जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता विद्या भूषण रावत का विकास तर्कवादी विचारकों-लेखकों के सान्निध्य में हुआ। वे जीवन और समाज की हर चीज को संशय और तर्क के आधार पर देखते रहे हैं। रामजी यादव के साथ संवाद करते हुये उन्होंने अपनी विचारयात्रा और उसके विभिन्न पड़ावों पर खुलकर चर्चा की है। वर्तमान राजनीतिक-सांस्कृतिक परिवेश को लेकर उनकी समझ और भेदभाव तथा वंचना के शिकार बहुजन समाज के प्रति उनके सरोकार इस बातचीत में स्पष्ट रूप से सामने आए हैं। देखिये उनसे बातचीत और बेल आइकॉन दबाकर चैनल को सब्सक्राइब भी करें।
हमें न गाँधी का राम चाहिए न आर एस एस का राम चाहिए!
जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता विद्या भूषण रावत का विकास तर्कवादी विचारकों-लेखकों के सान्निध्य में हुआ। वे जीवन और समाज की हर चीज को संशय और तर्क के आधार पर देखते रहे हैं। रामजी यादव के साथ संवाद करते हुये उन्होंने अपनी विचारयात्रा और उसके विभिन्न पड़ावों पर खुलकर चर्चा की है। वर्तमान राजनीतिक-सांस्कृतिक परिवेश को लेकर […]
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