सब्ज़ी उत्पादन के अलावा हमारा और कोई व्यवसाय नहीं है। हमारे पास जमीन के कुछ टुकड़े हैं, जिसपर हमने सब्जियां लगाना शुरू किया। हम हर सीजन पर कम से कम तीन से चार लाख रुपए की सब्ज़ियां आसानी से बेच देते हैं। वही इसी गांव में कुछ ऐसे भी किसान हैं जो सीजन पर कम से कम कई लाख की सब्ज़ियां बेच देते हैं। वह बताते हैं कि सब्जी उत्पादन में थोड़ी मेहनत लगती है।
पर्यटन रोजगार पैदा करता है और लोगों के जीवनस्तर को भी ऊपर उठाता है। यहां पर्यटक कम आने के कई कारण हैं, जैसे आवश्यक सुविधाओं की कमी, यातायात की कमी, रहने के स्थान में कमी और भोजन जैसी सुविधाओं का अभाव होना अहम है। चिनाब घाटी को पर्यटन के अनुकूल बनाने और पर्यटन उद्योग से जुड़े आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए तालमेल का होना आवश्यक है।
बिहार के अधिकतर किसान परंपरागत खेती करते हैं। धान, गेहूं, मक्के और सब्जी की खेती के अलावा कुछ हिस्सों में मखाना, मसाले की भी खेती होती है। हालांकि महंगे बिजली, पानी, खाद-खल्ली एवं खेतिहर मजदूरों की कमी के कारण परंपरागत खेती करना उतना फायदेमंद नहीं रहा कि किसान अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला सकें।
आजीविका मिशन की ओर से समय-समय पर सरस ग्रामीण मेला का भी आयोजन किया जाता है। इस मेले में सभी स्टाल महिलाओं द्वारा संचालित किये जाते हैं। इसका उद्देश्य एक ओर जहां महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है, वहीं समाज की रुढ़िवादी सोच को भी बदलना है। इस प्रकार के मेले से उन महिलाओं को भी फायदा पहुंचता है, जिन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने और अपना रोज़गार शुरू करने का ख्वाब तो होता है, लेकिन उन्हें अपने सपने को साकार करने का कोई प्लेटफॉर्म नज़र नहीं आता है।