Wednesday, September 17, 2025
Wednesday, September 17, 2025




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमशिक्षापितृसत्तात्मक दबाव के बीच बिहार बोर्ड में लड़कियों की कामयाबी

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

पितृसत्तात्मक दबाव के बीच बिहार बोर्ड में लड़कियों की कामयाबी

समाज की सोच बदलतीं लड़कियां मुजफ्फरपुर (बिहार)। लड़कों पर नाज करने वाला समाज अब लड़कियों की कामयाबी पर गर्व महसूस कर रहा है। जिन्होंने अपनी मेहनत, जुनून और जज्बे से पितृसत्तात्मक समाज की उस धारणा को ध्वस्त किया है कि महिलाएं पुरुषों से कमजोर और कम प्रतिभाशाली होती हैं। आज कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, […]

समाज की सोच बदलतीं लड़कियां

मुजफ्फरपुर (बिहार)। लड़कों पर नाज करने वाला समाज अब लड़कियों की कामयाबी पर गर्व महसूस कर रहा है। जिन्होंने अपनी मेहनत, जुनून और जज्बे से पितृसत्तात्मक समाज की उस धारणा को ध्वस्त किया है कि महिलाएं पुरुषों से कमजोर और कम प्रतिभाशाली होती हैं। आज कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जिसमें लड़कियों ने अपनी कामयाबी के झंडे नहीं गाड़े हैं। कठिन से कठिन व जोखिम भरे काम में भी लड़कियों ने खुद को साबित करके दिखाया है कि वे किसी से कम नहीं हैं। वे पढ़ाई-लिखाई में लगातार अव्वल आ रही हैं। पिछले कई सालों से आयोजित विभिन्न परीक्षाओं के रिजल्ट पर गौर करें, तो पाएंगे कि वे लड़कों को पछाड़ कर आगे निकल चुकी हैं। दसवीं और बारहवीं के बोर्ड से लेकर मेडिकल-इंजीनियरिंग व सिविल सर्विसेज की परीक्षाओं को ही देेखें, तो पता चल जाएगा लड़कों की तुलना में उनका प्रतिशत ज़्यादा है एवं टॉप टेन में वे आज शीर्ष पर विराजमान हो रही हैं।

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से देश में सबसे पहले 21 मार्च को इंटरमीडिएट का परीक्षा परिणाम जारी हुआ जिसमें साइंस, कॉमर्स एवं आर्ट्स संकायों में लड़कियां लड़कों को पीछे छोड़ते हुए टॉपर बनीं। साइंस में खगड़िया के आरलाल कॉलेज की छात्रा आयुषी नंदन ने स्टेट में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है। उसे सर्वाधिक 474 अंक यानी 94.8 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए हैं। आयुषी कहती हैं कि मैंने यह उपलब्धि कड़ी मेहनत एवं स्वध्याय से हासिल की है। आयुषी का लक्ष्य आईएएस बनना है। सामाजिक रूप से पिछड़े समाज से आनेवाली आयुषी के पिता सर्वेश कुमार सुमन व्यवसायी हैं। कॉमर्स संकाय के टॉप 10 में 13 छात्राओं ने अपनी जगह बनायी है। औरंगाबाद के सच्चिदानंद सिन्हा कॉलेज की छात्रा सौम्या शर्मा स्टेट टॉपर बनकर अपने जिले का नाम रौशन किया है। सौम्या को 475 अंक यानी 95 फीसदी अंक मिले हैं। सौम्या का लक्ष्य है चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना है। उसके पिता अरविंद शर्मा किसान हैं।

[bs-quote quote=”देशभर की लड़कियां भी खुद को घर की दहलीज से निकाल कर कामयाबी का इतिहास रचने को व्याकुल हैं। बिहार की तरह यूपी की लड़कियां भी इस साल यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में लड़कों से आगे निकल चुकी हैं। उत्तर प्रदेश शिक्षा परिषद द्वारा आयोजित 2023 की हाईस्कूल व इंटर की परीक्षाओं में छात्राओं ने शानदार प्रदर्शन किया है। हाईस्कूल की परीक्षा में सफल होनेवाली छात्राओं का प्रतिशत 93.34 रहा, जबकि लड़कों का प्रतिशत 86.64 रहा।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

वहीं, कला संकाय की स्टेट टॉपर पूर्णिया की मोहद्देशा बनी हैं, जिसने 475 अंक यानी 95 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। मोहद्देशा का लक्ष्य भी आईएएस बनना है। पिता जुनैद आलम शिक्षक हैं। कुल मिलाकर साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स संकायों में 30 स्टूडेंट्स टॉपर्स बने हैं, जिनमें अकेले 21 लड़कियां शामिल हैं। विज्ञान में 9 छात्र-छात्राएं टॉपर्स बने हैं, इनमें 5 लड़कियां हैं। आर्ट्स में टॉपर्स की कुल संख्या 8 हैं, जिनमें पांच छात्राएं हैं। सबसे ज्यादा कॉमर्स में 13 टॉपर्स हैं, जिनमें अकेले 11 लड़कियों ने बाज़ी मारी है। इसी तरह इस साल घोषित बिहार बोर्ड 10वीं की परीक्षा परिणाम पर गौर करें, तो पाएंगे कि टॉप टेन में 8 लड़कियां शामिल हैं।

