Tuesday, December 3, 2024
Tuesday, December 3, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमराजनीतिएच एल दुसाध किस आधार पर राहुल गांधी को दूसरा कांशीराम बता...

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

एच एल दुसाध किस आधार पर राहुल गांधी को दूसरा कांशीराम बता रहे हैं

संविधान और जातिवार जनगणना को लेकर राहुल गांधी इधर काफी आक्रामक हैं, इसी के बहाने एचएल दुसाध जो बहुजन समाज के अद्वितीय लेखक हैं ने राहुल गांधी को दुसरा काशीराम बता डाला, एचएल दुसाध की एक और खूबी यह भी है कि वे जिस व्यक्ति में अपना एजेंडा देखते हैं उस पर भावावेश में तुरत-फुरत लिख डालते हैं बल्कि उन पर ‘सामाजिक न्याय की राजनीति के नए आइकॉन राहुल गांधी’, ‘सोनिया युग की कांग्रेस’ एवं ‘रियल मदर इंडिया सोनिया गांधी’ नामक किताबें भी छाप दिया है।

संविधान एवं जातिवार जनगणना को लेकर राहुल गांधी इधर काफी आक्रामक हैं, जिसे देखते हुए भारत के डाइवर्सिटीमैन एचएल दुसाध ने भावातिरेक में आकर उनको दूसरा कांशीराम घोषित कर डाला है और बाकायदा इसे सिद्ध करने हेतु लेख भी लिख डाला है। बेशक एचएल दुसाध बहुजन समाज के अद्वितीय लेखक हैं जिनकी अब तक सौ के आसपास किताबें आ चुकी हैं। हमारे जैसे लोग वर्षो उठक-बैठक करते हुए भी अपने सुस्ती के कारण सब कुछ अनुकूल होने के बावजूद बहुत कम लिख पाते हैं, जबकि एचएल दुसाध तीन दिन में एक किताब छाप कर ला देने का माद्दा रखते हैं।

एचएल दुसाध की एक और खूबी यह भी है कि वे जिस व्यक्ति में अपना एजेंडा देखते हैं उस पर भावावेश में तुरत-फुरत लिख डालते हैं। चाहे वह सुश्री मायावती हों जिन पर ‘कांशीराम वाद को साकार करती एक जिंदा देवी मायावती’ किताब हो या तेजस्वी यादव पर ‘तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एक नए महानायक का उदय’ हो। एचएल दुसाध जी फिलहाल राहुल गांधी के संविधान सम्मान मुहिम और जातिवार जनगणना को लेकर उनके लगातार आक्रामक रुख को देखकर इस कदर भावातिरेक में बहते नजर आ रहे हैं कि उन्होंने राहुल गांधी को न केवल दूसरा कांशीराम बता दिया है बल्कि उन पर ‘सामाजिक न्याय की राजनीति के नए आइकॉन राहुल गांधी’, ‘सोनिया युग की कांग्रेस’ एवं ‘रियल मदर इंडिया सोनिया गांधी’ नामक किताबें भी छाप दिया है।

मैं अब मूल बात पर आता हूं जो एचएल दुसाध ने राहुल गांधी के बारे में लिखा है कि वे दूसरे कांशीराम हैं। इस पर मैं केवल इतना कहूंगा कि कहां मिसाइल और कहां छुरछुरी। मैं पहले ही लिख चुका हूं कि एचएल दुसाध अपने एजेंडे को लेकर बराबर फिक्रमंद रहते हैं जिसे अपने लोगों द्वारा जैसा वे या हम चाहते हैं उस तरीके से न उठाने पर दुसाध जी काफ़ी दुःखी रहते है। दुसाध जी के एजेंडे का अंश मात्र भी यदि कोई कभी उठाता है तो वह इतने भाव-विह्वल हो जाते हैं कि उस पर अपना सारा स्नेह उड़ेल देते हैं। जैसा राहुल गांधी के आक्रामक बोल से उन्होंने राहुल जी को दूसरा कांशीराम बता दिया है।

mayavati_gaonkelog

मैं राहुल गांधी के आरक्षण सीमा तोड़ने, जातिवार जनगणना करवाने जैसे कथित बयानों और संविधान सम्मान पर कुछ सवाल करना चाहता हूं जिससे उनकी आक्रमकता और उनके वास्तविक एजेंडे को समझा जा सके-

