जम्मू वाले मामले में भी यही हुआ है। कल जब मामला सामने आया तो कहा जा रहा था कि मंदिर के बाहर पुलिस वाले घूस लेकर लोगों को किसी देवी का दर्शन करा रहे थे और इस कारण लोग आक्रोशित हुए और भगदड़ मची। अब वहां के डीजीपी दिलबाग सिंह कह रहे हैं कि घटना के लिए जिम्मेदार लोग ही थे। दो गुटों के बीच झड़प हुई और इसके कारण भगदड़ हुई। इस मामले में भी जांच का दिखावा किया जा रहा है।
तो यह है धर्म का कारोबार। अखबार भी समझता है कि यदि उसने सच लिखा कि पुलिस की अकर्मण्यता और घूसखोरी के कारण भगदड़ मची तो लोगों का पाखंड कमजोर होगा। अखबार के संपादक सरकार का ध्यान रख रहे हैं। ध्यान रखना कहना ही ठीक है। दलाली करना अतिरेक कहा जाएगा। रही बात सरकार की तो वह तो मंदिर की प्रतिष्ठा और लोगों के पाखंड को आस्था की संज्ञा देकर बढ़ाते रहना चाहती है।

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