इस बार बिहार में 13,04,586 विद्यार्थियों ने इंटर की परीक्षा दी थी जिसमें 83.70 प्रतिशत से अधिक परीक्षार्थी सफल हुए। इनमें छात्राओं की उत्तीर्णता का प्रतिशत 50.05 रहा है। लीची का शहर कहे जाने वाले मुजफ्फरपुर की छात्राओं ने भी परीक्षा में कामयाबी के झंडे गाड़े हैं। जिला के मुरौल प्रखंड स्थित इटहा रसुलनगर की सानिया कुमारी ने इंटर साइंस की परीक्षा में मुजफ्फरपुर जिला में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। ख़ास बात यह है कि सानिया मैट्रिक में भी जिले में अव्वल स्थान पर रही थीं। सानिया भी भविष्य में आईएएस बनकर देश की सेवा करना चाहती हैं। इंटर की परीक्षा में उत्तर बिहार की तीन छात्राओं ने टॉप टेन में जगह बनायी है। सीतामढ़ी जिले के सुरसंड नगर पंचायत के वार्ड नंबर दो निवासी भूमि कुमारी ने कॉमर्स में राज्य में दूसरा स्थान हासिल किया है। उसने 474 अंक प्राप्त हुए हैं। भूमि के पिता ऑटो चालक हैं।

यह भी पढ़ें…

मैं नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने के लिए निकला हूं

ये आंकड़े बताते हैं कि लड़कियां समाज की सोच से उलट एक नया इतिहास गढ़ रही हैं। सरकार की पोशाक-साइकिल योजना, कन्या उत्थान योजना या फिर टॉपर्स को राज्य सरकार से मिलने वाली बड़ी प्रोत्साहन राशि का असर कहें या फिर लड़कियों के सपनों की उड़ान का प्रतिफल, लेकिन सच यह है कि बिहार की लड़कियां पिछले कई सालों से सरकारी स्कूलों में कम संसाधनों के बीच पढ़कर सफलता की कहानी गढ़ रही हैं। बता दें कि टॉपर को बिहार सरकार एक लाख रुपये, सेकंड टॉपर को 75 हजार रुपये एवं थर्ड टॉपर को 50 हजार रुपये नकद पुरस्कार देती है। साथ ही, तीन टॉपर्स को नकद राशि के साथ-साथ एक लैपटॉप व एक ई-बुक रीडर (किंडल) देकर प्रोत्साहित करती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने परीक्षा परिणाम पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि छात्राओं का बेहतर प्रदर्शन महिला सशक्तीकरण का एक बड़ा उदाहरण है।

यह भी पढ़ें…

स्त्रियों पर हिंसा का कारण पितृसत्ता ही है

सिर्फ बिहार ही क्यों, देशभर की लड़कियां भी खुद को घर की दहलीज से निकाल कर कामयाबी का इतिहास रचने को व्याकुल हैं। बिहार की तरह यूपी की लड़कियां भी इस साल यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में लड़कों से आगे निकल चुकी हैं। उत्तर प्रदेश शिक्षा परिषद द्वारा आयोजित 2023 की हाईस्कूल व इंटर की परीक्षाओं में छात्राओं ने शानदार प्रदर्शन किया है। हाईस्कूल की परीक्षा में सफल होनेवाली छात्राओं का प्रतिशत 93.34 रहा, जबकि लड़कों का प्रतिशत 86.64 रहा। इसी तरह 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 83 फीसदी लड़कियां सफल रहीं, जबकि सिर्फ 69.34 फीसदी लड़के ही उत्तीर्ण हो सके हैं। ये आंकड़े बता रहे हैं कि महिला सशक्तीकरण का असर समाज के बदलाव में कारगर हथियार साबित हो रहे हैं। बालिका शिक्षा को लेकर बढ़ी जागरूकता ने स्कूल व कॉलेज कैंपस की दिशा को बदल दी है। गोरखपुर के रहने वाले एक अभिभावक अनिरूद्ध यादव का यह कथन उल्लेखनीय है कि चूल्हा-चौका के साथ-साथ कलम-कॉपी से दोस्ती करनेवाली यही लड़कियां आज सिविल सर्विसेज व मेडिकल-इंजीनियरिंग जैसी कठिन परीक्षाओं में भी टॉप कर रही हैं। यह बदलाव समाज की उस सोच पर करारा तमाचा है जिसे लड़कियां कमज़ोर नज़र आती हैं।

सपना कुमारी मुजफ्फरपुर (बिहार) में युवा पत्रकार हैं।

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट को सब्सक्राइब और फॉरवर्ड करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Bollywood Lifestyle and Entertainment