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वाराणसी : सभी निजी शैक्षणिक संस्थानों द्वारा मातृत्व लाभ देना जरूरी, राष्ट्रीय महिला आयोग ने दिया आदेश
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने वाराणसी स्थित सनबीम वीमेंस कॉलेज वरुणा को शिकायतकर्ता संगीता प्रजापति को सात दिनों के अंदर मातृत्व लाभ मुहैया कराने का आदेश दिया। उन्होंने कहा- मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के अनुसार मातृत्व लाभ प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान पर लागू होता है, क्योंकि यह प्रत्येक महिला का मूलाधिकार है। मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत यह एक बड़ी जीत हासिल हुई है।
बनारस : गांधी जयंती के अवसर पर ‘एक कदम गांधी के साथ’ पदयात्रा आरंभ
सर्व सेवा संघ की 'एक कदम गांधी के साथ' पदयात्रा गांधी जयंती के दिन वाराणसी राजघाट से शुरू की गई है, जो अनवरत 56 दिनों तक विभिन्न जिलों-प्रदेशों से होती हुई संविधान दिवस के दिन दिल्ली राजघाट में सम्पन्न होगी। यह यात्रा 1000 किमी की दूरी तय करेगी। इस यात्रा का उद्देश्य देश में चल रहे नफरत और सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ अहिंसात्मक तरीके से विरोध दर्ज करना है।
वाराणसी : हिन्दू कट्टरपंथी ताक़तों के दबाव में आईआईटी बीएचयू में गौहर रज़ा का कार्यक्रम रद्द
वाराणसी स्थित आईआईटी-बीएचयू में प्रसिद्ध वैज्ञानिक, कवि और विचारक गौहर रज़ा के व्याख्यान का 23 सितंबर कोऑनलाइन कार्यक्रम हिन्दू कट्टरपंथी संगठनों के दबाव में रद्द कर दिया गया। देश में असहमति की आवाज और प्रगतिशील विचारों को कुचलने की बढ़ती प्रवृत्ति और लगातार कोशिशें फासीवादी मानसिकता का परिचायक है।
आजमगढ़ : बिजली की मांग को लेकर प्रदर्शन करने वाले वजीरमलपुर क़े ग्रामीणों पर पुलिसिया दमन
बिजली की मांग को लेकर लोग प्रदर्शन कर रहे थे तो रात में पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया और गाँव में घुसकर दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। घटना की सूचना पर सोशलिस्ट किसान सभा और सामाजिक न्याय मंच के प्रतिनिधि मंडल ने गाँव पहुंचकर पीड़ितों से मुलाक़ात की।
वाराणसी : डीएनटी समुदाय ने ‘विमुक्त जाति दिवस’ मनाया
डीएनटी समुदाय हर वर्ष 31 अगस्त को, विमुक्त जाति दिवस का आयोजन करता है। इस अवसर पर 1871 के क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट के अन्याय और 1952 में मिली मुक्ति के ऐतिहासिक महत्व को याद कर विमुक्त समाज को समाज को मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास लगातार जारी रखा हुआ है।
राजातालाब तहसील में लटकाया जा रहा है सैकड़ों आय, निवास और जाति प्रमाणपत्र
अपने हक की जानकारी न होने के कारण ही लोग तहसील में शिकायतों की अर्जियां लेकर भटकते नजर आते हैं। जनहित गारंटी अधिनियम के तहत हर काम का समय तय है। आप सात दिन में शैक्षणिक कार्य हेतु जाति आय निवास प्रमाण जारी करवा सकते हैं। इसमें देरी होती है तो आप अपील कर मुआवजा लेने के लिए क्लेम कर सकते हैं।
रोजगार देने के आश्वाशन के बाद विस्थापितों की भूख हड़ताल खत्म, लेकिन जारी रहेगा अनिश्चितकालीन धरना
छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा, रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष रेशम यादव और सचिव दामोदर श्याम लंबित रोजगार प्रकरणों को जल्द निपटाने की मांग को लेकर 2 मार्च से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। उनके साथ सैकड़ों भूविस्थापित ग्रामीण भी लगातार तीन दिनों से धरना में शामिल हो रहे थे। इससे प्रबंधन की परेशानियां बढ़ गई थी।
गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव कर 15 मार्च को खदान बंद की चेतावनी
एसईसीएल प्रबंधन कुसमुंडा क्षेत्र में भूविस्थापितों के 500 दिनों से चल रहे अनवरत धरना से पहले से ही परेशान है, वहीं आज किसान सभा ने सैकड़ों भूविस्थापितों के साथ गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव कर दिया और रोजगार, पुनर्वास और मुआवजा संबंधी मांगें पेश कर दी। इन मांगों पर कार्यवाही न होने की स्थिति में किसान सभा ने 15 मार्च को गेवरा खदान बंद करने की चेतावनी भी प्रबंधन को दी है।
शीतलहर भी नहीं रोक पाई खिरिया बाग के किसानों का संघर्ष
अपर्णा -
खिरियाबाग आंदोलन पर हमला जारी रहा जैसे दिल्ली के किसान आंदोलन को तोड़ने की कोशिश की गई थी। खिरिया बाग किसान-मजदूर आंदोलन को अर्बन नक्सल से जोड़कर अमर उजाला ने एक झूठी खबर प्लांट की। इस खबर का उद्देश्य आंदोलन को बदनाम करके खत्म करना था। ज़ाहिर है यह सरकार के इशारे पर किया गया और इसमें पत्रकार और अखबार के प्रबंधन को भारी भुगतान किया गया था। एक ऐसे संवेदनशील मुद्दे को इतने घातक तरीके से खबर के रूप में प्लांट करना और आंदोलन के समर्थकों को अर्बन नक्सल के रूप संदिग्ध बनाना कितना खतरनाक है यह कोई भी सचेत व्यक्ति समझ सकता है।
किसानों की मर्ज़ी के खिलाफ सरकार ज़मीन नहीं ले सकती
अपर्णा -
संविधान के 73 वें संशोधन के साथ यह प्राविधान किया गया है कि ग्राम सभा और पंचायतें जो सत्ता की सबसे छोटी ईकाई हैं, को अपने क्षेत्र की विकास योजनाएं खुद बनाने का अधिकार है। यह सत्ता के विकेंद्रीकरण के लिए किया गया है। ऐसे में शासन-प्रशासन ग्राम सभा व पंचायतों का संवैधानिक अधिकारों का हनन करते हुए भूमि अधिग्रहण कानून के खिलाफ जाकर गैर कानूनी कदम उठाया। आज़मगढ़ में एयरपोर्ट सालों से बना पड़ा है जिससे आज तक एक भी विमान नहीं उड़ा है।
छत्तीसगढ़ में जमीनों पर जबरदस्ती कब्जे हेतु आदिवासी निशाने पर
विकास के नाम पर आज पूरे देश में किसान और आदिवासियों की जमीनों पर सरकार की नज़रें हैं। केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें सभी का विकास मॉडल किसान और आदिवासियों को उनकी जमीनों से विस्थापित कर गुजरता है। उनके द्वारा किये जा रहे शांतिपूर्ण विरोध से सरकार इतनी डरी हुई है कि आन्दोलनकारियों को उत्पीड़ित कर डरा रही है।

