चुनाव का माहौल है। तीन चरणों की वोटिंग हो चुकी है। चुनाव के इस माहौल में आमजन से जुड़ी समस्याओं और उन समस्याओं का निस्तारण पर लोगों की राय जानने के लिए ‘गाँव के लोग’ की टीम ने मिर्ज़ापुर जिले का दौरा किया।
मिर्ज़ापुर शहर में पहुँचने पर चाय की एक दुकान पर कृष्ण गोपाल चौबे मिल गए। स्थानीय समस्याओं के बाबत कृष्ण गोपाल चौबे कहते हैं, ‘बेरोजगारी और महंगाई की समस्या पूरे देश में बनी हुई है। बच्चे पढ़ लिखकर बेकार पड़े हुए हैं। इस सरकार से लोगों को बड़ी उम्मींद थी लेकिन निराशा हाथ लगी। मोदी ने कहा था ‘दो करोड़ नौजवानों को रोजगार देंगे, लेकिन इन नौकरियों का कहीं अता-पता नहीं। सरकार ने जो परीक्षाएं करवाई उसका भी परिणाम निराशाजनक रहा।’
सरकार की नीतियों से छोटे उद्योग ख़त्म होने की कगार पर
वर्तमान मोदी सरकार की नीतियों का बुरा असर उद्योग जगत पर पड़ा है। प्रापर्टी का बिजनेस करने वाले मिर्जापुर जिले के गुलाम हैदर कहते हैं ‘प्रापर्टी के क्षेत्र में ही नहीं, लगभग सभी क्षेत्रों में इस सरकार की नीतियों का बुरा असर पड़ा है। कहीं कोई विकास नहीं हुआ है। पूरे शहर में हर जगह खुदाई हुई है। आज देखा जाय तो महंगाई अपने चरम पर है। पढ़े लिखे युवाओं के पास रोजगार नहीं है। मिर्जापुर एक मंत्री का क्षेत्र होने के बावजूद इतना उपेक्षित है तो एक आम शहर की क्या स्थिति होगी, इसकी कल्पना आसानी से की जा सकती है। अस्पतालों का हाल यह है कि छोटी मोटी समस्याओं का समाधान तो यहां हो जाता है लेकिन दिक्कत ज्यादा है तो यहां से डॉक्टर तुरंत वाराणसी के लिए रेफर कर देते हैं।’
मिर्जापुर शहर में चाय की दुकान चलाने वाले विजय कुमार गुप्ता महंगाई के सवाल पर बोले ‘महंगाई तो बहुत है और उससे हम लड़ तो नहीं पा रहे हैं लेकिन उससे लड़ने की कोशिश कर रहे हैं।’ सरकार आपकी उम्मीदों पर कितना खरा उतरी? सवाल के जवाब में विजय गुप्ता बोले ‘सरकार से हमने जितनी उम्मींद की थी, सरकार उस पर खरी नहीं उतरी।’
विजय कुमार गुप्ता के लड़के अभी छोटे-छोटे हैं और अभी पढ़ाई कर रहे हैं। पेपर लीक के सवाल पर विजय गुप्ता बोले ‘इस सरकार में जितनी भी परीक्षाएं हुई लगभग सभी के पेपर लीक हुए। इस पेपर लीक की जांच भी हुई लेकिन उस जांच का परिणाम सामने नहीं आया। इसलिए सरकार से मेरी यही मांग है कि जो लड़के इतनी मेहनत करके परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उनकी मेहनत बेकार न जाए, इस पर सरकार को ठोस पहल करनी चाहिए।’
जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार हुआ मिर्जापुर
मिर्जापुर के ही मूल निवासी मयंक पाठक मिर्जापुर की उपेक्षा के सवाल पर बोले ‘आज भी देखा जाय तो मिर्जापुर पूरी तरह से उपेक्षित है। आज से 20 साल पहले मिर्जापुर जहां था आज भी वहीं का वहीं है। कुछ मामलों में विकास हुआ होगा तो वह न के ही बराबर है। यहां का पीतल उद्योग आज अंतिम सांसें ले रहा है। यहां के सांसद या विधायक इस जिले के विकास के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं।
