धर्म इन जुल्मों के दौर की दास्तां गांव के लोग Jul 21, 2022 आए गए कितने यहाँ/ कितने हुए फितने यहाँ, एक तुम ही नहीं हो हुक्मरान/ कि हुकूमत की जिसने यहाँ, मटियामेट करके मुल्क को/ मिट्टी में दफ्न हैं… Read More...
चिट्ठीरसां अपनी रीढ़ मजबूत करें प्रकाश झा (डायरी 26 अक्टूबर 2021) गांव के लोग Oct 26, 2021 अभिव्यक्ति के अधिकार को संविधान में मौलिक अधिकारों में रखा गया है। इस अधिकार के कारण ही देश में साहित्य, मीडिया, थियेटर व सिनेमा आदि का… Read More...
विश्लेषण/विचार अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला: शूटिंग के दौरान हिंसा और उत्पात गांव के लोग Oct 26, 2021 राष्ट्रीय सेक्युलर मंच ने विगत 24 अक्तूबर को भोपाल में एक वेब सीरीज की शूटिंग के दौरान बजरंग दल के लोगों द्वारा हिंसा और उत्पात मचाने की… Read More...
चिट्ठीरसां प्रकाश झा की मजबूरी (डायरी, 25 अक्टूबर 2021) गांव के लोग Oct 25, 2021 जाति और जातिगत हितों को भारत में सबसे अधिक महत्व ब्राह्मण वर्ग के लोग देते हैं। इसका एक ताजा उदाहरण है फिल्मकार प्रकाश झा, जो इन दिनों भाजपा… Read More...