Tuesday, July 1, 2025
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राजस्थान : केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना से भी नहीं हुई धुआँ मुक्त रसोई

2016 में केंद्र सरकार की शुरू की गई उज्ज्वला योजना के बड़े-बड़े होर्डिंग में लाभार्थियों के आँकड़े करोड़ों में दिखते हैं लेकिन जमीनी वास्तविकता कुछ और ही है। एक बार लोगों को सिलेंडर जरूर मिले लेकिन दुबारा गैस भरवाने के लिए पैसे न होने की वजह से चूल्हे पर ही खाना पकाने का काम गाँव की महिलाएं कर रही हैं। परिणाम आज भी इन्हें धुएं झेलते हुए खाना बनाना पड़ रहा है, जो इन महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

महिलाओं की तरक्की का रास्ता भी हैं पक्की सड़कें

किसी भी शहर या गाँव के इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ विकास की पहली शर्त वहाँ पक्की सड़क का होना होता है। अच्छी सड़क उस गाँव या शहर तक लोगों की पहुँच आसान बनाती है। सड़क की कमी का सबसे ज्यादा असर वहाँ की महिलाओं के आगे बढ़ने में बाधक होती हैं। पक्की सड़क बाहर की दुनिया से जोड़ती है। दरअसल रास्ते का वीरान होना, अंधेरा होना और 'रात को मत निकलो' जैसे वाक्य ये सब किसी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से कहीं ज्यादा, महिलाओं को ‘घर तक सीमित’ रखने वाली सोच का हिस्सा नजर आता है।

राजस्थान : रोजी-रोटी की तलाश में स्ट्रीट वेन्डर कर रहे हैं चुनौतियों का सामना

देश में रोजगार का बड़ा संकट शिक्षित लोगों के लिए तो है ही लेकिन जो अशिक्षित हैं, उन्हें भी रोजगार के लिए रास्ते तलाशने पड़ते हैं। उनमें से बहुत से लोग सड़क किनारे या घूम घूम कर सामान बेचने का काम करते हैं लेकिन उससे इतनी कमाई नहीं हो पाती है कि रोजमर्रा की जरूरत पूरी हो पाए। बहुत से परेशानियों के बाद भी ए संघर्ष कर जीवन चलाते हैं।

राजस्थान : किसी भी रोज़गार में निरंतरता और स्थायित्व जरूरी है

रोजगार के हर क्षेत्र में महिलाएं मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। चाहे वह छोटी-सी चाय की दुकान हो, कपड़े प्रेस करने का काम हो, साप्ताहिक बाजार में कपड़े और घरेलू सामान बेचना हो या फिर बागवानी करना - हर जगह महिलाएं न केवल काम कर रही हैं, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर रही हैं। लेकिन उनका यह सफर आसान नहीं है। इन महिलाओं को हर दिन कई समस्यायों का सामना करना पड़ता है।

राजस्थान : पहचान के लिए संघर्ष करता गाड़िया लोहार समुदाय

देश भले 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की बात करता हो लेकिन आज भी ऐसे अनेक समुदाय हैं, जहां लोग बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीवन गुजारने को मजबूर हैं। ऐसा ही राजस्थान का लोहार समुदाय है, जिनके पास हुनर तो है लेकिन आज अत्याधुनिक तकनीकें आ जाने से उनका काम नहीं चल रहा है। जिसकी वजह से ये अच्छे और सुरक्षित भविष्य के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं जबकि सरकार विकास की अनेक योजनाएं लागू है। प्रश्न यह उठता है कि क्यों इन तक सरकारी योजनाएं नहीं पहुँच पा रही हैं।

अनूपपुर : सर्व सेवा संघ की राष्ट्रीय कार्य समिति की 91वीं बैठक

सर्व सेवा संघ इस आचरण के निषेध स्वरूप अपने 91वें अधिवेशन में कार्यसमिति के सदस्य 23 दिसंबर 2024 सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक उपवास रखेंगे।

छग : जनविरोधी पूंजीवादी राजनीति के खिलाफ वैकल्पिक वामपंथी राजनीति को स्थापित करेगी माकपा : डॉ. डोम

छत्तीसगढ़ के विश्रामपुर में शीर्षस्थ नेताओं ने राज्य सम्मेलन में फूटपरस्ती, विभाजन और साम्प्रदायिकता को पराजित करने के लिए व्यापक पैमाने पर एकता कैसे बनाई जाए, इसके लिए रणनीति तैयार करने के लिए यह आयोजन बुलाया गया है।

वाराणसी : एशियन ब्रिज इंडिया महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम का आयोजन

निर्भया दिवस की याद  बड़ागांव थाने में एक महत्वपूर्ण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

वाराणसी : सरकार गाँधीवादी, अम्बेडकरवादी, मार्क्सवादी व समाजवादी विचारों का दमन कर रही है – अनूप श्रमिक

 गांधी विरासत को बचाने के लिए प्रशासनिक दबाव के चलते सर्व सेवा संघ परिसर के सामने से स्थानांतरित होकर  शास्त्री घाट में चल रहे सत्याग्रह का आज 98 वां दिन है। 

चरखा ने मनाया अपना 30वां स्थापना दिवस : ग्रासरूट्स लीडर्स को सम्मानित किया गया

ग्रामीण क्षेत्रों में ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाने वाले ग्रासरूट्स लीडर्स को सम्मानित कर चरखा ने अपना 30वां स्थापना दिवस मनाया। शनिवार को नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर एनेक्स में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में 'गूंज' के संस्थापक अंशु गुप्ता सहित बड़ी संख्या में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इस अवसर पर चरखा संस्थापक संजॉय घोष सहित चरखा के विकास में प्रमुख भूमिका निभाने वाले इसके पूर्व अध्यक्ष स्व. शंकर घोष, स्व. तिलक मुखर्जी, पूर्व सीईओ स्व. मारिओ नोरहोना और पूर्व सचिव स्व. अनिल सिंह को श्रद्धांजलि के साथ हुई।

संभल मस्जिद : राष्ट्रवादी ताकतें हर मस्जिद को खोदकर इतिहास बदलने की मुहिम चला रही हैं

भारतीय राजनीति और न्यायपालिका ने एक भस्मासुर पैदा कर दिया है जो समाज में धार्मिक विभाजन को और गहरा बना रहा है। आज हमें क्या करना चाहिए? क्या हमें हर मस्जिद को खोदकर देखना चाहिए कि उसके नीचे क्या कोई मन्दिर है? या फिर हमें पंडित जवाहरलाल नेहरू के शब्दों में ‘आधुनिक मन्दिरों’ का निर्माण करना चाहिए। भाखड़ानंगल बाँध की नींव रखते हुए पंडित नेहरू ने वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थाओं, इस्पात कारखानों, बिजली घरों और बाँधों को आधुनिक मन्दिर बताया था. हम आधुनिक मन्दिरों का निर्माण करेंगे या मस्जिदों के नीचे मन्दिर ढूंढते रहेंगे, इस पर ही हमारे देश की नियति निर्भर करेगी।
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