वाराणसी। बढ़ती बेरोज़गारी के बावजूद राजातालाब के ठेला-पटरी व्यवसायियों को उजाड़ा जा रहा हैं। राजमार्ग के ओवरब्रिज के नीचे और दोनों किनारे दुकानें लगाकर किसी तरह रोज़ी-रोटी कमाने वाले सैकड़ों लोग सड़क पर आ गए हैं। इसके चलते ठेला-खोमचा और पटरी व्यवसायी बेहाल हैं। उनकी रोजी-रोटी छिन गई है।
ये लोग कैसे अपने परिवार का भरण-पोषण करें, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। यह तब है जब इनके आजीविका संरक्षण के लिए बाक़ायदा सुप्रीम कोर्ट का आदेश है। वहीं, स्ट्रीट वेंडर एक्ट को भी केंद्र सरकार पास कर चुकी है।
राजातालाब हाईवे के किनारे ऐसे तमाम गरीब बेसहारा लोग हैं, जो विगत कई वर्षों से ठेला-खोमचा लगाकर अपनी रोजी-रोटी चला रहे थे। अब इनके ही क्षेत्र के रसूखदारों की शिकायत पर रेहड़ी पटरी वाले दुकानें पुलिस के संरक्षण में हटा दी गईं। यह तब है जब ये सभी नियमित रूप से इन जगहों पर निवास तथा व्यापार करते आ रहे हैं। इन लोगों के नाम मतदान परिचय-पत्र, बिजली व पानी का बिल तथा अन्य सरकारी देनदारी अदा करने की रसीदें भी हैं मगर रसूखदारों के इशारे पर प्रशासन ने इन लोगों को किसी भी तरह का तवज्जो देना उचित नहीं समझा।
खता किसी की सजा किसी को
महिला और पुरूष वेंडरो ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कुछ माह पहले थाने के दरोग़ाजी मुफ़्त में जूस और फल मंगाते थे, नहीं देने पर धमकी भी दिए थे। इस दौरान कुछ दिन पहले क्षेत्र के एक रसूखदार की गाड़ी सड़क किनारे लगे ठेले से टकरा गई थी, इस पर बड़ा विवाद भी हो गया था। इसके कुछ ही दिन बाद पुलिस हमारे दुकानों को उजाड़ने आ गई। पूछने पर पुलिसकर्मियों ने बताया कि किसी ने ऊपर शिकायत की है। आदेश के बाद हम कार्रवाई कर रहे हैं।
पीड़ितों का यह भी कहना था कि सैकड़ों नहीं हजारों लोग अतिक्रमण कर बड़ी-बड़ी दुकानें चला रहे हैं। इसी क्षेत्र में ‘रसूख’ वाले कई लोगों ने लॉ कालेज रोड, पंचक्रोशी मार्ग और सरकारी जमीन पर कब्ज़ा कर पक्का घर बना लिया है। पीड़ितों ने यह भी आरोप लगाया कि हाईवे किनारे राजातालाब थाने से कुछ ही दूर स्थित एक धर्मशाला पर अवैध क़ब्ज़ा कर पुलिस चौकी बना ली गई, उनको कोई कुछ नही कहता है। हम गरीब लोग दुकान लगाकर आजीविका चलाते थे, तो हमें उजाड़ दिया गया। पीड़ितों ने पूछा कि क्या यहाँ गरीबों के लिए अलग कानून है और अमीरों के लिए अलग?
हक के लिए लड़ेंगे
राजातालाब के ठेला-पटरी व्यवसायियों और दुकानदारों के साथ जो हुआ, उसकी स्थानीय सामाजिक संगठनों ने निंदा की है। सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने कहा कि हम लोग उजाड़े गए दुकानदारों के साथ खड़े हैं। यहाँ के ठेला-पटरी व्यवसायियों की अगुवाई में यह लड़ाई लड़ी जाएगी।
सामाजिक कार्यकर्ता ने ठेला-पटरी व्यवसायियों को उजाड़ने की कार्रवाई को गैर कानूनी बताया है। कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के आजीविका संरक्षण के आदेश और आजीविका संरक्षण फेरी नीति कानून का उल्लंघन है। यहां के ठेला-पटरी व्यवसायियों को बिना बसाए उजाड़ने की कार्रवाई को सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तुगलकी बताते हुए 24 घंटे के अंदर पुनर्वासन और व्यवस्थापन की मांग की गई हैं। चेताया कि अन्यथा की दृष्टि में हम लोग आंदोलन को बाध्य होंगे।