मुझे तो उनकी फिल्म गंगाजल और अपहरण की याद आ रही है, जब उन्होंने लालू प्रसाद की छवि को दागदार बनाने के लिए फिल्मों का उपयोग किया। इन दोनों फिल्मों में प्रकाश झा ने जातिसूचक शब्दों का खूब इस्तेमाल किया। इसके बावजूद उनके उपर किसी ने हमला नहीं किया। लेकिन अब जबकि वे आश्रम के जरिए हिंदू धर्म के बाबाओं की पोल खोल रहे हैं तो उनके उपर हमला किया जा रहा है और वे चुप हैं।
खैर, सवाल यह है कि प्रकाश झा ने बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं कराई? एक वजह तो यह हो सकती है कि वे इस बात को समझते हैं कि इस घटना के अधिक प्रचार से बजरंग दल के उन्मादी कार्यकर्ताओं का महिमामंडन होगा और आने वाले दिनों में उनके ऊपर और हमले होंगे। दूसरी वजह यह हो सकती है कि वे इस बात को समझते हैं कि मध्य प्रदेश में भाजपा का शासन है और इसमें बजरंग दल के लोग भी शामिल हैं। ऐसे में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाने का कोई फायदा नहीं है। एक तीसरी वजह यह हो सकती है कि वे अपनी जाति और जातिगत हितों को संरक्षित करना चाह रहे हों।
बहरहाल, एक वरिष्ठ साथी ने मेरी बात के जवाब में कहा कि यदि ऐसा हुआ तो पूरा देश ही जेल बन जाएगा। एक अन्य वरिष्ठ साथी ने कहा कि यदि ऐसा हुआ कि गाली देने से जेल होने लगे तो 90 फीसदी पुरुष और 60 फीसदी महिलाएं जेल में होंगीं।