Monday, July 1, 2024
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मोदी जी का ऐसा सोचना गलत है कि संसद भवन से गांधी, बिरसा मुंडा और अंबेडकर की मूर्तियां हटाकर उन्हें मिटाया जा सकता है 

पूरी दुनिया में अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी और संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर के विचारों को स्थान दिया जा रहा है। उनके सिद्धांतों को पढ़ाया जा रहा है, उनकी मूर्तियाँ स्थापित की जा रही हैं। ऐसे में देश के सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान संसद भवन से बिना किसी को सूचना दिये या सहमति लिए, इन महापुरुषों की प्रतिमा को हटाकर पुराने संसद भवन के पीछे उपेक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर देना उनका अपमान है। ऐसे में मोदी का राजघाट पर फूल चढ़ाना और अंबेडकर जयंती पर बाबा साहब की प्रतिमा को माला पहनाना एक ढोंग के अलावा कुछ नहीं है। 

6 जून, 2024, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया था कि संसद भवन के सामने से छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा गांधी और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की मूर्तियां हटा दी गई हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘यह बेहद अपमानजनक हरकत थी।’ रिपोर्टों के अनुसार, संसद परिसर में भू-निर्माण कार्य के तहत इन तथ्यों को अन्य स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया है।

इस घटना से स्पष्ट होता है कि भाजपा (मोदीजी)  को पूरा भरोसा था कि 2024 के आम चुनाव में फिर से उन्हें सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत मिलेगा। यही कारण था कि मोदी जी चुनाव के परिणाम आने तक मनमाने तरीके से सरकारी निर्णय लेती रही थी। किंतु अब जबकि 2024 के आम चुनाव के परिणाम जनता के सामने आ गए हैं तो एक सवाल जोरों से उठ रहा है कि कांग्रेस को सिर्फ़ 100 सीटें मिली हैं। फिर कांग्रेस को इतना खुश होने की क्या जरूरत? एनडीए को बहुमत मिला है और सरकार तो एनडीए की ही बनेगी। तमाम गोदी मीडिया इसी सवाल को बार-बार ही दोहरा रहे थे। इन नतीजों का मतलब क्या? इन नतीजों से इस देश में क्या बदलेगा? सरकार कोई भी बने, इस देश में क्या बदलाव होने होगा?

भाजपा की गठबंधन की सरकार बनना तय था। सरकार के ऊपर एक दबाव होगा, जब भी कोई निर्णय लेना होगा। कहा जा सकता था  कि 2024 के आम चुनाव ने भारत के लोकतंत्र को INDIA ने एक तोहफा दिया। जिस विपक्ष को पिछले 10 सालों से जांच एजेंसियों के दम पर, न्यायपालिका में बैठे कुछ लोगों के इशारे पर, मीडिया के दम पर कुचला गया, उसी विपक्ष की बची-खुची मिट्टी को भारत की जनता ने विपक्ष बना कर संसद के अंदर खड़ा कर दिया।

संसद परिसर में बहुत कुछ बदलाव होने जा रहा है, जिसमें एक है संसद की सुरक्षा में बदलाव। संसद में हर जगह CISF के जवान नजर आने वाले हैं। एयरपोर्ट से सुरक्षा व्यवस्था को शिफ्ट कर दिया गया। ऐसा क्यों हो रहा है? क्या कारण है? जवाब नहीं है। इसके अलावा यहां एक बड़ी खबर सामने आई है कि संसद से जो मूर्तियाँ हटाई गईं, उनमें महात्मा गांधी, बाबा साहेब अम्बेडकर के साथ-साथ बिरसा मुंडे की मूर्ति है।

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 हटाई गई इन मूर्तियों में भीम राव अंबेडकर की मूर्ति  सबसे बड़ी थी।  इस मूर्ति को भी यहाँ से हटा दिया गया। ऐसी तीन मूर्तियाँ, जिन्हें संसद परिसर से हटाकर रकाब गंज गुरुद्वारे के पीछे वाले क्षेत्र में ले जाकर सारी मूर्तियाँ को वहाँ एक साथ रख दिया गया है। क्योंकि बहुत लोग इस पर सवाल उठा सकते हैं। इन मूर्तियों को यहाँ से क्यों हटाया गया? इन मूर्तियों के यहाँ होने का मतलब सिर्फ़ मूर्ति होना नहीं था। इन मूर्तियों का एक बड़ा मतलब था

