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कोटा : नहीं थम रहा आत्महत्याओं का सिलसिला, एक और विद्यार्थी ने की आत्महत्या

कोटा को कोचिंग हब माना जाता है। पूरे देश से डॉक्टर और इंजीनियरिंग में प्रवेश लेने के लिए छात्र यहाँ आते हैं। पढ़ाई के दबाव के चलते लगातार आत्महत्या की खबरें आती रहतीं हैं। इस वर्ष चार महीनों में 9 छात्रों ने आत्महत्या की।

राजस्थान में कोटा के कुन्हारी इलाके में राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) की तैयारी कर रहे 20 वर्षीय अभ्यर्थी ने अपने छात्रावास के कमरे में पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने यह जानकारी दी। मृतक के माता-पिता को संदेह है कि उसकी हत्या की गयी है।

पुलिस के अनुसार, कोटा में इस साल अब तक एनईईटी या जेईई अभ्यर्थी द्वारा संदिग्ध आत्महत्या करने का यह सातवां मामला है। पुलिस ने बताया कि मृतक सुमित पांचाल हरियाणा के रोहतक का रहने वाला था, और एक साल से अधिक समय से यहां एक कोचिंग संस्थान में एनईईटी की तैयारी कर रहा था।

परिजनों ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की

उसके माता-पिता ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। इस मामले की जांच कर रहे सहायक उपनिरीक्षक कप्तान ने कहा कि मृतक के माता-पिता की मांग पर शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है।

एएसआई ने बताया कि छात्रावास के कर्मचारियों द्वारा उसके शव को देखे जाने से लगभग नौ घंटे पहले उसने कथित तौर पर फांसी लगा कर आत्महत्या की थी। उन्होंने बताया कि पंचाल का शव रविवार रात कुन्हारी पुलिस थाना क्षेत्र के लैंडमार्क सिटी में स्थित छात्रावास में उसके कमरे के छत के पंखे से लटका हुआ पाया गया था।

पुलिस ने कहा कि उसके माता-पिता को संदेह था कि पांचाल की हत्या की गई है। उनका कहना था कि उसकी गर्दन पर रस्सी से लगी चोट गहरी थी क्योंकि फांसी लगाने से ऐसी चोट नहीं लगती है। उन्होंने बताया कि मामले की प्रारंभिक जांच के लिए धारा 174 के तहत अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया गया है।

कुन्हारी पुलिस थाने के एक पुलिस अधिकारी अरविंद भारद्वाज ने बताया कि मृतक के कमरे से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है और आत्महत्या करने के कारण का भी पता नहीं चल पाया है। पुलिस ने बताया कि पांचाल को अगले महीने एनईईटी की परीक्षा देनी थी।

अरविंद भारद्वाज ने बताया कि उसने कथित तौर पर रविवार दोपहर को किसी समय फांसी लगा ली, लेकिन यह मामला तब सामने आया जब वार्डन ने रात करीब साढ़े नौ बजे कमरे में उसके शव को देखा था। जिसके बाद उन्होंने पुलिस को इस बारे में सूचना दी।

अरविंद भारद्वाज ने बताया कि पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची और शव बरामद कर पोस्टमॉर्टम के लिए एमबीएस अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया। शव लेने के लिए सोमवार सुबह कोटा पहुंचे मृतक के पिता, चाचा और दादा ने कोई गड़बड़ी होने का संदेह जताया और दावा किया कि उनके भतीजे ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि उसकी हत्या की गई है।

सुमित के चाचा सुरेंद्र पांचाल ने शवगृह के बाहर पत्रकारों से बातचीत में  कहा, ‘सुमित पढ़ाई में अच्छा था और वह हमेशा कहता था कि उसे शीर्ष दस में रैंक हासिल होगी। वह आत्महत्या नहीं कर सकता।’ उन्होंने दावा किया कि उसकी गर्दन में घाव इतना गहरा है कि यह फांसी लगाने से नहीं हो सकता। उन्होंने शव का पोस्टमार्टम कराने की मांग की है।

कोटा में तैयारी कर रहे छात्रों में बढ़ रही आत्महत्या की प्रवृत्ति और उसका कारण ?

कोटा में हर साल लाखों छात्र इंजीनियरिंग और मेडिकल की कोचिंग के लिए जाते हैं। कोटा कोचिंग का हब है और यहां कई कोचिंग सेंटर हैं। कोटा में आईआईटी जेईई और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी के लिए हर साल लाखों की संख्या में छात्र जाते हैं।

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट की माने तो अप्रैल 2023 तक कोटा में  तैयारी कर रहे 23 छात्रों ने अपनी जान दे दी। इसमें खास बात यह थी कि आत्महत्या करने वाले 23 युवा छात्रों में आधे से अधिक नाबालिग हैं  यानि 18 वर्ष से कम उम्र के हैं  और इनमें से 12 ने कोटा पहुंचने के छह महीने के भीतर ख़ुदकुशी कर ली। ये बच्चे  ऐसे परिवारों से थे जो या तो गरीब हैं या निम्न मध्यम वर्ग का हिस्सा थे।

देखा जाय तो इस साल अब तब एक आंकड़े के मुताबिक 9 छात्रों ने कोटा में आत्महत्या की।

आत्महत्या के पीछे के कारणों पर प्रकाश डाला जाय तो यही बात समझ में आता है कि कोटा जाने के बाद छात्रों के ऊपर लोगों की आशाओं का भार बढ़ने लगता है। मा- बाप सोचते है कि उनका बेटा पढ-लिखकर डॉक्टर बने जबकि बेटे की रूचि दूसरे फील्ड में जाने की होती है। पिछले कुछ वर्षों में कोटा के कोचिंग संस्थानों में तैयारी कर रहे छात्रों में अत्महत्या की प्रवृति बढ़ी हैं। इसके पीछे के कई कारण सामने नजर आते है। माँ-बाप का अपने बच्चों से ज्यादा उम्मीद पालना। स्वतंत्र होकर पढ़ने या तैयारी करने देने के बजाय बार-बार उन्हें (बच्चों) को टोकते रहना कि अभी तक कुछ हुआ की नहीं ? कब तक पढ़ते रहोगे ? कब तक हम तुम्हारी इतनी फीस भरते रहेंगे? इसके अलावा कोचिंग के शिक्षकों का दबाव अलग होता है। अपने आपको नंबर एक बनाने के चक्कर में इन संस्थानों में  छात्रों को क्लास में अपमानित भी किया जाता है। एक दो बार असफल होने की स्थिति में छात्रों के ऊपर दबाव चारों तरफ से और बढ़ने लगता है। जिसका परिणाम यह होता है कि छात्रों के सामने फांसी के फंदे के अलावा कोई दूसरा विकल्प ही नहीं नजर आता।

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