टूरिस्ट के क्षेत्र में भी कोई विकास नहीं हुआ है। मिर्जापुर के चुनार का किला को देखा जाय तो आज भी वहां गंदगी पड़ी रहती है। वहां पर कोई भी नया चीज डेवलप नहीं हुआ।’ मिर्जापुर को आप किस रूप में देखना चाहते हैं? सवाल पर मयंक पाठक बोले ‘मिर्जापुर जिले का विकास बनारस, इलाहाबाद और लखनऊ की तरह हो। मिर्जापुर में भी बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कम्पनियों के शो रूम खुले जिससे यहां के लोगों को रोजगार मिले। डेवलपमेंट से तात्पर्य मेरा यह है कि यहां के लोगों को वह चीजें चाहिए जो यहां पर मौजूद नहीं हैं।’
मिर्जापुर जिले की उपेक्षा के लिए आप किसे दोषी मानते हैं? सवाल पर मयंक पाठक बोले ‘इसके लिए तो यहां के जनप्रतिनिधि ही जिम्मेदार है। जब वे यहां की समस्याओं को संसद, विधानसभाओं में नहीं उठाएंगे तो फिर यहां की समस्याएं कैसे हल होंगी। यहां के एक दो पुराने सांसद थे, उन्हीं लोगों ने कुछ काम किया था। लेकिन नए सांसद ने तो कोई काम ही नहीं किया। यहां के बहुत सारे ऐसे छोटेछोटे गांव हैं जहां पर लोगों को ठीक ढंग से पानी नसीब नहीं हो रहा है। वे गड्ढ़ों का पानी पीने को मजबूर हैं। यहां के जो भी जनप्रतिनिधि हैं पहले तो वे स्कूटर या मोटर सायकिल से चलते थे लेकिन चुनाव जीतने के बाद गाड़ियों से चलने लगे। उनके पास समय नहीं होता है कि वे अपने क्षेत्र की जनता से मिलकर उनकी समस्याओं को जाने और उसका निराकरण करवाएं। मिर्जापुर में आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क की बहुत समस्याएं हैं जिसे दूर करने की जरूरत है।’
चाय की दुकान के बाहर खड़े रितेश अग्रहरि जो कि मकान तोड़ने का काम करते हैं से जब पूछा गया कि आप कैसी सरकार चाहते हैं तो उन्होंने कहा ‘मैं तो मोदी सरकार को ही अच्छा मानता हूं। यह सरकार अच्छा काम कर रही है। कोई भी सरकार हो हमें खाने के लिए नहीं देगी। यहाँ सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है तो उनके बगल में खड़े संजय दूबे रितेश के जवाब से असंतुष्ट होते हुए बोले ‘यह सरकार कुछ भी अच्छा नहीं कर रही है। आज देश के नौजवान रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं। शिक्षा इतनी महंगी होती जा रही है। सरकार से जनता को मिलने वाली सारी सुविधाएं बंद कर दी गईं। रेलवे में 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को यात्रा में रियायत दी जाती थी। इस सरकार ने बंद कर दिया। यात्रा के दौरान 10 साल के बच्चों का भी टिकट लग रहा है। सरकार ने कोरोनाकाल में कोविशील्ड लगवा दिया, अब साइलेंट हार्ट से लोगों की मौत हो रही है। सरकार कह रही है कि इसमें कहीं भी हमारा लेना देना नहीं है।’
इलेक्टोरल बॉण्ड और नोटबंदी भारत का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला
सवाल पूछने वाले अंदाज में संजय दूबे बोले ‘आप भी पत्रकार हैं, आपको भी कहीं न कहीं से जबर्दस्ती लगवाया गया होगा। सरकार कह रही है कि वह आर्थिक रूप से मजबूत है। इलेक्टोरल बॉण्ड, रॉफेल घोटाला और नोटबंदी को ही देख लीजिए। इलेक्टोरल बॉण्ड और नोटबंदी से बड़ा घोटाला भारत में अब तक नहीं हुआ।’ भाई साहब (रितेश अग्रहरि) की ओर इशारा करते हुए संजय दूबे बोले ‘पीतल के नथिया पर एतना गुमान जब सोने क रहत त चलतू उतान (यानि पीतल की नथिया पर इतना गुमान कर रही हो जब सोने की होती तब उतान होकर चलती।) वही हाल यहां भी है।
संजय दूबे आगे बोले ‘पांच किलो राशन पर इतना गुमान कर रहे हैं। आज देखा जाय तो दवा कॉपी किताब और कपड़े पर 18 प्रतिशत जीएसटी लग रहा है। 44 साल की अपनी उम्र में मैंने पहली ऐसी सरकार देखी जिसने कॉपी किताब पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया। कॉपी किताब पर जीएसटी लगाने के पीछे मोदी की सोच है कि ‘अनपढ़ रहेगा इंडिया तो मोदी मोदी करेगा इंडिया।’ नोटबंदी के दौरान कितने लोगों की मौत हो गई। कोरोना के दौरान इतनी मौतें हुईं, लेकिन सरकार इस बात को मानने से नकारती रही। जबकि डब्ल्यूएचओ कहता है कि भारत में कोरोना के दौरान 40 लाख लोगों की मौत फर्स्ट फेज में हुई। जब भारत के लोगों को आक्सीजन की जरूरत थी तो सरकार ने एक्सपोर्ट किया। न तो उस समय इनके पास ठीक-ठाक अस्पताल था, न ही अस्पतालों में सुविधाएं। चुनाव के समय इस सरकार के पास तीन-चार ही मुद्दे हैं, भारत-पाकिस्तान, मंदिर-मस्जिद और हिन्दू-मुसलमान। सरकार ने 15 लाख खाते में देने का वादा किया। आया क्या? आज लोग अपने परिवार के लोगों का पेट पालने के लिए रोजगार के लिए छटपटा रहे हैं और देश का प्रधानमंत्री मंगलसूत्र की बात कर रहा है। यह कितने अफसोस की बात है।’
यहीं पर भीड़ में खड़ा एक युवा अपने मन की बात कहने को आतुर दिखा। अपना नाम आकाश यादव बताने वाला इस युवा ने कहा, ‘आज प्रदेश में जो भी परीक्षाएं हो रही हैं उनका हाल यह है कि प्रश्न मिलने से पहले उत्तर आ जा रहा है। सरकार ही जानबूझकर पेपर लीक करवा रही है ताकि उसे रोजगार न देना पड़ा। लड़के इतनी मेहनत से परीक्षा की तैयारी करते हैं। परीक्षा की तैयारी में समय लगता है लेकिन उनकी मेहनत पर पानी फिर जा रहा है। युवाओं में हताशा है। युवाओं के आत्महत्या करने के मामले बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं। शहर में प्रदूषण का यह हाल है कि घर से नहा धोकर निकलिए, थोड़ी ही देर में आपके कपड़े गंदे हो गाएँगे।’ आप किस प्रकार की सरकार चाहते हैं? सवाल के जवाब में आकाश यादव बोले, ‘मैं ऐसी सरकार चाहता हूं जो लोगों को रोजगार मुहैया कराए।’
अन्त में बस इतना ही कहा जा सकता है कि मिर्जापुर की जनता में महंगाई, बेरोजगारी और जनता की रोजमर्रा से जुड़ी समस्याओं का समाधान न होने से आक्रोश है। उसका यह आक्रोश निश्चित ही सातवें चरण में होने वाले चुनाव में भी दिखाई देगा, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता।