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सरकारी उपेक्षा का शिकार, पांच साल से पुनर्निर्माण की राह देख रहा है अनुसूचित जाति-जनजाति बालक छात्रावास

पिछले 50 वर्षों से न जाने कितने छात्रों ने इस छात्रावास में पढ़कर अपने सपने पूरे किए, इसी हॉस्टल से पढ़कर डॉक्टर-मास्टर-इंजीनियर-पीसीएस बने। आज यह छात्रावास अपनी जर्जर अवस्था पर आंसू बहा रहा है।

शहर फतेहपुर आबू नगर जीटी रोड के बगल स्थित एकमात्र अनुसूचित जाति, जनजाति बालक छात्रावास (राजकीय छात्रावास) पिछले कई सालों से सरकारी उपेक्षा का शिकार है। पिछले 50 वर्षों से न जाने कितने छात्रों ने इस छात्रावास में पढ़कर अपने सपने पूरे किए, इसी हॉस्टल से पढ़कर डॉक्टर-मास्टर-इंजीनियर-पीसीएस बने। आज यह छात्रावास अपनी जर्जर अवस्था पर आंसू बहा रहा है।

पूर्व सभासद और सामाजिक कार्यकर्त्ता धीरज कुमार इस छात्रावास के पुनर्निर्माण के लेकर लम्बे समय से सक्रिय हैं। वह बताते हैं कि, ‘यह छात्रावास पूरे फतेहपुर में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के उन बच्चों का सहारा था, जो गरीब थे, जिनके पास शहर में रहने का कोई ठिकाना नहीं था। वह इस छात्रावास से पढ़कर अपने सपने साकार करना चाहते थे। इस छात्रावास का भी अपना एक इतिहास रहा है। यह छात्रावास कभी शिक्षा का केंद्र हुआ करता था। यहां के बच्चे यूपी बोर्ड की मेरिट लिस्ट का हिस्सा हुआ करते थे। जीआईसी के बगल में अच्छी बिल्डिंग होने की वजह से यह सदैव आकर्षण का केंद्र था। यह छात्रावास छात्र राजनीति का केंद्र भी हुआ करता था। यहां पर डिग्री कॉलेज होने की वजह से जो भी छात्र, छात्र संघ का चुनाव लड़ते थे, उन्हें राजनीति में आगे बढ़ने में मदद मिलती थी। धीरज कहते हैं कि इस छात्रावास के पुनर्निर्माण के लिए 2018 से लगातार ज्ञापन दिया जा रहा है। पहला ज्ञापन 18 अप्रैल, 2018 को तत्कालीन जिलाधिकारी अंजनेय कुमार को दिया गया था।

ज्ञापन सौंपने के दौरान

2019-2020 में कोविड महामारी की वजह से यह ज्ञापन ठंडे बस्ते में चला गया। समाज कल्याण विभाग द्वारा इस पर थोड़ी कार्यवाही दिखाई गई थी, पर कोई ठोस परिणाम नहीं आने पर 6 नवंबर, 2020 को पुनः ज्ञापन दिया गया। उसके बाद 20 जनवरी, 2021 को तहसील दिवस में जर्जर छात्रावास के पुनर्निर्माण के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया।

धीरज बताते हैं कि इस छात्रावास में 2018 तक कुछ बच्चे पढ़ा करते थे। वहां के छात्रों ने उस समय बताया था कि हम लोग मजबूरी में यहां पर पढ़ रहे हैं। इस बावत तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी ने बताया था कि यह छात्रावास ‘कंडम’ घोषित कर दिया गया है। यहां से छात्रों को निकालने का ‘अल्टीमेटम’ दे दिया गया है। इसके बाद नवम्बर 2018 तथा सितंबर 2018 में  जिलाधिकारी को वापस ज्ञापन दिया गया था।

इतनी कार्रवाई के बाद आईआरडीएस में प्रार्थना पत्र देने के बाद समाज कल्याण विभाग द्वारा यह बताया गया कि छात्रावास के पुनर्निर्माण के लिए वहां से प्रोजेक्ट बन गया है। तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री के फतेहपुर आगमन पर इस जर्जर छात्रावास के पुनर्निर्माण के लिए ज्ञापन सौंपा गया। उन्होंने तत्काल इसकी फाइल तलब की, पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।

सरकार पिछले 5 वर्षों से लगातार तमाम मदों पर पैसा खर्चा कर रही है। जिले भर में तमाम निर्माण हो रहे हैं। अनुसूचित जाति, जनजाति के नाम पर तमाम योजनाओं पर खर्च किया जा रहा है, पर इस जर्जर छात्रावास के पुनर्निर्माण की दिशा में अब तक कोई कार्य नहीं हुआ है। समाज कल्याण अधिकारी तथा अन्य अधिकारियों से बात करने पर यह बताया जाता है कि ‘फाइल ऊपर चली गई है। हमने 100 छात्रों का छात्रावास बनवाने के लिए प्रोजेक्ट भेज दिया है।’

आज तक इसके पुनर्निर्माण के लिए कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। आज भी यह छात्रावास अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है।

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