आज दलितों के ऊपर जो भी अत्याचार हो रहे हैं, उसका मूल कारण उनका आर्थिक रूप से कमजोर होना है। वर्तमान बीजेपी की सरकार के कार्यकाल में दलितों के ऊपर अत्याचार की घटनाओं में इजाफा हुआ है ।
अछूत व्यवस्था लगभग पहली सदी ईस्वी में जाति व्यवस्था का अंग बनी। मनुस्मृति, जो दूसरी या तीसरी सदी में लिखी गई थी, में तत्कालीन लोक व्यवहार को संहिताबद्ध किया गया है और इससे पता चलता है कि उत्पीड़क वर्गों द्वारा पीड़ितों पर कितने घृणित प्रतिबंध और नियम लादे जाते थे।
सभी समाजों के स्त्री-पुरुषों के संख्यानुपात में बंटवारे के लिए वंचितों का संयुक्त मोर्चा खोला जाय तो हिन्दू उर्फ़ ब्राह्मण-धर्म की रक्षक भाजपा बहुजन आकांक्षा के सैलाब को झेल नहीं पायेगी और 2024 में तिनकों की भांति बह जाएगी। अगर हम ऐसा नहीं कर सके तो 2024 में सत्ता में आकर भाजपा वह कर देगी कि बहुजन शक्ति के स्रोतों में भागीदारी का सपना देखना छोड़ देंगे!