एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना बृहस्पतिवार को चित्तूर जिले के पूतलपट्टू मंडल के थेनेपल्ले के पास थातिथोपु गांव में एक आदिवासी समुदाय में हुई। पंचायत राज विभाग के अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘महिला पूर्वाह्न करीब साढ़े 10 बजे खौलते तेल में हाथ डालकर परीक्षा देने ही वाली थी, लेकिन मैंने तभी वहां पहुंचकर उसे बचा लिया।’
अधिकारी ने बताया कि प्रथा के अनुसार, ‘पतिव्रता होने की परीक्षा’ के लिए पांच लीटर तेल को खौलाकर फूलों से सजे मिट्टी के बर्तन में डाला जाता है और गांव के लोग इसे देखने के लिए एकत्र होते हैं। महिला के 57 वर्षीय पति को अपनी पत्नी के चरित्र पर पिछले काफी समय से संदेह था। अधिकारी ने बताया कि महिला के पति ने उसे कई बार कथित रूप से पीटा भी था।
उन्होंने बताया कि येरुकुला आदिवासी समुदाय की पुरानी प्रथा के अनुसार, जिस महिला के चरित्र पर संदेह होता है, उसे समुदाय के सदस्यों के समक्ष अपने हाथ खौलते तेल में डालने होते हैं। अधिकारी ने बताया कि यदि महिला के हाथ नहीं जले, तो यह माना जाता है कि वह पतिव्रता है, लेकिन यदि उसके हाथ जल गए, तो उसके ‘बेवफा’ मान लिया जाता है।
महिला चार बच्चों की मां है और वह स्वयं को पतिव्रता साबित करने के लिए परीक्षा देने पर सहमत हो गई। इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गई थी, लेकिन तभी स्थानीय मंडल परिषद विकास अधिकारी ने समय पर पहुंचकर महिला को बचा लिया। अधिकारी ने कहा, ‘‘महिला इस परीक्षा के लिए यह सोचकर सहमत हुई कि अपने पति से नियमित आधार पर पिटने से बेहतर स्वयं को निर्दोष साबित करना होगा।’
इस मामले में शामिल लोगों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज नहीं किया गया, लेकिन महिला के पति और उसके परिवार के अन्य सदस्यों को पुलिस थाने बुलाकर समझाया गया और वहां से जाने दिया गया।
पूतलपट्टू,आंध्र प्रदेश (भाषा)। आंध्र प्रदेश में एक सरकारी अधिकारी ने समय पर हस्तक्षेप कर चार बच्चों की 50 वर्षीय मां को उस समय बचा लिया, जब वह स्वयं के पतिव्रता होने की बात साबित करने के लिए उबलते तेल में हाथ डालने वाली थी।