डॉ. सीपी राय जो उत्तर प्रदेश काँग्रेस के मीडिया प्रभारी हैं ने हैरानी जताते हुए कहा कि महात्मा गांधी की प्रतिमा संसद के दरवाजे के ठीक सामने लगाई गई थी ताकि जब आप संसद से बाहर आएं और अंदर जाएं तो महात्मा गांधी हमेशा आपके दिमाग में रहें। डॉ. सीपी राय बताते हैं आरएसएस हमेशा महात्मा गांधी और उनके नैतिक मूल्यों के खिलाफ़ रहा। आरएसएस के लोगों का कहना था कि गांधी और अंबेडकर की मूर्तियों को ढंक दो। आरएसएस को कभी भी लोकतंत्र स्वीकार्य नहीं था। उसे संविधान में भी विश्वास नहीं था। उनका मानना था कि अगर महिला और पुरुष को समान अधिकार मिले तो हमें 100 साल की गुलामी और स्वीकार है। इनका कहना था कि हमारी लड़ाई अंग्रेजों से नहीं, बल्कि कम्युनिस्टों, मुसलमानों और ईसाइयों से है। वहीं बाबा साहब की मूर्ति भी हटा दी गई। इसका साफ मतलब है कि आरएसएस अपनी विचारधारा को मजबूती देकर गांधी,अंबेडकर और बिरसा मुंडा की विचारधारा केएचटीएम करना चाहती है।

 जिस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहा कि दुनिया में गांधी की लोकप्रियता रिचर्ड एटनबरो की ‘गांधी’ फिल्म से हुई। ऐसे में , संसद से उनकी प्रतिमा हटाना बड़ी बात नहीं है। मोदी जी को इतना भी मालूम नहीं कि महात्मा गांधी 1914 की पहचान पूरे विश्व में हैं। आज विश्व का शायद ही कोई ऐसा देश होगा जहाँ गांधी जी और बाबा साहेब अम्बेडकर मूर्तियां देखने को न मिलें।

 यथोक्त के आलोक में, अम्बेडकर विचार मन्च के महासचिव, माननीय आर. एल. केन  ने श्री उत्पल कुमार सिंह, महासचिव, लोक सभा, संसद भवन, नई दिल्ली -10001. को अपने मेल संदर्भ. सं. BRAVM/2024/32-43 दिनांक 6 जून, 2024 संदेश भेजा है जिसका विवरण निम्नानुसार है:-

संविधान निर्माता एवं राष्ट्रपिता गांधी जी की प्रतिमाओं को 2 जून, 2024 की मध्य रात्रि में संसद भवन के सामने से पुराने संसद भवन के पीछे के उपेक्षित क्षेत्र में स्थानांतरित करने पर कड़ा विरोध दर्ज कराने जो कि कानून के सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना विश्वासघाती था  तथा हमारे प्रतिनिधि के साथ चर्चा के लिए उपयुक्त समय निर्धारित करने का आग्रह करता हूँ ।

