उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के किसान परिवार में जन्मे शास्त्रीय गायक डॉ परमानन्द यादव की एक महत्वपूर्ण जीवन और संघर्षयात्रा रही है. बीएचयू से पढ़ाई करने के बाद वे कुमार गंधर्व से सीखने के लिए देवास गए। पिछले अट्ठाइस वर्षों से मुंबई में रह रहे परमानंद जी ने संगीत शिक्षण से आजीविका कमाई और कुमार गंधर्व फाउंडेशन के मंच से अपने गायन को विस्तार दिया। कुछेक वर्षों से वे बहुजन वैचारिकी के आधार संत-कवियों और नायकों को गा रहे हैं। जातिवादी समाज की संरचना की उनकी समझ विकसित हुई और अब वे एक नए समाज की परिकल्पना के साथ लगातार गा रहे हैं। रामजी यादव ने उनसे बातचीत की आप भी देखिये और सुनिए उनका गायन।
कबीर से सावित्रीबाई फुले वाया कुमार गन्धर्व
उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के किसान परिवार में जन्मे शास्त्रीय गायक डॉ परमानन्द यादव की एक महत्वपूर्ण जीवन और संघर्षयात्रा रही है. बीएचयू से पढ़ाई करने के बाद वे कुमार गंधर्व से सीखने के लिए देवास गए। पिछले अट्ठाइस वर्षों से मुंबई में रह रहे परमानंद जी ने संगीत शिक्षण से आजीविका कमाई और […]