जहां भारत जोड़ो न्याय यात्रा से राहुल गांधी की लोकप्रियता चरम पर है, वहीं काँग्रेसी, पार्टी छोडकर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। लेकिन कांग्रेस का आला कमान इस खबर से बेपरवाह है। ऐसे में उनकी सामाजिक पृष्ठभूमि को खंगाला जाये तो ये वही दो प्रतिशत लोग हैं, जिनका देश की संपदा-संसाधनों, उद्योग-धंधों, मीडिया, उच्च शिक्षण संस्थाओं, न्यायपालिका, शासन-प्रशासन सहित समस्त स्रोतों पर एकाधिकार है
जीएसटी, नोटबंदी सहित विभिन्न मुद्दों पर राहुल ने कहा कि यह फैसले बिना विचार-विमर्श के लिए गए, जिसका दंश आज तक जनता भुगत रही है। यह मोदी सरकार की तानाशाही का नतीजा है।
द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) नेता और लोकसभा सदस्य कनिमोई ने कांग्रेस के मुख्य बैंक खातों से लेन देन पर कथित रोक की कड़ी आलोचना की। उन्होंने दावा किया कि यह कार्रवाई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेने से डर को प्रदर्शित करता है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक्स पर कहा कि “नरेंद्र मोदी की भ्रष्ट नीतियों का एक और सबूत आपके सामने है। भाजपा ने इलेक्टोरल बॉण्ड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था। आज इस बात पर मुहर लग गई है।“
वर्तमान में बिहार पर कमजोर होती पकड़ के बावजूद कांग्रेस औरंगाबाद और सासाराम संसदीय क्षेत्रों में पूरा दमखम दिखा रही है। पार्टी ने औरंगाबाद में आखिरी बार 2004 में जीत हासिल की थी। कांग्रेस नेता निखिल कुमार औरंगाबाद संसीदय क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे, जो बाद में नगालैंड और केरल में राज्यपाल के पद पर भी रहे थे।
अबकी बार 400 पार का' जो नारा उछाला, उसका समर्थन करते हुए अमित शाह से लेकर भाजपा के बाकी कनिष्ठ-वरिष्ठ नेताओं ने शोर मचाना शुरू कर दिया कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को 370 और राजग 400 से अधिक सीटें मिलेंगी और देश, विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनेगा। मोदी के दावे के बाद मीडिया में सर्वेक्षणों की बाढ़ भी आ गई, जिसमें उनके दावे को सही ठहराने का बलिष्ठ प्रयास हुआ। दरअसल मोदी ने 400 पार के ज़रिए विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के खिलाफ एक मनोवैज्ञानिक युद्ध छेड़ा है। भाजपा के लिए 2024 में 200 सीटें पाना भी मुश्किल है। उनके दावे को खारिज़ करने वालों का मानना है कि चूंकि मोदी ने राजसत्ता का बेइंतहा दुरुपयोग किया है और हारने पर उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं, इसलिए जीतने के लिए उद्भ्रांत होकर एक मनोवज्ञानिक युद्ध छेड़ा है।
जयराम रमेश ने कहा कि आठ अप्रैल, 2019 को उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयोग से वीवीपैट पर्ची मिलान वाले चुनाव बूथों की संख्या बढ़ाने का अनुरोध किया था। उन्होंने सवाल किया कि क्या निर्वाचन आयोग को उस तकनीक में अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता लाने के लिए प्रयास नहीं करना चाहिए?
नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की आलोचना किए जाने के...
जयपुर (भाषा)। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) पर हुए समझौते को लेकर सोमवार को राजस्थान विधानसभा में हंगामा हुआ, जहां मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस...