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ग्राउंड रिपोर्ट

हम चाँद पर पहुँचने के गुमान में थे और दक्षिण अफ्रीका में हमारी तानाशाही का चेहरा उजागर हो गया

मेजबान देश दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के आमंत्रण पर अन्य देशाध्यक्षों की तरह भारतीय प्रधानमंत्री भी दक्षिण अफ्रीका पहुंचे थे पर इस यात्रा पर पहुंचते ही जहां भारतीय मीडिया में यह छपने लगा कि जोहानिसबर्ग एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भव्य स्वागत हुआ, वहीं साउथ अफ्रीका की मीडिया में प्रधानमंत्री के स्वागत पर घमासान मच गया।

जोहानिसबर्ग में आयोजित ब्रिक्स बैठक के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर गए थे। 22 अगस्त को शाम चार बजे जब वह दक्षिण अफ्रीका पहुंचे तो भारतीय मीडिया में दो ही चीजों पर मुखर तौर पर बात हो रही थी एक थी, भारत की चाँद यात्रा जिसे 23 अगस्त को मुकम्मल होना था और दूसरी थी प्रधानमंत्री मोदी की अफ्रीका यात्रा। जोहानिसबर्ग में आयोजित सम्मेलन में 2019 के बाद पहली बार ब्रिक्स के सदस्य आमने-सामने बैठकर बात करने वाले थे। ब्रिक्स समूह में भारत के अलावा रूस, ब्राज़ील, चीन और और दक्षिण अफ्रीका हैं। मेजबान देश दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के आमंत्रण पर अन्य देशाध्यक्षों की तरह भारतीय प्रधानमंत्री भी दक्षिण अफ्रीका पहुंचे थे पर इस यात्रा पर पहुंचते ही जहां भारतीय मीडिया में यह छपने लगा कि जोहानिसबर्ग एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भव्य स्वागत हुआ, वहीं साउथ अफ्रीका की मीडिया में प्रधानमंत्री के स्वागत पर घमासान मच गया।

दरअसल, दक्षिण अफ्रीका की मीडिया में लिखा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत में सिर्फ एक कैबिनेट मंत्री के पहुँचने की वजह से नरेंद्र मोदी प्लेन से बाहर ही नहीं निकले, बाद में मामले को संभालने के लिए उप राष्ट्रपति पॉल शिपोक्सा माशातिले को एयरपोर्ट भेजना पड़ा।

दक्षिण अफ्रीकी मीडिया मेवरिक ने प्रमुखता से इस ख़बर को कवर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिंपिंग के स्वागत की तुलना कर दी और लिखा कि दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने भारतीय प्रधानमंत्री के बजाय चीन के राष्ट्रपति को ज्यादा अहमियत दी और स्वयं स्वागत करने पँहुचे पर मोदी के लिए महज एक कैबिनेट मंत्री को भेजा गया। मेवरिक ने विस्तार से लिखा कि सिर्फ एक कैबिनेट मंत्री के स्वागत में पंहुचने पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्लेन से बाहर ही नहीं निकले।

तब दक्षिण अफ्रीका ने इस मामले को साल्व करने के लिए उप राष्ट्रपति को भेजकर प्रधानमंत्री मोदी को रिसीव करवाया।

भारत में यह भी खबर हेड लाइन बनी की जोहानिसबर्ग में प्रधानमंत्री का भव्य स्वागत हुआ। सब ठीक था पर 23 अगस्त को जब पूरा भारत चाँद पर अपनी उपस्थिति के फाइनल हस्ताक्षर का इंतजार कर रहा था, तभी मेवरिक ने मोदी के स्वागत की यह पूरी खबर सामने लाकर हड़कंप मचा दिया।

दक्षिण अफ्रीका इस पर सफाई दे ही रहा था कि मेवरिक ने भारत पर गंभीर आरोप लगा दिया। मेवरिक ने एक्स (पहले का ट्वीट) करते हुए कहा है कि मोदी की आगवानी की खबर प्रकाशित करने के बाद उसकी वेबसाइट पर साइबर हमला शुरू हो गया।

दक्षिण अफ्रीकी अखबार मेवरिक ने लिखा कि इस खबर की वजह से उनकी न्यूज वेबसाइट पर डीडीओएस अटैक किया गया। मेवरिक के सुरक्षा प्रभारी ने इस प्रकरण को लेकर कहा है कि हमने जांच में पाया है कि यह सभी साइबर हमले भारतीय सर्वर से किए जा रहे हैं। यह भी कहा है कि इन हमलों से बचने के लिए हमने फायरवाल के माध्यम से भारतीय ट्रैफिक रोकने का प्रयास किया बाद में हमने खुद ही अपनी वेबसाइट को भारत में ब्लाक करना पड़ा।

अखबार डेली मेवरिक ने बाद में यह भी लिखा कि दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति भवन ने हमारी लिखी गई बात को खारिज किया है पर हम अपने दावे पर कायम हैं। मेवरिक ने अपनी खबर में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा द्वारा चीन के राष्ट्रपति को दक्षिण अफ्रीका का सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने  कि खबर को भी प्रमुखता से इस रूप में छापा की दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने चीन को ज्यादा सम्मान देने का काम किया और भारत के प्रधानमंत्री पर उनका कोई फोकस ही नहीं था। मेवरिक ने यह भी लिखा है कि मेवरिक में खबर प्रकाशित होने के बाद मामले को संभालने के लिए दक्षिण अफ्रीका ने जहां बीच का रास्ता निकालने का प्रयत्न किया और भारतीय प्रधानमंत्री के सम्मान के प्रति थोड़ा विनम्र प्रयास किया, जिसके तहत कुछ साझे फोटोशूट में दिखाया गया सम्मान भी है। पर मेवरिक ने यह भी कहा है कि वह चाहता था कि उसकी वेबसाइट पर प्रधानमंत्री मोदी के आगवानी की खबर भारत में भी पढ़ी जाय पर भारत में उनकी वेबसाइट पर जिस तरह से साइबर हमला किया गया उससे वह आहत हैं।

दक्षिण अफ्रीकी मीडिया द्वारा भारत पर लगाया गया यह आरोप निहायत गंभीर है। भारत की तरफ से इस पर कोई जवाब फिलहाल नहीं आया है। बावजूद इसके पहले भारतीय प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा और अब साउथ अफ्रीका यात्रा के दौरान जिस तरह से भारत की तरफ से मीडिया पर हमला किया जा रहा है, वह पूरी दुनिया के सामने यह बताने के लिए काफी है कि सरकार के समर्थन में किस तरह से मीडिया पर अंकुश लगाया जा रहा है। एक तरफ पूरी दुनिया के सामने 23 अगस्त को भारतीय वैज्ञानिक संस्थान इसरो जहां चाँद पर अपना हस्ताक्षर करके देश को एक के बाद एक अविस्मरणीय उपलब्धि दर्ज करवा रहा था, वहीं दक्षिण अफ्रीका के अखबार हमारी तानाशाही के कसीदे गढ़ रहा था। सम्मान जिद्द से नहीं लिया जाता, बल्कि उपलब्धि और विनम्रता से मिला करता है।

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