Sunday, October 6, 2024
Sunday, October 6, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमविविधचेहरों की पहचान के लिए दिमाग के किस हिस्से का इस्तेमाल करते...

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

चेहरों की पहचान के लिए दिमाग के किस हिस्से का इस्तेमाल करते हैं नेत्रहीन

नयी दिल्ली (भाषा)।  वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क के उस हिस्से का पता लगा लिया है, जिसका इस्तेमाल नेत्रहीन ‘फ्यूसीफॉर्म’ चेहरा क्षेत्र यानी बुनियादी चेहरों की पहचान करने के लिए करते हैं। यह ज्ञात तथ्य है कि नेत्रहीन लोग देखने की क्षमता नहीं होने की भरपाई कुछ हद तक अन्य इंद्रियों का उपयोग करके कर सकते हैं, लेकिन […]

नयी दिल्ली (भाषा)।  वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क के उस हिस्से का पता लगा लिया है, जिसका इस्तेमाल नेत्रहीन ‘फ्यूसीफॉर्म’ चेहरा क्षेत्र यानी बुनियादी चेहरों की पहचान करने के लिए करते हैं। यह ज्ञात तथ्य है कि नेत्रहीन लोग देखने की क्षमता नहीं होने की भरपाई कुछ हद तक अन्य इंद्रियों का उपयोग करके कर सकते हैं, लेकिन अमेरिका स्थित जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के एक अध्ययन से यह पता लगाया गया कि यह भरपाई किस हद तक होती है।

विश्वविद्यालय के तंत्रिका विज्ञान विभाग में प्रोफेसर जोसेफ रौसचेकर ने कहा, ‘हमारे अध्ययन ने एक तकनीकी उपकरण की सहायता से बुनियादी दृश्य प्रणालियों का श्रवण प्रणालियों में कूट लेखन करके देखने और सुनने के बीच भरपाई की क्षमता की सीमा का आकलन किया। इस उपकरण को हम संवेदी प्रतिस्थापन उपकरण के रूप में संदर्भित करते हैं।’

शोधकर्ताओं ने ‘पीएलओएस वन’ पत्रिका में प्रकाशित अपने अध्ययन में कहा कि नेत्रहीन लोग छवियों को ध्वनियों में अनुवादित करने वाले विशेष उपकरण का उपयोग करके एक बुनियादी ‘कार्टून’ चेहरे को पहचान सकते हैं, जैसे कि एक खुश चेहरे वाला इमोजी। उन्होंने मस्तिष्क के उस क्षेत्र का पता लगाने के लिए कार्यात्मक चुंबकीय अनुनाद (रेजोनेंस) इमेजिंग (एफएमआरआई) का उपयोग किया जो देखने की क्षमता नहीं होने पर चेहरे की पहचान करने में मदद करता है।

शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए छह नेत्रहीन और सीमित रूप से दृष्टिहीन 10 लोगों को इसमें शामिल किया, जिन्होंने ध्वनियों के माध्यम से चेहरों को पहचानना सीखने के लिए अभ्यास सत्र में भाग लिया था। रौसचेकर ने कहा कि अध्ययन के परिणामों से पता चलता है कि मस्तिष्क फ्यूसीफॉर्म चेहरा क्षेत्र की जिस प्रकार कल्पना करता है, वह दिखाई देने वाले वास्तविक चेहरों के अनुभव पर निर्भर नहीं होता बल्कि यह चेहरे के विन्यास की ज्यामिति पर निर्भर करता है, जिसे अन्य संवेदी तौर-तरीकों से व्यक्त किया जा सकता है।

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट को सब्सक्राइब और फॉरवर्ड करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here