वाराणसी। स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 में वाराणसी को कचरा मुक्त शहर में ‘थ्री स्टार’ प्राप्त हुआ है, जबकि यहाँ कुछ प्रमुख मार्गों को छोड़कर जगह-जगह पर कूड़े का ढेर दिख ही जाता है। छोटी-बड़ी गलियों व चट्टी-चौराहों का हाल तो और भी ज्यादा बुरा है। शहर की साफ-सफाई व्यवस्था को देखने के लिए गाँव के लोग डॉट कॉम की टीम निकली तो जगह-जगह कूड़े का ढेर नजर आया। इन कूड़ों के ढेर पर आवारा पशु और कुत्ते विचरण करते दिखे।
क्या कहते हैं लोग
वाराणसी के कादीपुर (शिवपुर) में चाय की दुकान चलाने वाले रामकिशुन यादव शहर को ‘थ्री स्टार’ मिलने पर व्यंग्य शैली में अपने पीछे के कूड़े की ढेर की ओर इशारा करते हुए कहते हैं, इसी की बदौलत शहर को थ्री स्टार मिला है। जिसका मन आता है वही यहां पर आकर कूड़ा फेक जाता है। किसी को मना भी नहीं किया जा सकता। लेकिन सच कहूं तो शहर साफ कम और सफाई का ढिंढोरा ज्यादा पीटा जा रहा है। अधिकारियों की नजर मुख्य सड़क पर ज्यादा रहती है और उसी को चमकाने में सरकारी बजट का दुरूपयोग हो रहा है।
कादीपुर (शिवपुर) निवासी गौतम सिंह शहर को थ्री स्टार मिलने की बाबत कहते हैं कि शहर को अगर थ्री स्टार मिला है तो यहाँ के लोगों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए और खुद प्रयास करना चाहिए कि अपने आस-पास के वातावरण को साफ रखें। लेकिन दुख की बात है कि बनारस में लोग अपनी मर्जी के हिसाब से ही चलते हैं। प्रमुख सड़कें साफ हैं और इसी लिए शहर को थ्री स्टार श्रेणी मिला गया है। यह बात सही है कि अंदर की गलियों में गंदगी ज्यादा है, लेकिन रख-रखाव की जिम्मेदारी आम जन की होती है। आम आदमी को इस बात को याद रखना चाहिए। सरकार कितना और कब तक लोगों के गंदगी को साफ करवाती रहेगी।
शिवपुर के ही रहने वाले चन्दन तिवारी कहते हैं कि शहर को जो थ्री स्टार प्राप्त हुआ है, वह शहर की बाहरी सड़कों के आसपास की साफ-सफाई के लिए मिला होगा। अंदर सूरतेहाल तो यह है कि लोग जब, जहां चाहे वहां कूड़ा फेक दे रहे हैं। सफाईकर्मी इन कूड़ों को नज़रंदाज करते हैं। कूड़ा कई दिनों तक वहीं पर पड़ा रहता है। इसके अलावा गलियों में जगह-जगह कूड़ा पड़ा रहता है। कुछ लोग अपने घर के दरवाजे के सामने भी सफाई नहीं करते।
शिवपुर पानी की टंकी के पास के रहने वाले एक दुकानदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस सरकार में यह सब केवल दिखावे के लिए हो रहा है। सवाल पूछने वाले अंदाज में वह दुकानदार कहता है- कहां नहीं है गंदगी? आप जिस भी इलाके की बात करिए मैं आपको वहां चलकर गंदगी दिखा दूंगा।
हुकुलगंज के बघवानाला निवासी शकुन्तला देवी कहती हैं नाले के आस-पास बहुत गंदगी रहती है। साफ-सफाई वाले कभी-कभी आकर साफ कर देते हैं। लेकिन सच कहूं तो जहां भी जाइए थोड़ी न थोड़ी दूर पर आपको गंदगी दिख ही जाएगी। सरकार का ज्यादा फोकस मुख्य सड़कों पर ही हो गया है। आप जाकर देख भी लीजिए, आपको मुख्य सड़कों की सफाई करते हुए कर्मचारी रात में 11 बजे तक दिख जाएंगे, लेकिन छोटी गलियों में ये झांकने तक नहीं आते।
बघवानाला की ही रहने वाली निशा कहती हैं, जिस रूट पर वीवीआईपी की आवाजाही ज्यादा रहती है, अफसर भी ऐसे ही रास्तों पर ज्यादा ध्यान देते हैं। हुकुलगंज में बघवानाला के पास गंदगी का अंबार है। इस प्रकार की गंदगी से आए दिन लोगों को तमाम प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
ज्ञात हो सरकार द्वारा 2014 से प्रतिवर्ष स्वच्छता सर्वेक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। वाराणसी को गार्बेज फ्री सिटी में ‘थ्री स्टार’ की श्रेणी में पहली बार शामिल किया गया है। इस बारे में महापौर अशोक कुमार तिवारी ने बताया कि वाराणसी शहर को कचरामुक्त शहर की श्रेणी में प्रथम बार थ्री स्टार प्राप्त हुआ है।
सच्चाई की तह तक जाकर देखा जाए तो स्वच्छता सर्वेक्षण कार्यक्रम की असलियत यह है कि कागजों पर लिखा-पढ़ी के नाम पर कार्रवाई ज्यादा होती है और धरातल पर कम। देश के प्रधानमंत्री मोदीजी जब भी किसी स्वच्छता कार्यक्रम में जाते हैं तो एक सप्ताह पहले से ही उस स्थान की सफाई शुरू हो जाती है। उसके बाद वहां प्रधानमंत्री जाते हैं और झाड़ू लगाकर सफाई कर देते हैं। वही हाल देश में हर स्वच्छता पखवाड़ा पर देखने को मिलता है। स्वच्छता पखवाड़े पर जिला-जवार के सांसद, मंत्री और विधायक के साथ ही पार्टी के अन्य कार्यकर्ता हाथ में झाड़ू लेकर फोटोशूट करवाते हैं। इसी के साथ स्वच्छता कार्यक्रम खत्म हो जाता है।
बहरहाल. वाराणसी जिले को कचरा मुक्त शहर के थ्री स्टार की श्रेणी में भले ही जगह दे दिया गया हो, लेकिन जमीनी स्तर पर वास्तविकता इससे अलग ही देखने को मिल रही है। ढोल के अन्दर पोल है… वाली कहावत यहां पर बिल्कुल सटीक बैठ रही है।