतिहासिक एफआइआर’ बता रहे हैं।
पुलिस द्वारा दर्ज धाराओं और ऐतिहासिक एफआइआर में दी गई रियायत के बीच 12 जुलाई को सब्जी विक्रेता और उसके पुत्र की जमानत हो गई।
कमांडों और गनर की सुरक्षा में निकली सब्जी यात्रा
मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने सब्जियों की आसमान छूती कीमतों के विरोध में अनूठा विरोध प्रदर्शन किया। रायसेन में सागर भोपाल चौराहे से महामाया चौक तक कमांडों और गनर की सुरक्षा में सब्जी यात्रा निकाली। कांग्रेस नेताओं ने सब्जी की कीमतों पर भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया। कहा कि सरकार महंगाई पर अंकुश लगाने में पूरी तरफ विफल साबित हुई है।
पहले भी मजबूत सरकार को डराने वाले हुए हैं गिरफ्तार
मीरजापुर के हिनौता के प्राथमिक विद्यालय में मिड डे मील में नमक रोटी परोसे जाने का विडियो बनाने वाले स्वतंत्र पत्रकार पवन जायसवाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। पवन जायसवाल के साथ ग्राम प्रधान राजकुमार पाल के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हुआ था। आरोप लगाया गया कि प्रधान के साथ पत्रकार ने फर्जी तरीके और गलत मंशा से विद्यालय में मिड डे मील का विडियो बनाया और उसे वायरल किया। खंड शिक्षा अधिकारी की तहरीर पर पुलिस ने दोनों के खिलाफ आइपीसी की धारा 186, 193, 120B, 420 के तहत मुकदमा दर्ज किया था। पवन जायसवाल के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमे का संज्ञान प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने लिया था। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के दखल के बाद पुलिस ने पवन जायसवाल का नाम केस से हटा दिया था।
गौरतलब है कि कैंसर से पीड़ित पवन जायसवाल की इलाज के दौरान मई 2022 में मृत्यु हो गई।
मजबूत सरकार द्वारा बांधे गए ईमानदारी के बांध में लीक की सूचना देने पर बलिया में तीन पत्रकारों अजित ओझा, दिग्विजय सिंह और मनोज गुप्ता को जेल भेज दिया गया था। इन पत्रकारों को अपराध यह था कि इन्होने पेपर लीक होने की सूचना प्रशासन को दी थी। प्रशासन ने उस सूचना पर ध्यान नहीं दिया और परीक्षा करवा दी। बाद में पेपर लीक मामले को तूल पकड़ता देख विभागीय कारवाई की गई। साथ ही तीनों पत्रकारों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करवा दिया गया। 420 , 467, 471, आईपीसी व 4, 5, 10, व 66 डी के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया।
गौरतलब है कि 29 मार्च 2022 को हाईस्कूल की संस्कृत की परीक्षा थी। 28 मार्च की रात को ही बलिया में प्रश्नपत्र व मिलती-जुलती हल की हुई कॉपी वायरल हो गई। 29 मार्च की सुबह छह बजे पत्रकार अजीत ओझा ने इसे तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक को भेजकर जांच करने की बात कही। चार घंटे तक कोई जवाब नहीं आया। दस बजे डीएम इंद्रविक्रम सिंह ने फोन कर प्रश्नपत्र अपने व्हाट्सएप पर मांगा। पत्रकार ने वायरल पर्चा उन्हें भी भेज दिया। फिर भी वायरल प्रश्नपत्र से मिलते-जुलते पेपर से ही परीक्षा करवा ली गई। इसी बीच 29 मार्च की रात अंग्रेजी का पेपर भी वायरल हो गया। इसकी खबर अखबार में छपी भी। 30 मार्च को सुबह करीब साढ़े नौ बजे डीएम ने फोन कर अंग्रेजी का वायरल पेपर मांगा, तो पत्रकार ने उन्हें व्हाट्सएप कर दिया। आश्चर्यजनक रूप से उनके मांगे जाने पर ही भेजे पेपर को वायरल करना बताते हुए पत्रकार अजीत ओझा व अन्य पर केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
यूपी सरकार में माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री गुलाब देवी चंदौसी में एक कार्यक्रम में भाग लेने पहुंची। कार्यक्रम के दौरान एक यू-ट्यूबर पत्रकार सुरेश राणा ने एक के बाद एक सवाल पूछे। सुरेश राणा ने मंत्री से सवाल पूछा कि आपने कहा था कि बुद्धनगर खंडवा गांव मेरा अपना गांव है। इसको आपने गोद भी लिया था। आपने मंदिर पर खड़े होकर शपथ ली थी कि ये गांव मेरा है और मैं इस गांव की हूं। इसका विकास करवाऊंगी। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के जिला महामंत्री शुभम राघव ने यू-ट्यूबर पत्रकार संजय राणा के खिलाफ कोतवाली चंदौसी पुलिस को तहरीर देकर मारपीट का केस दर्ज कराया था। इसके बाद पुलिस ने संजय राणा के खिलाफ आईपीसी की धारा 323, 506 और 504 के तहत एफआइआर दर्ज की और सीआरपीसी की धारा 151 के तहत पत्रकार को गिरफ्तार कर लिया।
संभल में ग्राउंड रिपोर्टर संजय राणा ने BJP सरकार में मंत्री गुलाब देवी से विकास के मुद्दे पर सवाल पूछे तो मंत्री महोदया ने पत्रकार को जेल में डलवा दिया
ये BJP सरकार में अघोषित इमरजेंसी और तानाशाही नहीं तो और क्या है ?
BJP सिर्फ चाटुकार पत्रकारिता चाहती है ,सवाल पूछना मना है ?👇 pic.twitter.com/Ye3lsvtznO
— SamajwadiPartyMediaCell (@MediaCellSP) March 13, 2023
मजबूत सरकार अब कर रही फैसला ऑन द स्पॉट-
सपा कार्यकर्ता द्वारा टमाटर को लेकर किए गए स्वांग की खबर के लिए पीटीआई ने माफी मांग ली है। साथ ही खबर को डिलीट कर दिया।
Earlier today, PTI tweeted a story about a vegetable vendor in Varanasi hiring bouncers in light of high price of tomatoes. It has since come to our notice that the vendor is a worker of the Samajwadi Party, and his motive for giving us the information was questionable. We have,…
— Press Trust of India (@PTI_News) July 9, 2023
गनीमत रही कि खबर करने वाले रिपोर्टर को नौकरी से हाथ नहीं धोना पड़ा। यही रिपोर्टर जब एक न्यूज चैनल में कार्यरत था, तब एक प्रेस वार्ता के दौरान सरकार के नंबर दो से कुछ सवाल पूछे थे। प्रेस वार्ता के बाद सरकार के नंबर दो ने उससे कहा कि- तुम्हारे मालिक से बात करनी पड़ेगी।
एक समाचार पत्र के रिपोर्टर ने बनारस में प्रधानमंत्री के एक आयोजन की खबर लिखी। खबर में यह जानकरी भी दी कि जितनी कीमत के उपकरण बांटे गए, उससे अधिक इस आयोजन पर खर्च हुआ। इसके बाद सरकार के नंबर दो का फोन अखबार के मालिक के पास जाता है। अगले ही दिन उसकी बीट बदल दी जाती है। यहां भी गनीमत रही कि रिपोर्टर की नौकरी बच गई।
अमेठी में स्मृति ईरानी से सवाल जवाब करना एक पत्रकार को भारी पड़ गया। सरकार से सवाल पूछना, जो कि अब अघोषित रूप से अपराध घोषित हो गया है, के जुर्म में उसे नौकरी से निकाल दिया गया।
स्मृति ईरानी जी कल जिस पत्रकार को धमका रही थीं। आज उसकी नौकरी चली गई।
पत्रकार ने स्मृति जी से सवाल करने का गुनाह किया था, नौकरी खत्म।
इतनी नफरत? https://t.co/99aLMSClcE
— Congress (@INCIndia) June 10, 2023
12 जुलाई को भाजपा सांसद और महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपित बृज भूषण शरण सिंह ने एक इंग्लिश न्यूज चैनल की महिला पत्रकार के साथ अभद्रता की। महिला पत्रकार बृज भूषण शरण सिंह से महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न और दिल्ली पुलिस द्वारा इस प्रकरण में दाखिल की गई चार्जशीट के बारे में सवाल पूछ रही थी। सवाल-जवाब के दौरान बृज भूषण शरण सिंह महिला पत्रकार को धमकाने के अंदाज में कुछ नहीं पूछने को कहते हैं। यही नहीं, जब वे अपनी गाड़ी में बैठ रहे होते हैं, उस समय महिला पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल को नजरंदाज करते हुए झटके से गाड़ी का दरवाजा बंद करते हैं। दरवाजे के धक्के से महिला पत्रकार के हाथ से माइक आईडी छूट जाती है और जमीन पर गिर जाती है।
इनका तेवर देखिये! लग रहा है देश के लिए मेडल यही महानुभाव जीत कर लाये हैं।
भाजपा को शर्मिंदा होना चाहिए अपने इस नेता पर। लेकिन, वो क्यों हो? वह तो अपराधियों, बलात्कारियों का संरक्षण गृह बन चुका है।
देखते हैं, एक महिला मीडियाकर्मी के साथ इतना बुरा बर्ताव होने पर गोदी मीडिया किस… pic.twitter.com/NQwEfDQrLx
— UP Congress (@INCUttarPradesh) July 12, 2023
अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है कि बाउंसर लगाकर टमाटर बेचे जाने की खबर किसी यूट्यूब चैनल या लोकल मीडिया पोर्टल ने चलाई होती, तो अब तक खबर बनाने वाला जेल में होता। यह भी हो सकता है उसके घर या संस्थान पर ईडी का छापा भी पड़ जाता।
टमाटर प्रकरण में लगभग एकगुट हुई स्थानीय मीडिया
टमाटर की खबर को ‘प्लांट’ किए जाने की चर्चा के बीच स्थानीय मीडिया लगभग एकगुट हो गई है। गुट कई हैं, पर वे किसी एक प्रकरण को लेकर, चुनिंदा प्रकरण को लेकर एकगुट भी होते रहे हैं। कुछ वर्ष पहले मणिकर्णिका घाट पर लाशों पर लगने वाले सट्टे की एक खबर पर कई गुटों में बटी स्थानीय मीडिया एकगुट हुई थी। दबी जबान के समवेत स्वर में मांग की थी कि खबर करने वाले पत्रकार के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। सपा कार्यकर्ता द्वारा टमाटर को लेकर किए स्वांग को लेकर स्थानीय मीडिया दबे स्वर में लगभग एकगुट है।
‘एक्सक्लूसिव’ प्लांट किए जाने की परिपाटी पुरानी है। पत्रकार को मौलिक एक्सक्लूसिव के लिए प्लांट का सहारा लेना पड़ता रहा है। सोशल मीडिया और स्मार्टफोन की संख्या बढ़ने से प्लांट की गई एक्सक्लूसिव खबरें दुर्लभ हो चली हैं। अब जिस आम नागरिक के पास स्मार्टफोन है, उसके पास कई एक्सक्लूसिव विजुअल हैं। अब सीसीटीवी कैमरों के पास भी एक्सक्लूसिव विजुअल हैं।
जब स्मार्टफोन और सोशल मीडिया का इतना प्रभाव नहीं था, जब दूरभाष के क्षेत्र में डिजिटल क्रांति नहीं हुई, तब एक्सक्लूसिव का अर्थ टीआरपी का अंडा देने वाली ऐसी मुर्गी से था, जिसकी तलाश में अनगिनत नौटंकियां रच दी गईं। उन नौटंकियों की पहचान लोक कला मर्मज्ञ नौटंकी के रूप में इसलिए नहीं कर पाए, क्योंकि उन्हें रचने वालों ने अपनी पहचान जाहिर नहीं होने दी। उन्होने खुद को कभी नौटंकीकार नहीं कहा। पत्रकार ही कहा।
डिजिटल क्रांति के पहले फिल्म सिटी या अपने ऑफिस तक विजुअल भेजने के इक्का-दुक्का सेंटर ही थे। डीवी वाले कैमरों का जमाना था। उस जमाने में किसी के हाथ एक्सक्लूसिव विजुअल लग जाता था, तो वो खुद को जिला बदर घोषित कर देता था। जिलाबदर की कई घटनाओं में से एक घटना का वर्णन-
एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज के दौरान एक मौत हुई। परिजन अस्पताल पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए हंगामा करने लगे। अस्पताल में मौजूद एक सूत्र ने इसकी सूचना अपने खास मीडिया मित्र को दी। मीडिया मित्र ने सूत्र से कहा- हंगामा करने दो। तोड़फोड़ मत करने देना। मैं पहुंचता हूं। मीडिया मित्र जब अस्पताल पहुंचे, तब लंबित तोड़फोड़ हुई। मीडिया मित्र ने उसका एक्सक्लूसिव विजुअल बनाया। अपने चैनल को भेज दिया।
उनके चैनल पर एक्सक्लूसिव चला तो, दूसरे चैनल के असाइनमेंट से अन्य मीडिया मित्रों को फोन आने लगे। अन्य मीडिया मित्रों ने जब एक्सक्लूसिव बनाने वाले मीडिया मित्र से विजुअल की चिरौरी की, तो उन्होने बताया- मैं तो आजमगढ़ आ गया हूं। जिसमें विजुअल है, वो डीवी भी मेरे पास ही है।
प्रेस इंडेक्स में देश की स्थिति-
पत्रकारिता की स्वतंत्रता के लिए कार्य करने वाले अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा 3 मई 2023 को जारी की गई रिपोर्ट ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2023’ में भारत 161वें पर है। यह रिपोर्ट 180 देशों में पत्रकारिता की स्थिति का विश्लेषण कर जारी की गई थी। 2022 में भारत 180 देशों में 150वें नंबर था।
🔴 #RSFIndex RSF unveils the 2023 World Press Freedom Index:
1: Norway 🇳🇴
2: Ireland 🇮🇪
3: Denmark 🇩🇰
24: France 🇫🇷
26: United Kingdom 🇬🇧
45: United States 🇺🇸
68: Japan 🇯🇵
92: Brazil 🇧🇷
161: India 🇮🇳
136: Algeria 🇩🇿
179: China 🇨🇳
180: North Korea 🇰🇵https://t.co/5hHMzwc8KJ pic.twitter.com/Ji3HZcCywo— RSF (@RSF_inter) May 3, 2023
2023 की रिपोर्ट में कहा गया है कि, ‘‘अन्य स्थिति जो सूचना के मुक्त प्रवाह को खतरनाक रूप से प्रतिबंधित करती है, वह नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखने वाले कुलीन वर्गों की ओर से मीडिया संस्थानों का अधिग्रहण है।’’ उत्तराखंड के चमियाला में अप्रैल 2023 में आयोजित 31वें उमेश डोभाल स्मृति समारोह में प्रेस की स्वतंत्रता पर वरिष्ठ पत्रकार शंकर सिंह भाटिया ने कहा था कि, ”पहले सारी खबरें रिपोर्टर ही तय किया करते थे। आज दिल्ली से ही बता दिया जाता है कि खबर कैसे लिखनी है। आठ साल पहले मैंने अखबार की नौकरी छोड़ दी थी, क्योंकि मुझे लग गया था कि अब हम इस माहौल में काम नहीं कर पाएंगे। आज मीडिया की हालत बहुत खराब है। स्वतंत्रता से लिखना सम्भव नहीं हो पा रहा है।”
सरकार ने अपनी जनता चुन ली है। जो उसकी जय-जयकार करेगी, वो उसके साथ टिफिन करेगी। जो सवाल उठाएगी, वो जेल की रोटी तोड़ेगी। विडम्बना है कि सरकार ने जो अपनी जनता चुनी है, उसमें प्रेस का बड़ा हिस्सा भी शामिल हो गया है। सरकार के कदमों के नीचे कालीन की तरह बिछकर सरकार की थाली में खाकर सेल्फी लेकर लहालोट हो रहा है। सरकार का भोंपू बने मीडिया मित्र स्टूडियो में सांप्रदायिकता, धार्मिक विद्वेष बढ़ाने वाली डिबेट प्लांट कर रहे हैं। खबरें प्लांट कर रहे हैं। रांची की बात पर कराची पहुंच जाते हैं, हंसुआ के बियाह में खुरपी के गीत गाते हैं। बदले में मुकदमे की जगह पुरस्कार पाते हैं। उपकृत होते हैं। जो ऐसा नहीं कर रहे हैं, वे प्रेस इंडेक्स को देख रहे हैं, और जेल भेजे जा रहे हैं।