Thursday, November 7, 2024
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वाराणसी : ग्रामीण परिवेश की बालिकाओं के लिए कबड्डी में काफी संभावनाएं हैं

समाज में खेल के क्षेत्र में आज लड़कियां भी आगे आ रही हैं। शहर में तो खेल में आगे बढ़ने के लिए कोच और स्टेडियम आसानी से उपलब्ध होते हैं लेकिन गाँव में इन सुविधाओं का अभाव होता है। ग्रामीण परिवेश की बालिकाओं के लिए कबड्डी, कुश्ती, एथलेटिक्स में काफी सम्भावना है, यह बात रविवार को सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट द्वारा भंदहा कला (कैथी) गाँव में ई लाइब्रेरी का उदघाटन करते हुए अपने संबोधन में कहा।

गोरखपुर : ईपीएफ कमिश्नर ने सीएम योगी के संरक्षण वाले महाविद्यालय की शुरू की जांच

उत्तर प्रदेश राज्य में स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए 09 मई, 2000 को एक शासनादेश  संख्या-2445/सत्तर-2-2000-2(85)/97 जारी कर मानदंड का निर्धारण किया है। इस शासनादेश में अध्यापकों के लिए अंशदायी भविष्य निधि (कंट्रीब्यूटरी प्रोविडेंट फंड) अनिवार्य रूप से लागू करने की बात कही गई है। लेकिन योगी आदित्यनाथ के संरक्षण वाले इस महाविद्यालय में अंशदायी भविष्य निधि कटौती में चल रही अनियमितताओं के लिए जांच बैठाई गई है।

बहराइच : किसी के घर पर भारी भीड़ के साथ जबरन चढ़कर नारेबाजी, तोड़फोड़ करना अपराध है -रिहाई मंच

पूरे देश की कानून व्यवस्था अब हिन्दुत्ववादी संगठनों के अनुसार चल रही हैं। हर आयोजन पर उनकी यह साजिश रहती है कि किस तरह धर्म के नाम पर साम्प्रदायिक हिंसा को भड़काया जाए। बहराइच में हुए साम्प्रदायिक दंगे के बाद मारे गए रामगोपाल मिश्र के परिवारजनों से मुख्यमंत्री योगी ने जिस तरह मुलाक़ात कर सहानूभूति दिखाई, इसके बाद हिन्दू अपराधी को खुले आम अपराध करने का साहस मिलेगा। रिहाई मंच ने बहराइच में हुए दंगे और स्थितियों को लेकर सवाल उठाये हैं।

संकट में वाराणसी के पटरी व्यवसायी : पुलिस उत्पीड़न के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना

यह सरकार शुरू से ही श्रमशील समाज को उजाड़ने और पूँजीपतियों को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। जिस शहर ने मोदी पर विश्वास जताकर तीसरी बार सांसद बनाया, अब वहाँ कोई छोटा काम कर कमा नहीं सकता क्योंकि उनकी प्राथमिकता में आम जनता का रोजगार नहीं बल्कि शहर की सुंदरता है। पिछले दस वर्षों में एक-एक कर शहर की विरासत को खत्म किया। अब सर सुंदरलाल अस्पताल की दीवाल से लगी छोटी-छोटी गुमटियां चलाने वालों को वहां से हटाया जा रहा है। सवाल यह उठता है कि फिर इन पटरी व्यवसायियों का सर्वेक्षण कर रजिस्टर्ड करते हुये वहाँ रोजगार करने की स्वीकृति क्यों दी गई? फिर इन सबको बनारस में पीएम स्वनिधि लोन क्यों दिया गया?

मिर्जापुर : बाँध में पर्याप्त पानी होने के बाद भी सात किलोमीटर रैकल टेल सूखी, धान की फसल बर्बाद होने की कगार पर 

'किसान अन्नदाता हैं' सुनने में यह बहुत अच्छा लगता है लेकिन किसान आज किस हाल में खेती कर पा रहे हैं, यह उनसे पूछने पर मालूम होगा। कहीं बीज नहीं मिल पा रहा है, तो कहीं खाद की समस्या है, कहीं बिजली नहीं तो कहीं सिंचाई के लिए पानी का अभाव है। किसानों के लिए अनेक योजनायें हैं लेकिन या तो कागज पर हैं या जो लागू हैं उनमें बहुत ही घालमेल है, जिसकी वजह से वह किसानों तक नहीं पहुँच पा रही हैं। मिर्जापुर जिले के अति पिछड़े इलाके मड़िहान तहसील में सिरसी पम्प कैनाल में पानी नहीं आ पाने के कारण किसानों की फसल सूखने की कगार पर है। पढ़िए संतोष देव गिरि की रिपोर्ट

ई-रिक्शा चालकों का निवाला छीनने को वाराणसी प्रशासन क्यों आमादा है

प्राचीन काल से ही बनारस धार्मिक नगरी के रूप में पहचाना जाता रहा है लेकिन वर्ष 2014 के बाद, जब नरेंद्र मोदी ने यहाँ से चुनाव जीता, तब से लग रहा है कि काशी उन्होंने ही बनाई है। पक्के महाल को तोड़कर विश्वनाथ कॉरीडोर के निर्माण के चलते यह शहर पूरी दुनिया की नज़रों में आ गया। लेकिन बनारस को खूबसूरत बनाने के लिए लोगों के घरों को उजाड़ा गया। दुकानें  तोड़ी गईं। इसी तरह शहर को जाम से बचाने के लिए ई रिक्शा को बढ़ावा दिया गया तथा कंपनियों ने हजारों ई रिक्शे बेच डाले। लेकिन ई रिक्शा भी शहर को जाममुक्त नहीं कर सके और अब जाम का ठीकरा रोज कमाने-खाने वाले ई-रिक्शा चालकों पर फूटा है। नए नियम के अनुसार ई-रिक्शे का रूट मात्र 2 से 3 किलोमीटर तय कर दिया गया। इससे 25 हजार ई रिक्शा चालक भूखे मरने की कगार पर आ गए हैं।  

निज़ामाबाद : जर्जर सड़कों के निर्माण के लिए किसानों का प्रदर्शन

निजामाबाद की सड़कों का खस्ताहाल होने के कारण सोशलिस्ट किसान सभा ने सड़कों को जल्द ठीक कराने के लिए मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा।

देवरिया : खेत और ग्रामीण मजदूरों को वर्ष भर काम और गरिमामय जीवन के लिए अखिल भारतीय खेग्रामस का धरना 

ग्रामीण मजदूर, किसान लगातार बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं, जो काम उन्हें मिल रहा है, उसमें सरकार द्वारा तय न्यूनतम मजदूरी भी हासिल नहीं हो रही है। अपनी मांगों को पूरा करने के लिए 23 सितंबर को सुबह 11:00 बजे तहसील मुख्यालय भाटपार रानी में खेग्रामस (अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा) द्वारा धरना प्रदर्शन किया जाएगा।

खबर का असर : भोगाँव श्मशान घाट पर चिता को आग देने का ठेका रद्द हुआ

मिर्ज़ापुर जिले के भोगाँव श्मशान घाट पर शव जलाने की आग का ठेका जिला पंचायत ने भोगाँव के ही ठाकुर जाति के व्यक्ति को दे दिया जिसके कारण दशकों से यह काम करते आए डोम-धरकार की आजीविका एक झटके में छिन गई। इसके विरोध में उन्होंने आंदोलन शुरू कर दिया। गाँव के लोग के मिर्ज़ापुर प्रतिनिधि संतोष देव गिरि ने इस पर दो विस्तृत रिपोर्ट की जिससे डोम-धरकार समुदाय को जनसमर्थन मिला और जिला प्रशासन को ठेका निरस्त करना पड़ा।

गंगा नदी में बाढ़ : खेत और घर डूबे

गंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और किनारों पर रहने वाले लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त और विस्थापित हो गया है। मिर्ज़ापुर और वाराणसी के कई इलाकों से गुजरते हुये बाढ़ में डूबे खेत और घर दिखे। प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के करसड़ा गाँव के मुसहरों के घर पूरी तरह पानी में डूबे हुये हैं। दो साल पहले उन्हें स्थायी घर देकर यहाँ बसाया गया था। यहाँ उनके घर के बगल में बरसाती नाला और मकानों के ऊपर से हाई टेंशन तार गुजरता है। इसे लेकर उन्होंने प्रशासन से शिकायत भी की लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई।

आजमगढ़ : सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लड़ने वाले पेरियार के जीवन संघर्षों को देखते हुए उन्हें समझा जा सकता है

ईवी रामास्वामी नायकर पेरियार ने सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आंदोलन चला समाज सुधार का बीड़ा उठाया। पेरियार ने समाज में फैली ब्राह्मणवादी व्यवस्था का ही सख्त विरोध नहीं किया बल्कि राजनीति में भी कांग्रेस पार्टी में ब्राह्मणों के वर्चस्व को देखते हुए वहाँ से त्यागपत्र देते हुए नई पार्टी बनाई। आजमगढ़ में सामाजिक न्याय आन्दोलन की श्रृंखला में ग्राम कोठरा, पंचायत भवन, हाफिजपुर में ‘पेरियार की वैज्ञानिक दृष्टि और हमारा समय’ विषय पर गोष्ठी का आयोजन करते हुए उन्हें याद किया गया।