Sunday, October 12, 2025
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वाराणसी में सर्व सेवा संघ को बचाने के लिए 100 दिन के सत्याग्रह का समापन

विनोबा जयंती, 11 सितम्बर 2024 को राजघाट वाराणसी में सर्व सेवा संघ परिसर के पुनर्निर्माण के संकल्प के साथ शुरू हुआ 100 दिवसीय सत्याग्रह - न्याय के दीप जलाओ - के आज 19 दिसम्बर 2024 को 100 दिन पूरे हो गए

वाराणसी : नट बस्ती के लोगों का अंगूठा लगवाने के बावजूद कोटेदार नहीं देता राशन

विकास के दावे करने वाली भाजपा सरकार को शायद यह एहसास नहीं है कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के सेवापुरी ब्लॉक के नहवानीपुर गांव की नट बस्ती में सरकारी योजनाओं की असल स्थिति कुछ और ही है।

Varanasi : तीन किलोमीटर की रेंज के खिलाफ़ टोटो चालकों का सत्याग्रह

वाराणसी में ई-रिक्शा चालकों ने तीन किलोमीटर की रेंज के खिलाफ़ सत्याग्रह शुरू किया है। चालकों का कहना है कि इस नियम से उनकी आजीविका पर बुरा असर पड़ेगा है और वे रोजगार की संभावनाओं को सीमित कर रहा है। अनशन पर बैठे चालकों ने प्रशासन से मांग की है कि इस नियम को वापस लिया जाए और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए। 

सरकार द्वारा बनाए गए शौचालय फेल: सामुदायिक शौचालय में 4 साल से लटका है ताला, खुले में जा रहे लोग

वाराणसी के सजोई गांव में सरकारी योजनाओं के तहत बनाए गए शौचालयों की स्थिति अत्यंत निराशाजनक है। चार साल पहले बनाए गए शौचालयों का काम अब तक पूरा नहीं हुआ है. गांव में एक सामुदायिक शौचालय भी बनाया गया था, लेकिन उसमें चार साल से ताला लटका हुआ है। यह ताला बंद होने के कारण गांव वालों के पास उस शौचालय का उपयोग करने का कोई विकल्प नहीं है। घर में शौचालय की अनुपस्थिति के कारण महिलाओं को अंधेरे में खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। यह स्थिति न केवल उनके स्वास्थ्य के लिए जोखिमपूर्ण है, बल्कि उनकी सुरक्षा को भी खतरे में डालती है।

Varanasi : प्रशासन के डर से नट समुदाय के लोग नहीं कर पा रहे अपना पारंपरिक काम

बनारस की नट बस्तियों में रहने वाले लोगों के लिए आज़ादी का अमृत महोत्सव महज एक दिखावा बनकर रह गया है। वर्षों से उपेक्षित इस समुदाय के लोग, जो पारंपरिक कला और नृत्य के माध्यम से जीवन यापन करते हैं, आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।

कृषि बिल वापसी के पीछे सरकार के निहितार्थ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साल की हठधर्मिता के बाद अचानक गुरु पूर्णिमा के दिन तीनों कृषि बिल वापस लेने की घोषणा से सबको...

जइसे कोंहारे क अउवाँ भभकि भभकि जरे हो ए बेटा तइसहीं माई क करेजवा भभकि जरे हो ……

छित्तूपुर गाँव स्थित कुशवाहा भवन में चल रहे बनारस पुस्तक मेले में प्रतिदिन कोई न कोई साहित्यिक और सांस्कृतिक आयोजन हो रहा है। मेले...

हमें न गाँधी का राम चाहिए न आर एस एस का राम चाहिए!

जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता विद्या भूषण रावत का विकास तर्कवादी विचारकों-लेखकों के सान्निध्य में हुआ। वे जीवन और समाज की हर चीज को संशय और...

निजी दुखों को सामाजिक संघर्ष में बदलते हुए संगीता कुशवाहा लिख रही हैं नई इबारत

मूलरूप से कुशीनगर की रहनेवाली संगीता कुशवाहा अब देवरिया जिले के मलवाबर गाँव की एक अपरिहार्य उपस्थिति हैं। मुसहर टोली के नजदीक और खनवा...

कुछ उजाले कुछ अंधेरे आग फिर भी शेष है

मस्ती में झूमते-गाते ये लोग देवरिया जिले के आखिरी गाँव मल्वाबर के मुसहर समुदाय से हैं। मुसहर शब्द सुनते ही हमारे सामने ऐसे लोगों...

भरोसे का गीत

बिरहा के सुप्रसिद्ध और वरिष्ठ कवि-गायक मंगल यादव अपने ढंग के अनूठे बिरहिया हैं। उनके द्वारा सुनिए भारत-चीन युद्ध में शामिल एक सैनिक के...
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