  • मैं पिछले 3 दिनों से यूट्यूब पर चल रही ‘न्यूज नशा’ की सनसनीखेज क्लिपिंग की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। न्यूज क्लिपिंग को लिंक नं. https://www.youtube.com/livepoxTbmvFA3s?si=kJVMuvTNJWDDMy पर देखा जा सकता है। सोशल मीडिया पर चल रही खबरों का सार यह है कि संविधान निर्माता आदरणीय बाबा साहब डॉ. बी.आर. अंबेडकर और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्तियों को पुराने संसद भवन के सामने की तरफ से पीछे की तरफ उपेक्षित क्षेत्र में बिना किसी GPC की अनुमति के ले जाया गया है , जो आदर्श आचार संहिता का भी उल्लंघन है। मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप इस समाचार क्लिपिंग की सामग्री की जाँच करें और इस सनसनीखेज विषय पर विस्तृत चर्चा के लिए हमें मिलने का समय दें। बिल्डिंग प्लान में पार्किंग प्लान क्यों नहीं बनाया गया, एसजी स्टाफ की जिम्मेदारी तय करें.
  • एसजी ऑफिस की ‘हां में हां’ मिलाने की वजह से 4 जून 2024 को चुनाव परिणाम की पूर्व संध्या पर लाखों नागरिकों की भावनाएं आहत हुई हैं। एक बार फिर यह बात बिना किसी संदेह के साबित हो गई है कि महासचिव लोकसभा कार्यालय के कामकाज में कोई पारदर्शिता और जवाबदेही  नहीं है, जिसे 2014 से लेकर आज तक सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपीं के विस्तारित कार्यालय में बदल दिया गया है ।
  • आज इस मंच के एक प्रतिनिधिमंडल ने सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक रेड क्रॉस रोड के ठीक सामने नए संसद भवन के स्वागत कक्ष का दौरा किया, जहां निर्माण कार्य चल रहा है, लेकिन संबंधित अधिकारियों खासकर श्री पी.पी. शास्त्री, संयुक्त निदेशक जिन्हें मैं पहले से जानता हूं, की अनुपलब्धता के कारण प्रवेश पास नहीं मिल सके।
  • लोकसभा महासचिव द्वारा शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है, जब केंद्र सरकार के कार्यकारी पदानुक्रम ने विधायी विंग को मात दे दी है। जब सीपीडब्ल्यूडी ने 2020 में वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति से नए संसद भवन के ऊपर भाजपा के चुनाव चिह्न कमल को प्रदर्शित करने, लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास 29 पुजारियों द्वारा धूमधाम से हवन करने और हिंदू मंत्रों का पाठ करने का प्रस्ताव पारित करवाया, बिना किसी धार्मिक कार्यक्रम के आयोजन के लिए सरकार को किसी संदर्भ शर्तों के माध्यम से लोकसभा अध्यक्ष या लोकसभा महासचिव से कोई लिखित अनुरोध किए, संवैधानिक प्रावधानों के सम्मान में भारत के प्रधान मंत्री जैसे नामकरण में परिवर्तन, भारत के राष्ट्रपति के आगमन पर पगड़ी पहने सुरक्षा कर्मचारी द्वारा धार्मिक तरीके से सिंगोल स्थापित  करना, इसने राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बदल दिया था और देश में राजशाही की स्थापना कर दी गई थी। लोकसभा अध्यक्ष संसद परिसर के संरक्षक हैं और दिल्ली के लिए कथित नए एकीकृत भवन उपनियमों-2016 के तहत सक्षम प्राधिकारी, मुख्य अभियंता, सीपीडब्ल्यूडी, सेंट्रल विस्टा, संसद भवन पुस्तकालय, नई दिल्ली से कोई अधिभोग-सह-पूर्णता प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं हुआ था । निर्माण कार्य अभी भी चल रहा है और पीएमओ के दबाव में लोकसभा के महासचिव द्वारा नए संसद भवन में हिंदुत्व की स्थापना की गई थी। इन सभी मनमाने ढँग से किए गए विकास कार्यों ने संविधान की प्रस्तावना को बहुत नुकसान पहुंचाया है जो कि भारत के संविधान का मूल ढांचा है , जो केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) 4 एससीसी 225; एआईआर 1973 एससी 1461 का उल्लंघन है। ये सभी घटनाएं महासचिव लोकसभा यानी केंद्र सरकार के विधायी विंग, यानी कार्यकारी विंग के मूक दर्शक के कारण हुई थीं कृपया 10 सदस्यों की नियुक्ति की सूचना दें। कृपया हमें ओसीसी और मूर्तियों के स्थानांतरण आदेश दिखाएं या फिर मूर्तियों को पहले वाले स्थान पर स्थापित किया जाए अन्यथा हमारे विरोध का सामना करें।’

आर. एल. केन जी ने अपनी एक टिप्पणी में यह भी बताया – जैसा कि आप भली-भाँति अवगत हैं कि लोकसभा महासचिव ने सौंदर्यीकरण तथा सांसदों के लिए पार्किंग स्थल उपलब्ध कराने की आड़ में संविधान के निर्माता बाबा साहब डॉ. बी.आर. अंबेडकर की प्रतिमा के साथ-साथ गांधी, शिवाजी, महाराणा प्रताप तथा बिरसा मुंडा की प्रतिमाओं को पुराने संसद भवन के पीछे उपेक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर दिया है। इससे देश भर के लाखों अंबेडकरवादियों तथा बौद्ध धर्मावलंबियों की भावनाओं को ठेस पहुँची है।

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इस अपमान को ध्यान में रखते हुए डॉ. बी.आर. अंबेडकर विचार मंच (पंजीकृत) द्वारा 6-6-2024 को महासचिव लोकसभा को उन्हें उनके पुराने स्थानों पर बहाल करने के लिए एक विरोध पत्र भेजा गया था, लेकिन आज तक उनकी ओर से कोई सुनवाई नहीं हुई है। इसलिए, हमने अपना कड़ा विरोध दर्ज कराने तथा 26-6-2024 को सुबह 11 बजे जंतर-मंतर, नई दिल्ली पर अपनी स्वैच्छिक गिरफ्तारी देने का निर्णय लिया है। इस संबंध में जब मैंने इस मामले पर फोन पर चर्चा की तो कई अंबेडकरवादियों ने अपनी गहरी रुचि दिखाई है। इस आकस्मिक स्थिति को देखते हुए 16-6-2024 को सुबह 10 बजे अंबेडकर भवन, रानी झांसी रोड, नई दिल्ली में बैठक बुलाई गई है। आजकल तापमान अधिक चल रहा है , इसलिए कृपया अगले कार्यक्रम की विस्तृत चर्चा के लिए सुबह 10 बजे कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने का निवेदन किया है। इस कार्यक्रम में  श्री कुमारसेन बोध, अध्यक्ष और श्री दौलत राम भी भाग लेंगे।

तेजपाल सिंह 'तेज'
तेजपाल सिंह 'तेज'
लेखक हिन्दी अकादमी (दिल्ली) द्वारा बाल साहित्य पुरस्कार तथा साहित्यकार सम्मान से सम्मानित हैं और 2009 में स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त हो स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं।

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