राहुल गांधी जी का एससी/एसटी आरक्षण में वर्गीकरण और क्रीमीलेयर पर रुख

01 अगस्त 2024 को देश के सुप्रीम कोर्ट ने 04-01 के बहुमत से फ़ैसला सुनाया कि एससी/एसटी आरक्षण का वर्गीकरण किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने बहुमत के फैसले में इस आरक्षण में क्रीमीलेयर लाने हेतु विचार करने को भी कहा। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला संविधान के आर्टिकल 341 और 342 के सर्वथा विपरीत है। संविधान से बाहर जाकर फैसला सुनाना तथा संविधान को न मानना, नया संविधान लाने जैसा ही है। इस मुद्दे पर देश भर के सामाजिक संगठनों व सपा,  बसपा,  राजद आदि ने 21 अगस्त 2024 को भारत बंद करवाया। 24 अगस्त 2024 को प्रयागराज में राहुल गांधी का संविधान सम्मान सम्मेलन हुआ लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस संविधानद्रोही सुप्रीम चेंज वाले फैसले पर राहुल गांधी बिलकुल मौन रहे। आखिर वे किस संविधान का सम्मान या रक्षा करेंगे? जो एससी/एसटी और संविधान के प्राविधान पर चल रहे इस वार और प्रहार पर अब तक न बोला हो वह दूसरा कांशीराम कैसे हो सकता है?

जातिवार जनगणना करवाने का कार्य काग्रेस शासित राज्यों में क्यों नहीं

कहावत है कि ‘न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी’। राहुल गांधी संविधान सम्मान और जातिवार जनगणना की बातें खूब चहकते हुए कर रहे हैं जो आप केंद्र में सरकार बनाने के बाद करवाएंगे। लेकिन मेरा सवाल यह है कि जिसे 2010 में संसद में बहस के बाद भी कांग्रेस सरकार ने नहीं करवाया। जबकि उस दौर में आप सरकार चला रहे थे और प्रधानमंत्री के हाथों से बिल छीनकर फाड़ डालने का माद्दा रखते थे। जब अवसर था तब आपने जातिवार जनगणना नहीं करवाई और आज भृकुटी तान बाहें चढ़ा जातिवार जनगणना की बातें कर रहे हैं। खैर छोड़िए, 2010 की बात, मैं मानता हूं कि जातियों पर अब आप बेहतर समझ पाए हैं और अब आपके एजेंडे में जातिवार जनगणना शीर्ष पर है।

यह भी पढ़े – लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा-आरएसएस किस रणनीति पर काम कर रहे हैं।

पता नहीं कब राहुल गांधी के हाथों मे केंद्र की सत्ता कब आयेगी और आप जातिवार जनगणना करवाएंगे लेकिन अभी एक काम तो कर ही सकते हैं कि जिन-जिन प्रदेशों में कांग्रेस की सरकारें हैं वहां वे बिहार की तर्ज पर जातिवार जनगणना करवा सकते हैं। राहुल गांधी जान रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट भी राज्यों द्वारा जातिवार जनगणना करवाने पर हस्तक्षेप नहीं करेगा फिर भी क्या वह अपनी पार्टी द्वारा शासित राज्यों में जातिवार जनगणना करवा पाएंगे? जिसकी कथनी और करनी में भेद हो, जो अपना घर छोड़ दूसरे के घर में भगत सिंह पैदा करना चाहता हो, वह भला दूसरा कांशीराम कैसे हो सकता हैं?

Tejashwi-Yadav_H-L-DUSADH_Gaonkelog.

कांग्रेस शासित राज्यों में आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा तोड़ने का बिल      

राहुल गांधी आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत तोड़ने की बात कर रहे हैं लेकिन कब, जब वे दिल्ली की केंद्रीय सत्ता में आयेंगे। 2010 तक आरक्षण को बीमारी बताने वाले राहुल गांधी कांशीराम साहब की ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ की इस थ्योरी से इतने अधिक प्रभावित हैं कि अब वे आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा तोड़ने का ऐलान करते घूम रहे हैं। ठीक है, हमें उनकी नीयत पर शक नही है लेकिन पहले वह कांग्रेस शासित राज्यो में बिहार सरकार की तरह 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा तोड़ने का प्रस्ताव पारित करवाकर भिजवाएँ। भले ही उस पर स्टे हो जाए। राहुल गांधी कांग्रेस शासित राज्यों से इसकी शुरुआत यदि नहीं करवा रहे हैं तो हम कैसे मानें कि वह केंद्र की सत्ता में आकर कर देंगे? यदि उनके बोलने और करने में अंतर है तो किस तरह से वह दूसरे कांशीराम हो जाएंगे?

