नदियों में पानी बहुत कम रह गया है और जो है वह बहुत ही दूषित है। यह बड़ी नदियों के लिए भी नुकसानदेह है। यह स्थिति पेड़, पहाड़ और जंगल के लिए भी खतरनाक है। अभी हाल ही में येल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल लॉ एंड पॉलिसी के सेंटर फॉर इंटरनेशनल अर्थ साइंस इनफार्मेशन नेटवर्क द्वारा प्रकाशित 2022 पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI) में भारत 180 देशों में सबसे निचले पायदान पर रहा, जो कि चिंताजनक है। इस सूचकांक में डेनमार्क प्रथम, ब्रिटिश द्वितीय और फिनलैंड तृतीय स्थान पर रहा। भारत की यह स्थिति पर्यावरण के संकट पर सोचने और उसे बचाने के लिए ध्यान आकर्षित करता है।
देवरिया जनपद में बिहार राज्य की सीमा पर स्थित ‘स्याही नदी’ अपने नाम और वर्तमान स्थिति के कारण एक अनोखी नदी है। सन1916-17 में अंग्रेजों के जमाने में की गयी चकबंदी में बीस किमी लम्बाई में लगभग 300 मीटर चौड़ाई वाली महानदी स्याही के समस्त प्रवाह क्षेत्र को एक राजस्व ग्राम ‘मोहाल स्याही नदी’ के रूप में दर्ज कर उसके भीतर किसानों के कृषि कार्य हेतु चक आवंटन करना आश्चर्यचकित करने वाली घटना है।