प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मस्जिद समिति का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी की दलीलें सुनने के बाद कहा, मामला खारिज किया जाता है। पीठ ने कहा, ‘हमें उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए… उच्च न्यायालयों में यह एक बहुत ही मानक प्रथा है। यह उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के दायरे में होना चाहिए।’
अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा एकल न्यायाधीश पीठ से मामले को वापस लिए जाने और इसे किसी अन्य पीठ को सौंपे जाने को चुनौती दी थी। प्रधान न्यायाधीश ने याचिका खारिज करने से पहले मामले को स्थानांतरित करने के कारणों का अवलोकन किया और कहा कि वह इसे खुली अदालत में नहीं पढ़ना चाहते। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 30 अक्टूबर को एआईएमसी की याचिका पर सुनवाई आठ नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने कहा था कि उसने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण ‘पूरा’ कर लिया है, लेकिन रिपोर्ट का मसौदा तैयार करने के लिए उसे और समय चाहिए। इसके बाद दो नंवबर को वाराणसी की एक अदालत ने एएसआई को 17 नवंबर तक का समय दिया था। एएसआई को पहले छह नवंबर तक सर्वेक्षण की रिपोर्ट सौंपनी थी।
वाराणसी/ नई दिल्ली (भाषा)। ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के ज्ञानवापी मामले को दूसरी पीठ के पास भेजने के फैसले का विरोध किया गया था। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की तरफ से पेश हुए वकील हुजैफा अहमदी की दलीलें सुनने के बाद याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में उन्होंने ज्ञानवापी मामले की 2021 से सुनवाई कर रही एकल न्यायाधीश की पीठ से मामला वापस लेने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के प्रशासनिक फैसले को चुनौती दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के फैसले में दखल नहीं देना चाहिए। हाईकोर्ट्स में यह एक स्टैंडर्ड प्रक्रिया है और यह मुख्य न्यायाधीश के अधिकार क्षेत्र में आता है। बता दें कि अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें ज्ञानवापी मामले को एक एकल जज वाली पीठ से लेकर दूसरी पीठ को स्थानांतरित कर दिया था। याचिका खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मामले को एक पीठ से दूसरी पीठ के पास ट्रांसफर करने का कारण भी दिया गया है लेकिन वह इसे खुली अदालत में नहीं पढ़ सकते।