Thursday, November 21, 2024
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मेरा गाँव : 30 वर्षों के बाद गांव वापस लौटे अतुल यादव के खट्टे-मीठे अनुभव

यह कहानी लेखक अतुल यादव के गांव पांडेयपुर की है, जो 30 वर्षों बाद अपने गांव वापस लौटे हैं, अपने गांव लौटने का जिक्र उन्होंने अपने कई शुभचिंतकों, दोस्तों और गुरुजनों से किया, लेकिन किसी ने इस बारे में सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी , सभी ने कहा कि तुम्हें और आगे बढ़ना चाहिए गांव में क्या रखा है? आगे की कहानी अतुल की जुबानी...

मेरा गाँव : इस लड़की को बाहर करो यह बहुत ज्यादा हँसती है!

डॉ. लता प्रतिभा मधुकर जानी-मानी लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। मुंबई में रहने वाली लता प्रतिभा मधुकर नर्मदा बचाओ आंदोलन के साथ ही पिछड़ा वर्ग के आन्दोलनों में शामिल रही हैं। साथ ही  उसमें इस वर्ग की भागीदारी के लिए  बहुत काम कर चुकी हैं। उनका बचपन नागपुर में बीता।

Bhadohi के सरकारी स्कूलों के शिक्षक कैसे बना रहे हैं छात्रों का भविष्य

भदोही के सरकारी स्कूलों में आधुनिक एवं डिजिटल शिक्षा देने की मुहिम में अग्रसर प्राथमिक विद्यालय चितईपुर और बेजवाँ में देखने को मिली. इस...

वाराणसी : एक ऐसा गाँव जहाँ एक अंग्रेज़ को लोग बाबा की तरह पूजते हैं

अपनी सांस्कृतिक विशेषताओं के साथ ही घोड़हा के लोगों ने शिक्षा के महत्व को समझा है। अब लगभग हर घर के बच्चे स्कूल जाते हैं। लड़के-लड़की में पहले की तरह भेदभाव करने की परंपरा कमजोर पड़ती गई है। अब लड़के ही केवल दुलरुआ नहीं हैं, बल्कि लड़कियां भी दुलारी हैं।

मुर्दों की जिज्ञासा

दो मुर्दे मस्त सोते हुए टाइम पास कर रहे थे कि तभी... 'का गुरु ये क्या शोर है!' पहला मुर्दा बोला। 'नया स्टाफ होगा!' दूसरे मुर्दे...

संवेदना की एक मरी हुई नदी…

परसों अजय की बाइसवीं बरसी है। राम सुदेश बाबू गणेशी को लेकर अमवाड़ी में साफ-सुथरा करवा रहे हैं। हर वर्ष उन्हें यह दिन याद...

इक्कीसवीं शताब्दी के पुरुष में भी ओथेलो मौजूद है

बातचीत का चौथा हिस्सा जब आप कहानी लिखती हैं तो मन:स्थिति कैसी होती है। थोड़ा रचनाप्रक्रिया पर भी प्रकाश डालें?  शुरू के दो तीन सालों को...

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