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दलित छात्रों के आत्महत्याओं के दौर में फुले दम्पति की याद

वर्ष 1942 में कनाडा में भाषण देते हुए डॉ. बीआर आम्बेडकर ने भारत में दलितों की समस्या की चर्चा करते हुए दो मुख्य बातों का उल्लेख किया था। उन्होंने पहली बात यह कही थी कि जाति व्यवस्था, साम्राज्यवाद से ज्यादा खतरनाक है और भारत में जातिप्रथा समाप्त होने के बाद ही शांति और व्यवस्था कायम हो पाएगी। दूसरी बात उन्होंने यह कही थी कि भारत में यदि किसी वर्ग को स्वतंत्रता की असली दरकार है तो वे दलित हैं।

होली के पीछे की असली कहानी गुलामगीरी में कैसे कहते हैं ज्योतिबा फुले

नरसिंह, हिरण्यकश्यप, प्रह्लाद, विप्र, विरोचन आदि के सम्बंध में धोंडीराव : वराह के मरने के बाद द्विज लोगों का मुखिया कौन हुआ? जोतिराव : नरसिंह। धोंडीराव :...

क्या आपने गुलामगीरी पढ़ा है?

क्या आपने गुलामगीरी  पढ़ा है? क्या आपके जीवन और चिंतन को इस किताब ने बिना विचलित किए छोड़ दिया? मुझे लगता है यह प्रश्न...

बद्री नारायण की बदमाशी (डायरी, 10 जुलाई, 2022) 

अंतिम क़िस्त  हम अन्याय देखने के भी आदी हो चुके हैं। हालांकि पहले भी लोग ऐसे ही थे। जातिगत भेदभाव तो बेहद सामान्य बात है...

दास्तां कलमकसाइयों की (डायरी,3 अक्टूबर, 2021)  

कोई भी समाज कितना सभ्य और विकसित है, इसके कई पैमाने हैं। इनमें से एक पैमाना यह कि सबसे कमजोर तबके के लोगों के...

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