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दस बरस पहले बनी थी वाराणसी के कादीपुर की सड़क, अब पैदल चलना भी दूभर

वाराणसी के शिवपुर का हाल, गली में इधर-उधर फेंका जाता है कूड़ा, महज चित्रकारी तक सीमित रह गया स्वछता अभियान वाराणसी। शिवपुर में सफाईकर्मी मनमाने हो गए हैं। जब मन चाहा तब झाड़ू लगाने आ गए। उनका ऐसा ‘मन’ भी दो-तीन हफ्ते बाद ही बनता है। यह कहकर वीरेंद्र कुमार जोर से हँसने लगते हैं। […]

वाराणसी के शिवपुर का हाल, गली में इधर-उधर फेंका जाता है कूड़ा, महज चित्रकारी तक सीमित रह गया स्वछता अभियान

वाराणसी। शिवपुर में सफाईकर्मी मनमाने हो गए हैं। जब मन चाहा तब झाड़ू लगाने आ गए। उनका ऐसा ‘मन’ भी दो-तीन हफ्ते बाद ही बनता है। यह कहकर वीरेंद्र कुमार जोर से हँसने लगते हैं। दरअसल, बनारस में एक बनारसी इसी अंदाज में गलती करने वालों के कान ऐंठकर उन्हें शर्मिंदा कर देता है। यह हाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के  शिवपुर के वार्ड नंबर नौ का है। शिवपुर बाजार से कांशीराम आवास जाने वाले मार्ग पर ठेला लगाकर पान-मसाला बेचने वाले वीरेंद्र कुमार लगभग दस वर्ष से इसी स्थान पर ठेला लगाते आ रहे हैं। वह बताते हैं कि इस मार्ग का पुराना कूड़ा घर पीछे शिफ्ट कर दिया गया है बावजूद इसके दुर्गंध से राहत नहीं मिलती। चूंकि बारिश की शुरुआत हो गई है, अब इस मार्ग पर अव्यवस्थाएँ काफी मिलेंगी। यहाँ सफाई का आलम यह है कि मुझे तो अपने ठेले के आजू-बाजू भी खुद सफाई करनी पड़ती है। इस काम में लगभग आधा-पौन घंटा चला जाता है। अब इसकी आदत हो गई है, इसलिए दुकान के समय से आधा घंटे पहले ही आ जाता हूँ। जिस दिन सफाईकर्मी यहाँ झाड़ू लगाते हैं, उस दिन काम थोड़ा बढ़ जाता है, क्योंकि वह सारा कूड़ा मेरे ठेले के बगल में ही लगा देते हैं। कूड़ा गाड़ी भी यहीं खड़ी कर देते हैं।

वीरेंद्र कुमार

शिवपुर के इस वार्ड का क्षेत्रफल भी पहले की अपेक्षा काफी बड़ा हो गया है। नॉर्मल स्कूल से शिवपुर स्टेशन और वहाँ से कांशीराम आवास का इलाका इसी वार्ड का हिस्सा है। पहले यहाँ के सभासद समाजवादी पार्टी के राजेश पासी थे। अब यह क्षेत्र भाजपा के बलराम कन्नौजिया सम्भाल रहे हैं। नगर निकाय के पिछले चुनाव में महापौर भी भाजपा प्रत्याशी अशोक तिवारी चुने गए।

मुश्किल है इन रास्तों पर सफ़र

शिवपुर में मूलभूत समस्याएँ काफी थीं। इसी कारण यहाँ के लोगों ने भाजपा उम्मीदवार को अपना नेता चुना। यहाँ के रहवासी आशंका जताते हैं कि ‘कई वार्डों में विकास कार्य इसलिए नहीं हो पा रहा है क्योंकि वहाँ दूसरी पार्टी के पार्षद हैं। वर्तमान में महापौर की सीट पर भाजपा प्रत्याशी विराजमान हैं। विकास कार्यों के लिए वह अपनी पार्टी के लोगों को सबसे पहले ‘फंड’ देते हैं!’

अशोक आनंद

शिवपुर के कादीपुर में सड़कों की समस्या बरसों से बरकरार है। इस पर सामाजिक कार्यकर्त्ता और अशोक मिशन स्कूल के प्रबंधक अशोक आनंद कहते हैं कि यहाँ शांतेश्वर मंदिर से लेकर कादीपुर जाने वाला मार्ग काफी खराब हो चुका है। अंदर की स्थिति और भी दयनीय है। जलजमाव के कारण आमजन को आने-जाने में काफी दिक्कतें होती हैं। जर्जर मार्गों पर वाहन भी फंस जाते हैं। काफी देर तक जाम भी लग जाता है। सम्बंधित विभागों को यह सोचना चाहिए कि यहाँ भी आम नागरिक रहते हैं, यहाँ भी विकास की आवश्यकता है। इस मार्ग पर बच्चों को काफी दिक्कतें होती हैं। अभिभावक जब बच्चों को स्कूल में छोड़ने या ले जाने आते हैं तब इस जर्जर मार्ग के कारण उन्हें भी तमाम कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। कादीपुर में पिच रोड बने लगभग दस बरस हो गए हैं। उसे भी फिर से बनवाया जाना चाहिए। सीवर का काम भी उसी समय में हुआ है। उसके बाद कभी मरम्मत नहीं हुई।

राहुल गिरी

शिवपुर के राहुल गिरी बचपन से ही विकलांग हैं। प्राइवेट जॉब करते हैं। ऑटो से जब वह अपने घर आते हैं तो उन्हें स्थानीय बाजार में उतरना पड़ता है। वहाँ से उन्हें पैदल कांशीराम आवास मार्ग स्थित अपने घर जाना होता है। रास्ते में पड़ने वाले कूड़ाघर की दुर्गंध से उनका दिमाग झन्ना जाता है। नाक पर रुमाल रखने के बावजूद दुर्गंध से राहत नहीं मिलती। राहुल बताते हैं कि पैदल चलने के दौरान ज़्यादा देर तक नाक-मुँह बंद भी नहीं कर सकता। साँस फूलने लगती है। अभी बारिश का मौसम है तो दुर्गंध की समस्या और बढ़ जाती है। पानी लगने के बाद इसी गंदगी से होकर जाना पड़ता है। विकलांग हूँ, इसलिए असहज तरीके से चलने के दौरान पूरी पैंट खराब हो जाती है। ऐसे में हर बार पैंट साबुन से धोना पड़ता है। राहुल कहते हैं कि कूड़ा घर की सफाई तो हुई है लेकिन दुर्गंध से राहत नहीं मिली। यहाँ सड़कों का हाल भी बदहाल है।

गंदगी से बोलता बतियाता दीवार पर सजा स्वच्छता अभियान।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सफाई अभियान की पोल शिवपुर से कांशीराम आवास मार्ग पर खुल जाती है। अभी शहर के अन्य स्थानों की रिपोर्ट बाकी है। खैर, कूड़ा घर से सटी दीवार पर नगर निगम ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 की खुबसूरत चित्रकारी करवाई है। उस दीवार के किनारे आठ-दस फीट से लगायत मिट्टी और काई की मोटी परत कई मीटर की दूरी तक जमी हुई है। सीवर के टूटे पाइप रखे गए हैं। दुर्गंध की समस्या अलग ही कहानी कह रही है। कूड़ा घर के सामने लगे गंदे पानी से दूरी बनाकर आमजन आवाजाही कर रहे हैं। उस गंदगी को देखकर अधिकतर लोग मुँह भी बिचका रहे हैं। दीवारों पर ‘स्वच्छता स्लोगन’ के ठीक नीचे का यह हाल सम्बंधित विभागों पर कई सवाल खड़े कर रहा है।

बारिश में इस रास्ते पर होती है फिसलन।

कूड़ा घर के पास से गुजरने पर लोग अपने नाक-मुँह बंद कर लेते हैं। ऐसे में यह शोचनीय और गम्भीर विषय है कि यहाँ आस-पास रहने वालों की क्या दुर्दशा होती होगी। इस स्थिति को बताते हुए कूड़ा घर के सामने यानी सड़क के उस पार रहने वाले अंशुमान सिंह अपने घर के बरामदे की तरफ इशारा करते हैं। वह कहते हैं कि गर्मी हो या कोई अन्य मौसम, इस दरवाजे और खिड़कियों को हम नहीं खोलते। बावजूद इसके दुर्गंध में हम रहने को मजबूर हैं। बरसों की शिकायत के बाद कूड़ा घर तो यहाँ से शिफ्ट कर दिया गया है लेकिन दुर्गंध अभी भी बरकरार है। हैरत तब होती है जब सुबह घर का दरवाजा खोलता हूँ। देर रात से भोर तक यहाँ काफी कूड़ा फेंक दिया जाता है। किस-किस को मना करूँ? शिकायत पर स्थानीय सभासद ने यहाँ नोटिस चिपका दिया है। कूड़ा फेंकना तो कम हो गया है, लेकिन दुर्गंध की समस्या खत्म नहीं हुई है।

