किसी भी आत्महत्या के समाचार मिलने के बाद, कुछ देर आत्महत्या के कारणों के कयास लगाए जाते हैं लेकिन आत्महत्या करने के लिए जिन मानसिक व आर्थिक दबावों का सामना व्यक्ति करता है, उससे उबरने की कोशिश करने का माद्दा उसमें बचा नहीं होता। देश में आत्महत्या के आंकड़ें जिस गति से बढ़ रहे, उसके लिए बढ़ते मानसिक दबाव के साथ अवसाद प्रमुख है। भले यह लोगों को व्यक्तिगत कारण लगे लेकिन इसके लिए सरकार द्वारा लागू नीतियाँ पूर्णत: जिम्मेदार है।
कोटा को कोचिंग हब माना जाता है। पूरे देश से डॉक्टर और इंजीनियरिंग में प्रवेश लेने के लिए छात्र यहाँ आते हैं। पढ़ाई के दबाव के चलते लगातार आत्महत्या की खबरें आती रहतीं हैं। इस वर्ष चार महीनों में 9 छात्रों ने आत्महत्या की।
जैसे ही हाई स्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के परिणाम घोषित होते हैं, उसके बाद देश के हर हिस्से से छात्रों के आत्महत्या करने जैसे मामले बढ़ जाते हैं। स्कूल और माता-पिता का एक परोक्ष-अपरोक्ष दबाव इसका कारण हो सकता है।
गागलहेड़ी इलाके के गांव रसूलपुर पापड़ेकी में किसान विनोद कुमार ने बैंक के कर्ज में डूबे होने के कारण आत्महत्या कर ली। मृतक किसान के बेटे ने बैंक कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है।
आज समूचे देश में कृषि-क्षेत्र में 72 प्रतिशत से ज़्यादा लड़कियाँ और महिलाएँ दिन-रात पसीना बहा रही हैं। मगर उनका अस्तित्व आज भी उनके पति के अस्तित्व पर निर्भर करता है। फिर भी इन औरतों ने परिस्थितियों से जूझना बंद नहीं किया है। महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के बाद उनकी पत्नियाँ किस तरह उनका कर्ज उतारकर जीवन जी रही हैं, पढ़िये ग्राउंड रिपोर्ट
जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश में आए दिन महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं घटित हो रही हैं उससे यह प्रतीत होता है कि सरकार लोगों को सुरक्षा देने में नाकाम साबित हो रही है।
डाउन टू अर्थ मैगज़ीन और सेण्टर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर दिन 28 से ज्यादा किसान आत्महत्या करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में 5957 किसान और 4324 खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की। यह बहुत ही भयानक स्थिति है। आप सोचकर देखिये कि जब घर का मुखिया किसान जब खेती-किसानी कर परिवार नहीं चला पा रहा है तब उसकी अनुपस्थिति में परिवार का क्या हश्र होगा? किसानों को नहीं चाहिए स्मार्ट सिटी, नहीं चाहिए बुलेट ट्रेन, उन्हें चाहिए उचित दाम पर खाद, बिजली-पानी और तैयार फसल के लिए उपयुक्त मंडी, जहाँ अपनी फसल बेचकर वे सम्मानपूर्वक जीवन गुजार सकें।