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केरल : मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा, धर्म और सरकार के बीच का अंतर कम होता जा रहा है

तिरुवनंतपुरम। अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सरकार की भूमिका की आलोचना करते हुए केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि धर्म और सरकार का सीमांकन करने वाली रेखा दिन-ब-दिन क्षीण होती जा रही है। पंडित जवाहर लाल नेहरू को याद करते हुए इस अवसर पर विजयन ने कहा कि वे अक्सर […]

तिरुवनंतपुरम। अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सरकार की भूमिका की आलोचना करते हुए केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि धर्म और सरकार का सीमांकन करने वाली रेखा दिन-ब-दिन क्षीण होती जा रही है। पंडित जवाहर लाल नेहरू को याद करते हुए इस अवसर पर विजयन ने कहा कि वे अक्सर कहा करते थे कि भारतीय धर्म निरपेक्षता का अर्थ धर्म और सरकार को अलग करना है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को संपन्न करने के कुछ घंटों बाद ही विजयन ने एक संदेश में कहा कि वह समय आ गया है जब देश में एक धार्मिक स्थल के उद्घाटन को एक राजकीय कार्यक्रम के तौर पर मनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘यह उस परिपाटी से अलग है जिसमें हमारे संवैधानिक पदाधिकारियों को धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेने से आगाह किया गया है, क्योंकि यह एक धर्मनिरपेक्ष राज्य के रूप में हमारी साख पर सवाल उठाएगा।’ मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू अकसर कहते थे कि भारतीय धर्मनिरपेक्षता का अर्थ धर्म और सरकार को अलग करना है।

विजयन ने कहा, ‘हमारे पास उस अंतर को बनाए रखने की एक मजबूत परंपरा भी है। हालांकि, हाल ही में, धर्म और सरकार का सीमांकन करने वाली रेखा लगातार क्षीण होती जा रही है।’ उन्होंने कहा कि इसलिए जिन लोगों ने भारत के संविधान को बनाए रखने की शपथ ली है, उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि देश में प्रत्येक व्यक्ति को समान रूप से अपने धर्म को मानने का अधिकार मिले।

विजयन ने कहा, ‘साथ ही, हम किसी एक धर्म को अन्य सभी से ऊपर प्रोत्साहित नहीं कर सकते, या किसी एक धर्म को दूसरे धर्म से कमतर नहीं आंक सकते।’ वरिष्ठ मार्क्सवादी नेता ने कहा, ‘धर्मनिरपेक्षता भारत के लोकतांत्रिक गणराज्य की आत्मा है और हमारे राष्ट्रीय आंदोलन के दिनों से ही एक राष्ट्र के रूप में हमारी पहचान का हिस्सा रही है।’

उन्होंने कहा, ‘विभिन्न धर्मों से जुड़े लोगों और जो किसी भी धर्म को नहीं मानते, उन्होंने भी हमारे स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था। यह राष्ट्र समान रूप से सभी लोगों और भारतीय समाज के सभी वर्गों का है।’

बहरहाल जो भी हो पिनराई विजयन की बात में दम तो है । सर्वधर्म समभाव वाले हमारे देश का प्रधानमंत्री ही धर्म विशेष के कार्यक्रमों में इस प्रकार से चढ़बढ़कर भाग लेगा तो धर्म और सरकार के बीच की सीमांए तो टूटेंगी ही।

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