राजेश सोनकर

राजेश सोनकर कांशीराम आवास के पास रहते हैं। सड़क से डेढ़ किलोमीटर दूर वह हर दिन पैदल जाते हैं। ऑटो वाले सड़क से कांशीराम आवास जाने वास्ते पाँच रुपये प्रति सवारी लेते हैं। महंगाई से परेशान राजेश ऑटो से न जाकर महीने का डेढ़ सौ रुपये बचा लेते हैं। चूंकि, राजेश जैसे सैकड़ों लोग प्रतिदिन इस मार्ग पर आवाजाही करते हैं। कादीपुर से लगायत इस मार्ग पर काफी समस्याएँ हैं। उबड़-खाबड़ रास्ते की समस्या से लोग जूझ रहे हैं।

रास्ता खराब होने का कारण पूछने पर स्थानीय लोग बताते हैं कि कादीपुर के अंदर जमीनें काफी सस्ती थीं। वहाँ लोग तेजी से बसते गए, आज भी बस रहे हैं। कई जमीनों पर कंस्ट्रक्शन का काम प्रतिदिन हो रहा है। भारी-भरकम सामान लादकर वाहनों के आने-जाने से यह दुर्दशा हुई है। चाहे लोग कार से आवें या सायकिल से, इसका खामियाजा यहाँ रहने वाले सभी लोगों को भुगतना पड़ रहा है। सबसे ज़्यादा दिक्कत तब होती है, जब दोनों साइड से कोई बड़ा वाहन आ जाता है। कोई भी एक वाहन को पीछे जाकर किसी गली में घुसना पड़ता है।

कादीपुर के दुर्गानगर कॉलोनी में अधिकतर स्थानों पर डमरू ईंट उखाड़कर किनारे रख दिए गए हैं। उखड़े स्थानों की मिट्टी जगह-जगह धंस गई है। बारिश के दिनों में यह गड्ढे समझ में नहीं आते और लोग हादसों का शिकार हो जाते हैं। इन गड्ढों में कार और अन्य बड़े वाहनों के पहिए जब फंस जाते हैं तो समस्या और विकराल हो जाती है। स्थानीय गुड्डू मौर्या बताते हैं कि कुछ दिन पहले गैस कनेक्शन वालों ने पूरी कॉलोनी में जगह-जगह डमरू ईंटों को उखाड़ दिया। वह लोग पाइप बिछाकर घरों में गैस कनेक्शन देकर चले गए। गुड्डू बताते हैं कि उस दरम्यान एक-दो लोगों ने उनसे ईंटों को वापस लगाने के लिए कहा तो उन कर्मचारियों ने यह कह मना कर दिया किया कि- यह हमारा काम नहीं है, इसके लिए दूसरे विभाग के लोग आएँगे।

कूड़ा उठान की है गम्भीर समस्या

कादीपुर-दुर्गा नगर कॉलोनी में जगह – जगह बिखरा कूड़ा।

कादीपुर की गलियों और दुर्गा नगर कॉलोनी में कई खाली प्लॉट ऐसे हैं, जिन्हें ‘कूड़ा घर’ बना दिया गया है। यहाँ कूड़ों के ऊँचे-ऊँचे ढेर बने हुए हैं। कुछ-कुछ समय पर किसी न किसी घर से इन प्लॉटों पर कूड़ा उछालकर फेंक दिया जाता है। इस समस्या के बावत स्थानीय लोग बताते हैं कि दूसरी गलियों के लोग भी यहीं आकर कूड़ा डम्प कर देते हैं। यह काम देर रात में होता है, क्योंकि उस समय कॉलोनीवासी सोते हैं, कोई देख भी नहीं सकता। शर्मनाक यह है कि सफाईकर्मी भी इन कूड़ों की सफाई नहीं करते हैं।

बलराम कन्नौजिया

इन सब समस्याओं के बावत स्थानीय सभासद बलराम कन्नौजिया बताते हैं कि मेरे कार्यकाल को अभी तीन ही महीने हुए हैं। मैं प्रयासरत हूँ कि इलाके की समस्याएँ काफी कम हो जाएँ। मैं अपने प्रतिनिधियों द्वारा सफाई की समस्या का समाधान करवा रहा हूँ। कूड़ा घर पर कुछ दिन पहले ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करवाया गया था। दुर्गंध की शिकायत सम्बंधित जेई और सुपरवाइजर से की गई है। एक-दो दिन में यहाँ मलबा गिरवाया जाएगा। क्षेत्र में पानी की समस्या है, उस पर भी काम हो रहा है।

अमन विश्वकर्मा
अमन विश्वकर्मा
अमन विश्वकर्मा गाँव के लोग के सहायक संपादक हैं।

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