दरअसल, बद्री नारायण ने किताब के प्रारंभ में दलितों और पिछड़ों के कुछ नायकों का उल्लेख किया है। इनमें जोतीराव फुले भी शामिल हैं। बद्री नारायण अच्छे लेखक हैं तो उन्होंने अच्छे तरीके से जोतीराव फुले का परिचय दिया है। लेकिन एक जगह वे कहते हैं कि --1848 में लड़कियों के लिए स्कूल खोलनेवाले जोतीराव फुले पहले हिंदू थे।
बद्री नारायण ने 'हाथी' चुनाव चिन्ह के बारे में जानकारी दी है। पूरी जानकारी ऐसे दी गयी है गोया कांशीराम कह रहे हों। जबकि यह बद्री नारायण का इंटेप्रेटेशन है। बहुजन समाज पार्टी के लिए 'हाथी' के पीछे उन्होंने तीन कारण बताए हैं। इनमें पहला कारण यह कि कांशीराम भारतीय समाज को 85 और 15 के अनुपात में बांटकर देखते थे। 85 फीसदी आबादी, जिसमें दलित, पिछड़े और आदिवासी सभी शामिल थे, को कांशीराम हाथी की तरह मानते थे तथा उसके सिर पर सवार महावत को द्विज। वह महावत जो कि एक लोहे के अंकुश को हाथी के सिर पर तबतक कोंचता रहता है, जबतक कि खून ना निकल जाय।
नवल किशोर कुमार फ़ॉरवर्ड प्रेस में संपादक हैं।
[…] बद्री नारायण की बदमाशी (डायरी, 10 जुलाई, 2… […]
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