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पंजाब चुनाव : नेता बड़ा या पार्टी इसका भी टेस्ट होगा 

पंजाब विधानसभा का चुनाव कोई आम चुनाव नहीं है, बल्कि यूं कहें पंजाब विधानसभा चुनाव भी 5G की टेस्टिंग से कम नहीं है। जहां एक तरफ, 4G से निकलकर आम आदमी पार्टी पंजाब में तेज गति से 5G के समान अपनी पार्टी का तेज गति से विस्तार करने के लिए टेस्टिंग कर रही है, तो […]

पंजाब विधानसभा का चुनाव कोई आम चुनाव नहीं है, बल्कि यूं कहें पंजाब विधानसभा चुनाव भी 5G की टेस्टिंग से कम नहीं है।

जहां एक तरफ, 4G से निकलकर आम आदमी पार्टी पंजाब में तेज गति से 5G के समान अपनी पार्टी का तेज गति से विस्तार करने के लिए टेस्टिंग कर रही है, तो वही भाजपा कांग्रेस छोड़कर अलग दल बनाकर चुनावी मैदान में कैप्टन अमरिंदर सिंह से चुनावी गठजोड़ कर टेस्टिंग कर सही है। तो वही अकाली दल बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन कर टेस्टिंग कर रही है। पंजाब में सत्ताधारी कांग्रेस भी दलित नेता को मुख्यमंत्री बना कर और मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर टेस्टिंग कर रही है।

इन तमाम टेस्टिंग की विभिन्न पार्टियों की राजनीतिक चुनावी रणनीति के बाद भी सवाल नेता बड़ा या पार्टी की टेस्टिंग का बड़ा है।

नेता बड़ा या पार्टी बड़ी, यह केवल भ्रम है या हकीकत है, इसका पता तो 10 मार्च को ही चलेगा। मगर पंजाब चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में और राजनीतिक पंडित जिस तरह की चर्चा कर रहे थे  कि आमुख पार्टी का मुख्यमंत्री का चेहरा कौन है और कौन सी पार्टी किस नेता के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है, क्या चेहरे पर पार्टी चुनाव जीतेगी या फिर पार्टी स्वयं के संगठन पर चुनाव जीतेगी, पंजाब चुनाव में यह भी एक परीक्षा है, जीत की टेस्टिंग चल रही है।

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 कांग्रेस ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी आम आदमी पार्टी ने भगवंत सिंह मान को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया है तो वही अकाली दल और कैप्टन अमरिंदर सिंह भी लगभग मुख्यमंत्री के चेहरे हैं।

सबसे बड़ी चुनौती नेता बड़ा या पार्टी कैप्टन अमरिंदर सिंह के सामने है।  यदि फ्लैश बैक में जाकर बात करें तो 2017 के विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस हाईकमान के सामने यही शर्त रखी थी की पंजाब में नेता बड़ा है ना की पार्टी और पार्टी हाईकमान ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को 2017 के विधानसभा चुनाव में फ्री हैंड दिया था,  कांग्रेस चुनाव भी जीती और कैप्टन अमरिंदर सिंह राज्य के मुख्यमंत्री भी बने थे ! 2017 के विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को पंजाब में चुनाव प्रचार करने से भी रोका था, कैप्टन का इशारा साफ था की पंजाब में कांग्रेस नहीं बल्कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ही हैं जो कांग्रेस को सत्ता में ला सकते हैं कांग्रेस सत्ता में भी आई लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री के पद से हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया ! कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपना अलग दल बनाया और भा जा पा से गठबंधन किया !

अब सवाल उस परीक्षा का है जिसका श्री गणेश कैप्टन ने 2017 के विधानसभा चुनाव में किया था की नेता बड़ा या पार्टी।

यदि 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की वजह से कांग्रेस चुनाव जीती थी तो ऐसे में 2022 में क्या पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने राजनीतिक व्यक्तित्व की दम पर भाजपा नीत गठबंधन कि सरकार बना पाएंगे।  या फिर बंद मुट्ठी लाख की खुल गई तो खाक की  वाली कहावत चरितार्थ हो जाएगी। नेता बड़ा या पार्टी, यह चुनौती कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए ही नहीं है बल्कि  कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के लिए भी है जो चरणजीत सिंह चन्नी और भगवंत सिंह मान के नाम पर मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर चुनाव लड़ रहे हैं।

चरणजीत सिंह चन्नी के साथ  कांग्रेस की सारी टीम भी चुनावी मैदान में जुटी हुई है क्या कांग्रेस चरणजीत सिंह चन्नी नवजोत सिंह सिद्धू सुनील जाखड़ के मजबूत गठजोड़ की दम पर पंजाब की अपनी सत्ता को बचा लेगी क्योंकि कांग्रेस के भीतर नेता और पार्टी का मजबूत तालमेल अभी तक तो चुनावी मैदान में नजर आ रहा है क्या पंजाब की जनता भी इस गठजोड़ के साथ दिखाई देगी इसका पता तो 10 मार्च को चुनाव परिणाम आने के बाद ही चलेगा।

देवेंद्र यादव कोटा स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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