संपूर्ण क्रांति राजनीतिक शब्द है और इसके पीछे की राजनीति का आलम यह है कि आज आरएसएस सत्ता में है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे एक विषैला सांप जो एक पिटारे में या फिर किसी बिल में पड़ा था, उसे जयप्रकाश नारायण ने मुख्य राजनीति में विचरने और डंसने की खुली छूट दी। विषैला सांप यह समझता था कि उसे डंसने की प्रक्रिया को बदलना होगा और उसने यही किया भी है। अब तो विषैले सांपों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि हर राज्य और शहर में विषम स्थिति बन गई है। इन सांपों की हिम्मत भी खूब बढ़ गई है। कल ही बिहार प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष ने नीतीश कुमार को डंसने की कोशिश की। जातिगत जनगणना के मामले में पहले तो भाजपा ने हामी भरी, लेकिन उसके बाद उसके प्रदेश अध्यक्ष ने कहा है कि क्या राज्य सरकार रोहिंग्याओं की गणना भी करेगी।

अधिकांश यह कह रहे हैं कि फिल्म में इतिहास को बदल दिया गया है। इतिहास में मुहम्मद गोरी बाद में मरा और पृथ्वीराज पहले। लेकिन फिल्म में पृथ्वीराज गोरी को मार देता है। दरअसल, मैं जिस बात को यहां दर्ज करना चाहता हूं, वह यह कि भारतीय अकादमियां अपने व्यवहार में बदलाव लाये। उनके शोधार्थियों और अध्येत्ताओं का ज्ञान विश्वविद्यालय के ग्रंथालयों की शोभा मात्र बनकर ना रहे।

नवल किशोर कुमार फ़ॉरवर्ड प्रेस में संपादक हैं।
[…] डंसना बनाम डंक मारना (डायरी 5 जून, 2022) […]