4 जून से पहले, चुनाव को लेकर जहां पूरे देश में अलग-अलग पार्टियों की राजनीति चर्चा केंद्र में थी, वहीं 4 जून को नीट के नतीजे आने बाद नीट पपेरलीक होने की चर्चा हो रही है। फिर 18 जून को नेट परीक्षा का पेपरलीक हो गया। परीक्षा एजेंसी ने दुबारा परीक्षा करवाने की बात जरूर कही है लेकिन क्या आने वाले दिनों में पेपरलीक नहीं होगा, इसका भरोसा युवा कैसे करें?
केन्द्र की मोदी सरकार की नीतियों से युवाओं में न सिर्फ निराशा और हताशा है बल्कि आक्रोश का एक गुबार भी उनके अन्दर है । बेरोजगार युवाओं के अन्दर का यह गुबार वोट की चोट के रूप में देखने को मिलेगा, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता।
जहाँ एक तरफ सरकार देश के युवाओं को रोजगार मांगने वाला नहीं बल्कि देने वाला बता रही है वहीं फतेहपुर के युवा कॉलेज से डिग्रियां लेने के बाद भी रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
अभी पुलिस परीक्षा के पेपर लीक का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था और योगी सरकार ने मात्र 1782 पदों पर चयनित लोगों को नियुक्ति पत्र देने का आयोजन कर क्या साबित करना चाहती है?
परीक्षा के बाद से ही अभ्यर्थी एक्स पर आरओ/ एआरओ परीक्षा की जांच कराने की मांग करते हुए #RO_ARO_PAPER_LEAK ट्रेंड करा रहे हैं। छात्रों ने दोबारा परीक्षा कराने की मांग की। अभी तक लगभग दो लाख पोस्ट एक्स पर किये जा चुके हैं।
पेपर लीक से संबंधित अभ्यर्थियों के कई वीडियो और पेपर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश के लोकसेवा आयोग के अनुसचिव ओंकार नाथ सिंह ने प्रेस नोट जारी कर परीक्षा को सकुशल, निर्विघ्न और सुचितापूर्ण सम्पन्न होने की घोषणा किया है।
अब सवाल यह उठता है कि आए दिन पेपर निरस्त होते हैं, तो प्रदेश सरकार किन बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने का दावा करती है। इन दावों के बावजूद, देश की बेरोजगारी दर 7.95 क्यों है? वहीं, आज के युवा पीएचडी व एमबीए करके भी फोर्थ क्लास की नौकरी के लिए अप्लाई कर रहे हैं। ऐसे में योगी सरकार का छह साल में छह लाख लोगों को नौकरी देने का दावा न विपक्ष को हज़म हो रहा है और न ही प्रदेश के युवाओं के गले से नीचे उतर रहा है, जो बीते कई सालों से नौकरी के लिए लेकर सड़क से सोशल मीडिया तक प्रदर्शन करते रहे हैं और कई बार पुलिस की लाठियों का शिकार भी बने हैं।