राहुल गांधी मंडल कमीशन का नाम भी नहीं लेते जो आर्टिकल 340 का क्रियान्वयन है

संविधान के आर्टिकल 340 का क्रियान्वयन है मंडल कमीशन लेकिन राहुल गांधी जी मंडल कमीशन का कभी नाम भी नहीं लेते हैं। मंडल कमीशन के विरोध में राहुल गांधी के पिताजी स्मृतिशेष राजीव गांधी का उनके संसदीय जीवन का सबसे लंबा भाषण है। मैं राजीव गांधी के मंडल विरोध को छोड़े देता हूं लेकिन राहुल गांधी से पूछता हूं कि जब तक आप केंद्र की सत्ता में नहीं आते हैं तब तक आप न जातिवार जनगणना करा पाएंगे और न ही 50 प्रतिशत की सीमा तोड़ पाएंगे फिर सुप्रीम कोर्ट से जीते गए मंडल कमीशन की 40 सिफारिशों को लागू करवाने हेतु क्यों नहीं बोलते है? जब तक जातिवार जनगणना नही होती है या 50 प्रतिशत की सीमा नहीं टूटती है तब तक मंडल कमीशन की सारी 40 सिफारिशें लागू करने की बात राहुल गांधी द्वारा न करना राजीव गांधी के मंडल विरोधी मुहिम का मूक समर्थन ही तो है। फिर कैसे दूसरे कांशीराम हो जायेंगे राहुल गांधी?

राहुल गांधी बीपी मंडल या वीपी सिंह जी का कभी नाम नहीं लेते      

राहुल गांधी जी पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों (ओबीसी, एससी, एसटी) को लेकर चाहे जितने न मुखर हों लेकिन क्या कभी उनको बीपी मंडल या वीपी सिंह या कांशीराम का नाम लेते सुना गया है?  राहुल गांधी अपने किसी भाषण में न वीपी सिंह का नाम लेते हैं, न कांशीराम का और न ही बीपी मंडल का। फिर इन्हें हम दूसरा कांशीराम कैसे घोषित कर देंगे?

लोकसभा उम्मीदवारों में आरक्षण के 50 प्रतिशत सीमा क्यों नहीं तोड़ी गई

राहुल गांधी क्या यह बताएंगे कि 50 प्रतिशत की सीमा टूटने की उनकी नीति और नीयत क्या है? क्या इसे वह कांग्रेस को छोड़कर कहीं और लागू करवाना चाहते हैं? क्या 2024 के लोकसभा चुनाव के टिकट वितरण में कांग्रेस पार्टी ने 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा तोड़ी? क्या राहुल गांधी की क्रांतिकारिता केवल दूसरो से मांग करने तक है? क्या उनका पैमाना यह है कि क्रांति आए लेकिन उनका घर छोड़कर? क्या राहुल गांधी बताएंगे कि उन्होंने लोकसभा टिकट वितरण में कांशीराम का फार्मूला क्यों नहीं अपनाया? यूं ही बांहें चढ़ाकर कुछ भी बोल देने मात्र से हम उन्हें कांशीराम का दूसरा संस्करण मान लें?

राहुल गांधी के संविधान जेब में रखकर घूमने और मंचों पर चढ़कर ऊंचा-ऊंचा बोल देने से हम दूसरा कांशीराम नहीं मान सकते हैं। राहुल गांधी सबसे पहले अपनी वैचारिकी स्पष्ट करें, फिर हम उन्हें कांशीराम तो नहीं, हां संविधानवादी राहुल गांधी अवश्य मान सकते हैं।

चंद्रभूषण सिंह यादव
चंद्रभूषण सिंह यादव
लेखक 'यादव शक्ति' पत्रिका के संपादक हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here